मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में मेरी पसंद के लिंक देखिए।
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फूल समझो या फल समझ लो
मुझे राहों में खिला समझ लो
तुम राही नजरअंदाज कर लो
या चाहो तो मेरा गम समझ लो...
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.. ज्यों नज़रें हुई चार :)) -
दो नैनों के जाल में
दिल हो गया बेकरार
दिल से मिलकर दिल खिला
ज्यों नज़रें हुई चार .....
लेखक परिचय -- डॉ निशा महाराणा
म्हारा हरियाणा
दो नैनों के जाल में
दिल हो गया बेकरार
दिल से मिलकर दिल खिला
ज्यों नज़रें हुई चार .....
लेखक परिचय -- डॉ निशा महाराणा
म्हारा हरियाणा
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ज़िंदगी के उसूल
ज़िंदगी के उसूल
मेरे मन की
अब यही हसरत
आप सा मैं भी बन पाऊँ।
हाँ पिताजी
आपके राह पे
मैं भी आगे चल पाऊँ।
----''सादर प्रणाम''----
--अभिषेक कुमार ''अभी''
--नेत्रों से दूर, न जाने देना...
स्वीकार करो, नमन मेरा,
मैं हूं मां, सुत तेरा,
तेरे दर को छोड़, जाऊं कहां,
सदा दर पे, शीश झुकाने देना...
मन का मंथन।पर Kuldeep Thakur
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एक लघु व्यंग्य व्यथा :
हुनर सीख लो ! हुनर !!
’अरे अभी तक यहीं खड़े हो ?
शुरू नहीं किया ?
सुना नहीं प्रधानमन्त्री ने क्या कहा ।
डिग्री सर्टिफ़िकेट काम नहीं आयेगी
-हुनर ही काम आयेगा ,हुनर !...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
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मैं आसानी से स्वीकार कर लूं तुम्हारा निर्णय ? :
सखि सिंह का रचना संसार
इश्क-प्रीत-लव पर Girish Billore
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फादर'स डे पर-पिताजी से
पिताजी से आपने ऊँगली थामी ,
मैंने जीवनपथ पर चलना सीखा
आपने आँख दिखाई...
*साहित्य प्रेमी संघ* पर Ghotoo
इस दिन के बारे में सोंचती हूँ
तो कुछ समझ नहीं आता
कि क्या लिखूँ ....
क्या लिखूँ उस इंसान के बारे में
जो हमारे बीच है ही नहीं
पर हाँ उसकी यादें तो हैं
जिनके सहारे हम जीते हैं...
Pratibha Verma
तो कुछ समझ नहीं आता
कि क्या लिखूँ ....
क्या लिखूँ उस इंसान के बारे में
जो हमारे बीच है ही नहीं
पर हाँ उसकी यादें तो हैं
जिनके सहारे हम जीते हैं...
Pratibha Verma
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आइआइटी बेहतर या चाय बेचना?
आज जमाना योग्यता का नहीं, किसी का विश्वासपात्र होने का है. अगर आप किसी के विश्वासपात्र हैं तो किसी और योग्यता की आवश्यकता शायद न हो....
अ-शब्द
आज जमाना योग्यता का नहीं, किसी का विश्वासपात्र होने का है. अगर आप किसी के विश्वासपात्र हैं तो किसी और योग्यता की आवश्यकता शायद न हो....
अ-शब्द
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--- मै आपका थानेदार हूँ ---
दिन रात लोगों की भलाई के लिए दौड़ता हूँ |
जरुरत पड़ने पर हड्डियाँ तोड़ता हूँ |
निर्दोषों से भी रूपया ऐठता हूँ |
ना देने पर कानून में लपेटता हूँ..
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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किसी दिन बिना दवा
दर्द को छुपाना भी जरूरी हो जाता है
नदी के बहते पानी की तरह
बातों को लेने वाले देखते जरूर हैं
पर बहने देते हैं बातों को
बातों के सहारे बातों की नाँव हो या बातें
किसी तैरते हुऐ पत्ते पर सवार हों
बातें आती हैं और
सामने से गुजर जाती है...
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जो
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अज्ञात को ख़त
अज्ञात को ख़त एक असल स्वीकृति है, निश्चित ही उस अनदेखे पर जताया गया गहरा विश्वास, यक़ीनन उसकी उपस्थिति ही उसकी सज्ञान अनुमति का ज्ञातमय स्वरुप है जो इन असंख्य नामरूपों में किसी दिव्य कविता सी अपने होने को सार्थक करती है और अपने न होने के अस्तित्व को जग विक्षोभ से सिलसिलेवार मुक्त...
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" हम 21वीं सदी के भारतीय शारीरिक सम्बन्धों पर
बात करते क्यों घबराते - शरमाते हैं ??
सरकार और महिलाओं को आगे आना ही होगा पुरुष तो ....है " !!-
पीताम्बर दत्त शर्मा ( विचारक - विश्लेषक )
बात करते क्यों घबराते - शरमाते हैं ??
सरकार और महिलाओं को आगे आना ही होगा पुरुष तो ....है " !!-
पीताम्बर दत्त शर्मा ( विचारक - विश्लेषक )
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फ़रियाद ....
क्यों तूफ़ान की तरह आते हो
और तिनका की तरह मुझे उड़ा ले जाते हो ?
मैं कुछ भी समझ पाती उसके पहले ही
मेरे वजूद को अपना बवंडर बना
मुझपर ही कहर बरपा जाते हो..
Amrita Tanmay
क्यों तूफ़ान की तरह आते हो
और तिनका की तरह मुझे उड़ा ले जाते हो ?
मैं कुछ भी समझ पाती उसके पहले ही
मेरे वजूद को अपना बवंडर बना
मुझपर ही कहर बरपा जाते हो..
Amrita Tanmay
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"आम पेड़ पर लटक रहे हैं"
आम पेड़ पर लटक रहे हैं।
पक जाने पर टपक रहे हैं।।
हरे वही हैं जो कच्चे हैं।
जो पीले हैं वो पक्के हैं।।
सुंदर सूत्रों से सजी मंगलवारीय चर्चा । 'उलूक' का आभार सूत्र 'किसी दिन बिना दवा दर्द को छुपाना भी जरूरी हो जाता है' को स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स |आम के पेड़ पर लगी कैरिया मन ललचा रही हैं |
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जी बहुत बढ़िया!
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जवाब देंहटाएंवाह बहुत दिन बाद उपस्थिति हुई है
सभी को प्रणाम। बहुत सुन्दर सुन्दर अभिव्यक्ति से रु-ब-रु कराया सर आपने।
हार्दिक धन्यवाद
बहुत बहुत शुक्रिया शास्त्री जी मेरी पोस्ट यहाँ तक पहुँचाने के लिए।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्रों और चित्रों से सजा चर्चा मंच, आ० शास्त्री जी को हार्दिक बधाई एवं मेरे संस्मरण को चर्चामंच के पाठकों तक पँहुचाने के लिए हार्दिक आभार |
जवाब देंहटाएंजी कार्टून को भी चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका विनम्र आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत- बहुत शुक्रिया मेरे ब्लॉग पोस्ट को चर्चा मंच पर लाने के लिए!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन।।।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने के लिए धन्यवाद।
सादर।।।
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति....आभार !
जवाब देंहटाएंVICHARON KAA SANKALAN KAR AAGE BADHANA BAHUT PUNYA KA KAAM HAI !! DHANYWAAD !! MERI PRASTUTI HETU !!
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद ! .............मयंक जी ! मेरे मुक्तक ''पीते हैं वो तो कहते हैं...'' को शामिल करने हेतु.............
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा हम कुछ लिंक्स तक पहुँच पायें |
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