मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
हिंदी का विरोध किया जाना
कितना उचित है !
शंखनादपरपूरण खण्डेलवाल
--
आओ प्यार की भाषा बोलें।
आओ हिंदी बोलें।
भारत की सभी क्षेत्रीय भाषाओ को पूर्ण स्वायत्तता और सम्मान के साथ लेकर चलने में यदि कोई भाषा समर्थ है तो वो हिंदी ही है। अंगरेजी की प्रकृति दमनकारी है..
'दि वेस्टर्न विंड' पर PAWAN VIJAY
--
90 करोड़ लोगों के क्या कोई जज्बात नहीं हैं
Barun K. Sakhajee
--
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल
--
तुम्हारा नाम लिखेंगे
मुकद्दर-ए-दस्त के हर सफे पे तुम्हारा नाम लिखेंगे
तुम्हीं से आगाज और तुम्हीं से अपना अंजाम लिखेंगे...
--
आजकल
तुम परदेस क्या गए,
वहीँ के हो गए,
सालों बीत गए तुम्हें देखे,
अब तो चले आओ...
वहीँ के हो गए,
सालों बीत गए तुम्हें देखे,
अब तो चले आओ...
कविताएँ पर Onkar
--
मैं माँ हूँ
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
--
जन्मदिन पर अपने दुःख-सुख को
मित्रों से सांझा करता हूँ...
चौथाखंभा पर ARUN SATHI
--
ना जानू मैं अन्तरतम में,
अवचेतन की सुप्त तहों में,
अनचीन्हा, अनजाना अब तक,
कौन छिपा सा रहता है ?
मन किससे बातें करता है ?
प्रवीण पाण्डेय
--
धर्म का मूल स्वरूप
DHAROHAR पर अभिषेक मिश्र
--
फरेब करते, फ़रेबी से
तेरी सदाओ का अब ये असर है
बेअसर हो रहीं है मेरी हर फ़रियाद...
इब ना होगा उनकों मुझ पर यकीन
जिसे जाना था ...वो कब का छोड़ गये...
poit पर Jaanu Barua
--
आत्महत्या -हत्या परिजनों की
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
--
फुरसतिया बादल
उम्मीद तो हरी है ...पर jyoti khare
--
मोदी सरकार:
आने वाली घटनाओं की सूचक
Randhir Singh Suman
--
गतिशीलता ही जीवन है
धरती घूमती रहती हर-पल
सूरज-चन्द्र ना रुकते इक पल
हल-चल में ही जड़ और चेतन
उद्देश्यपूर्ण ही उनका लक्षण
सदैव कार्यरत धरा-गगन है
गतिशीलता ही जीवन है...
--
कुंजी खुशहाली की
भविष्य का क्या ठिकाना
होगा क्या पता नहीं
बीता कल भी फिर से
नहीं लौट पाएगा
जिसके बल खुद को भुलाएं
सच्चाई तो यही है
Akanksha पर Asha Saxena
--
♥कुछ शब्द♥:
पसरी हुई ख़ामोशी अल्फ़ाज़ ढूँढती है
--
मेरे पिता :
साहित्याचार्य पं० चंद्रशेखर शास्त्री --
प्रफुल्लचंद्र ओझा 'मुक्त'
मुक्ताकाश....परआनन्द वर्धन ओझा
--
बड़े सबेरे
आंख खुलते ही
मेरे कमरे की
खिड़की से बाहर दिखने
लगता है नन्हीं नन्हीं
कोमल पंखों वाली
रंग बिरंगी तितलियों का
हुजूम...
--
कल्पना पब्लिकेशन, जयपुर ने मेरे पहले लघु कविता संग्रह ‘लोक उक्ति में कविता’ को प्रकाशित कर मेरे भावों को शब्दों में पिरोया है, इसके लिए आभार स्वरूप मेरे पास शब्दों की कमी है; लेकिन भाव जरूर है। भूमिका के रूप में श्रद्धेय डॉ. शास्त्री ‘मयंक’ जी के आशीर्वचनों के लिए मैं नत मस्तक हूँ।
इस लघु कविता संग्रह के माध्यम से शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थियों के साथ ही जन-जन तक लोकोक्तियों का मर्म सरल और सहज रूप में पहुंचे, ऐसा मेरा प्रयास रहा है।
इस अवसर पर मैं अपने सभी सम्मानीय ब्लोग्गर्स, पाठकजनों और विभिन्न समाचार पत्र पत्रिकाओं का भी हृदय से आभार मानती हूँ, जो समय-समय पर ब्लॉग के माध्यम से मुझे लेखन हेतु प्रेरित करते रहते हैं।
मेरे लघु कविता संग्रह की पाण्डुलिपि को आद्योपान्त पढ़कर शुभकामना के रूप में आदरणीय रश्मि दीदी जी के अनमोल आशीष पुष्प को भी मैं तहेदिल से स्वीकार करती हूँ।
अन्त में मैं सम्माननीय रवीन्द्र प्रभात जी द्वारा मेरे भावानुरूप प्रेषित आत्मिक शुभकामना के प्रति आभार व्यक्त करते हुए प्रस्तुत करना चाहूँगी।
इस अवसर पर मुझे मेरे सम्माननीय ब्लोग्गर्स और पाठकों की प्रतिक्रिया का भी इंतजार रहेगा।
....... कविता रावत
--
"दो कुण्डलियाँ-बढ़ी फिर से मँहगाई"
पहले देखा फीलगुड, अब अच्छे का राज।
चेहरे की रंगत उड़ी, देख अटपटा काज।
देख अटपटा काज, बढ़ी फिर से मँहगाई।
ठगा गया है आम, खास की है बन आई।
कह मयंक कविराय, सोच की उभरी रेखा।
इतना बदतर हाल, नहीं है पहले देखा..
--
कार्टून :-
गुजरात मॉडल तो
पहले ही झटके में छा गया रे
--
"आज विनीत चाचा का जन्मदिन है"
चाचा जी खा लेओ मिठाई,
जन्मदिवस है आज तुम्हारा।
महके-चहके जीवन बगिया,
आलोकित हो जीवन सारा।।
--
--
"छोटे पुत्र विनीत का जन्मदिन"
बूढ़ीदादी-दादा जी भी,
अपने आशीषों को देंगे।
बदले में अपनें बच्चों की,
मुस्कानों से मन भर लेंगे।।
सुंदर पठनीय लिंक्स व प्रस्तुति , आ. शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंI.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स से सजा आज का चर्चा मंच |
अच्छी अच्छी रचनाएँ ,नहीं कोई प्रपंच ||
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
21.6.14 मन किससे बातें करता है ना जानू मैं अन्तरतम में, अवचेतन की सुप्त तहों में, अनचीन्हा, अनजाना अब तक, कौन छिपा सा रहता है ? मन किससे बातें करता है ? भले-बुरे का ज्ञान कराये, असमंजस में राह दिखाये, इस जीवन के निर्णय लेकर, जो भविष्य-पथ रचता है । मन किससे बातें करता है ? पीड़ा का आवेग, व्यग्रता, भावों का उद्वेग उमड़ता, भीषण आँधी, पर भूधर सा, अचल, अवस्थित रहता है । मन किससे बातें
जवाब देंहटाएंमन किससे बातें करता है ,पता चल जाए तो क्या बात है। दिवा स्वप्न देखा किया रोज़ ब रोज़
भाषा का कॉस्मोपोलिटन सेंटर है मुंबई हर बोर्ड हिंदी में मराठी में अंग्रज़ी में भी और भाषा का प्रदेश है तमिलनाडु का चैनई -भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान ,मद्रास को छोड़ के हर बोर्ड तमिल में। खूबसूरत इमारत भाषा एके जंगल में गम हो जाती है यहां कुए के मेढक टर्र टर्र करें हैं यहां
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंभाषा का कॉस्मोपोलिटन सेंटर है मुंबई हर बोर्ड हिंदी में मराठी में अंग्रज़ी में भी और भाषा का परदेश है तमिलनाडु का चैनई -भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान ,मद्रास को छोड़ के हर बोर्ड तमिल में। खूबसूरत इमारत भाषा के जंगल में गुम हो जाती है यहां कुए के मेढक टर्र टर्र करें हैं यहां।
विनीत को जन्मदिन पर शुभकामनाऐं । सुंदर चर्चा । 'उलूक' के सूत्र 'कहानी का सच सुना ना
जवाब देंहटाएंया सच की कहानी बता ना' को जगह देने के लिये आभार ।
सुंदर चर्चा...आभार !
जवाब देंहटाएंआभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स. मेरी रचना शामिल की आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा !
जवाब देंहटाएंविनीत को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.........
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कुछ तक जल्द पहुँचते है |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति में मेरी पूरी ब्लॉग पोस्ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंसादर
इस खूबसुरत चर्चा में मेरी रचना भी शामिल किये है ,इसके लिए आभार सर
जवाब देंहटाएंMujhe bhi is charcha me shamil karne ke liye abhar sir.....bahut prabhavshali links se parichay hua....
जवाब देंहटाएंHemant