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शनिवार, नवंबर 15, 2014

"मासूम किलकारी" {चर्चा - 1798}

मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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अँधेरा.....!!!! 

♥कुछ शब्‍द♥ पर निभा चौधरी 
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आँगन बाड़ी के हैं तारे।
बालक हैं  ये प्यारे-प्यारे।।

जो थे भारत भाग्य विधाता।
बच्चों से रखते थे नाता।।

सबसे अच्छे जग से न्यारे।
चाचा नेहरू सबको प्यारे।।
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बाल दिवस और चाचा नेहरू 

Fulbagiya पर डा. हेमंत कुमार 
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फ़रियाद 

JHAROKHA पर पूनम श्रीवास्तव 
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शब्द 

Kailash Sharma
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तुमको नेवलों से बचाना मेरा फ़र्ज़ है.. 

मुझसे डरो मत
मुझमें विषदंत नहीं हैं
मां के स्तनों में  अमिय ही तो था
जो मैने छक के पिया है..
पिता का दिया विशाल फ़लक
हां मित्र मैने हक़ से लिया है..
तुम्हारे पास सायुध आया हूं
तुममें बसे विषधर को मिटाने
मेरे गीत मेरे आयुध हैं..
जो विषधर के खिलाफ़ हैं.. 
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आधुनिकता की अंधी दौड़ 

शिखा और समीर इक्सिवीं सदी के युवा दोनों अपने अपने घर से दूर दिल्ली में नौकरी कर रहे थे ,पाश्चात्य सभ्यता से प्रभावित ,लगभग चार वर्ष से दिल्ली की एक पौश कालोनी में किराए पर जगह ले कर लिव इन रिलेशनशिप में रहना शुरू कर दिया था ,बिना शादी के इस तरह रहना आजकल फैशन बनता जा रहा है... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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अवधेस के द्वारे सकारे गई 

सुत गोद में भूपति लै निकसे .... 

अवलोकि हौं सोच बिमोचन को 
ठगि-सी रही, जे न ठगे धिक-से ॥
'तुलसी' मन-रंजन रंजित-अंजन नैन 
सुखंजन जातक-से ।
सजनी ससि में समसील 
उभै नवनील सरोरुह-से बिकसे... 
काव्य मंजूषापरस्वप्न मञ्जूषा 
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तजुर्बा हो गया हमको 

वो बचपन के महीनों का 

जवानी छोड़ रही पलपल...... 
अब संग महजबीनों का... 
Harash Mahajan 
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प्रेम मंदिर - वृन्दावन
आज आपको भगवान श्री कृष्णा को समर्पित श्री कृपालु जी महाराज द्वारा बनवाए गए उत्तर प्रदेश के मथुरा के वृन्दावन में स्थित प्रेम मंदिर लिए चलता हूँ ! 54 एकड़ में फैले इस विशाल मंदिर का शिलान्यास जनवरी 2001 में कृपालु जी द्वारा ही किया गया और ये 17 फरवरी 2012 को जनता के लिए खोला गया ! यूँ तो ये मंदिर भगवन श्री कृष्णा को समर्पित है किन्तु इस दो मंजिला मंदिर के भूतल पर भगवान कृष्णा राधा जी के साथ और प्रथम मंजिल पर भगवान श्री राम सीता जी के साथ विराजमान हैं ! मथुरा से वृन्दावन जाते समय अटल्ला चुंगी से वृन्दावन के परिक्रमा मार्ग पर ही इसका रास्ता है ! इस्कॉन मंदिर से बिलकुल विपरीत दिशा में चलते जाइए , आप प्रेम मंदिर पहुँच जाएंगे ! लेकिन समय का विशेष ध्यान रखियेगा क्यूंकि ये मंदिर दोपहर को 12 बजे बंद हो जाता है 

और फिर शाम को साढ़े चार बजे ही खुलता है ! 
कोशिश करियेगा कि अँधेरे में इस मंदिर को देखें , क्यूंकि जब इस पर रौशनी पड़ती है तो इसकी खूबसूरती हज़ार गुना बढ़ जाती है !
आज ज्यादा लिखूंगा नहीं , आइये फोटो देखते हैं ... 


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वक्त की अपनी रवानी है .......  
वक्त गुजारिश नहीं सुनता
वक्त सिफारिश नहीं सुनता
वक्त ख्वाहिश नहीं सुनता
वक्त गुन्जाईश नहीं सुनता
वक्त फरमाइश नहीं सुनता
वक्त ना धर्म सुनता है
वक्त ना पन्थ सुनता है
वक्त की अपनी रवानी है
ना उसका कोई सानी है
वक्त सुनता है तो
केवल कर्म सुनता है
वक्त चुनता है तो केवल
मेहनत का हमसफ़र चुनता है।

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर चर्चा । 'उलूक' के सूत्र ' 'मित्रों का वार्तालाप' को स्थान देने के लिये आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  2. खुबसूरत चर्चा..... मेरे कुछ शब्द को स्थान देने का शुक्रिया.....!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बाल दिवस की झलकियों युक्त सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर और रोचक सूत्र...सार्थक चर्चा...आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर सार्थक सूत्र, व्यवस्थित मंच ! बढ़िया चर्चा !

    जवाब देंहटाएं

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