मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक।
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हे माँ श्वेता शारदे , विद्या का उपहार दे|
श्रद्धानत हूँ प्यार दे , मति नभ को विस्तार दे||
तू विद्या की खान है ,जीवन का अभिमान है|
भाषा का सम्मान है ,ज्योतिर्मय वरदान है||
भाषा का सम्मान है ,ज्योतिर्मय वरदान है||
नव शब्दों को रूप दे ,सदा ज्ञान की धूप दे|
हे माँ श्वेता शारदे ,विद्या का उपहार दे||...
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ज्ञानपीठ पाने वाले केदारनाथ सिंह हिन्दी के 10वें लेखक हैं। हिंदी साहित्य में पंत, दिनकर, अज्ञेय, महादेवी, नरेश मेहता, निर्मल वर्मा, कुंवर नारायण, श्रीलाल शुक्ल और अमरकांत को यह पुरस्कार मिल चुका है। अभी बिल्कुल अभी, जमीन पक रही है, यहां से देखो, अकाल में सारस, बाघ जैसी रचनाएं करने वाले केदारनाथ सिंह से बातचीत की पावस कुमार ने...
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जीवन में पागल खाना जरूरी है :
published in Bollywood Cine Reporter
20 - 26 June 2014 on editorial page -
published in Bollywood Cine Reporter
20 - 26 June 2014 on editorial page -
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क़ुदरत की बक्शी...मुस्कुराती यादें !!!
आज भी वो इक सपने सी बात लगती है
हुई मुद्दतों पहले, कल की बात लगती है....
--अशोक"अकेला"
यादें...
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श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद
(१८वां अध्याय)
Kashish - My Poetry
(१८वां अध्याय)
अठारहवाँ अध्याय
(मोक्षसन्यास-योग-१८.३६-४८)
हे अर्जुन! मैं अब तुम को
तीन प्रकार के सुख बतलाता.
जिसमें करके रमण है साधक
मुक्ति सभी दुःख से है पाता. (१८.३६)
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ईराकी इस्लामी युद्ध और भारत पे प्रभाव
ईराक में जो खुनी खेल चल रहा है उसका तो अल्लाह ही मालिक है, वो मालिक इसलिए की सारा खेल ही उसी के नाम पर हो रहा है, इस्लाम.जिसकी वजह से लिबरल मुस्लिम पूरी दुनिया में शर्मशार होते है, और दुसरे सम्प्रदाय के कट्टरपंथियों का निशाना...
नारद
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रिश्ते
नये - नये रिश्ते में
खिलते फुल सी खुशबू ,
चारों तरफ महकता वातावरण ,
जीवन खुशनुमा संगीत की तरह
महसूस होने लगता है...
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"हो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना"
ताल के नम हैं किनारे,
मिट गयीं सूखी दरारें,
अब कुमुद खिलने लगेंगे,
भाग्य धरती के जगेंगे,
आ गया है दादुरों को गीत गाना।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंपर्याप्त लिंक्स से सजा चर्चा मंच |
मेरी रचना शामिल करने के किये आभार सर |
सुंदर मंगलवारीय चर्चा । सुंदर सूत्र संयोजन । शास्त्री जी आपकी मेहनत व लगन को नमन । 'उलूक' के सूत्र 'एक गुलाब और एक लाश पर आप का क्या होगा विचार' को जगह देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंआज नभ पर बादलों का है ठिकाना।
जवाब देंहटाएंहो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना।।
कल तलक लू चल रही थी,
धूप से भू जल रही थी,
आज हैं रिमझिम फुहारें,
लौट आयी हैं बहारें,
बुन लिया है पंछियों ने आशियाना।
हो गया अपने यहाँ मौसम सुहाना।।
अरे क्या बात है शब्दों की बौछार सुहानी सी अलबेली बयार सी रचना
मन्दिर जाने का वैज्ञानिक पक्ष उजागर किया है आपने सरल शब्दों में आभार। और सबसे बड़ा सौंदर्य पक्ष सौंदर्य शाश्त्र मूर्त होते अमूर्तन का।
जवाब देंहटाएंमन्दिर जाने का वैज्ञानिक पक्ष उजागर किया है आपने सरल शब्दों में आभार। और सबसे बड़ा सौंदर्य पक्ष सौंदर्य शाश्त्र मूर्त होते अमूर्तन का।
जवाब देंहटाएंमंदिर जाने का वैज्ञानिक महत्व
हिन्दू - हिंदी - हिन्दुस्थान
सुप्रभात!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
आभार!
हमेशा की तरह बढ़िया चर्चा, मेरा लेख "ईराकी -इस्लामी आतंकवाद और भारत पे प्रभाव" शामिल करने के आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
कमल कुमार सिंह
बहुत सुंदर सूत्र संकलन ! मेरी प्रस्तुति 'नारी' को इसमें स्थान दिया आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंsundar charcha....mujhe bhi inmay shamil karne kay liye shukriya
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक चर्चा..आभार...
जवाब देंहटाएंsundar charchaa !!
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