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शनिवार, दिसंबर 13, 2014

"धर्म के रक्षको! मानवता के रक्षक बनो" (चर्चा-1826)

मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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दो कदम चल के 

मुझको इस दुनिया ने 
दिया भी तो क्या 
मेरी निष्ठा पर है सवाल लगा , 
कद्र-दाँ न मिला 
सारा गगन है झुका , 
ज़मीं है नहीं क़दमों तले...  
गीत-ग़ज़ल पर शारदा अरोरा 
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'हलो ,हलो,' - क्यों करते हैं ? 

'हलो ,हलो,' - क्यों करते हैं ? टेलिफ़ोन के आविष्कारक एलेक्ज़ेंडर ग्राहम बेल की मार्गरेट नाम धारिणी एक मित्र थीं जिनका पूरा नाम था मार्गरेट हलो . पर बेल साहब उन्हें 'हलो' कह कर पुकारते थे. ग्राहम बेल ने फ़ोन का आविष्कार सफल होने पर पहला संवाद किया तो यही नाम उनके मुख से निकला... 
लालित्यम् पर प्रतिभा सक्सेना 
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मोदी सरकार : 

जीने का अधिकार दे मरने का नहीं! 

धारा 309 -भारतीय दंड संहिता ,एक ऐसी धारा जो अपराध सफल होने को दण्डित न करके अपराध की असफलता को दण्डित करती है .यह धारा कहती है-
        '' जो कोई आत्महत्या करने का प्रयत्न करेगा और उस अपराध को करने के लिए कोई कार्य करेगा ,वह सादा कारावास से ,जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से ,या दोनों से दण्डित किया जायेगा .''
  और इस धारा की यही प्रकृति हमेशा से विवादास्पद रही है और इसीलिए उच्चतम न्यायालय ने पी.रथिनम् नागभूषण पटनायिक बनाम भारत संघ ए .आई .आर .१९९४ एस.सी.१८४४  के वाद में दिए गए अपने ऐतिहासिक निर्णय में दंड विधि का मानवीयकरण करते हुए अभिकथन किया है कि-
  ''व्यक्ति को मरने का अधिकार प्राप्त है .''... 
कानूनी ज्ञान पर Shalini Kaushik 
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अज़ीज़ जौनपुरी : 

न रोज खाता न उधार करता हूँ 

न रोज खाता हूँ न उधार करता हूँ 
न ग़मों को जिंदगी में सुमार करता हूँ... 
Aziz Jaunpuri 
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तूने नज़रें फेरी थी 

दिल में जो लगी आग तो माचिस तेरी थी,
पानी था तेरे पास पर तूने नज़रें फेरी थी ।

तेरी आग ने दिल की परतें उधेरी थी,
मैं जलता रहा गलती मेरी थी ।
Dipanshu Ranjan 
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478. सपनों के झोले... 

मुझे समेटते-समेटते    

एक दिन तुम बिखर जाओगे  
ढ़ह जाएगी तुम्हारी दुनिया  
शून्यता का आकाश   
कर लेगा अपनी गिरफ़्त में तुम्हें  
चाहकर भी न जी सकोगे  
न मर सकोगे तुम...,  
डॉ. जेन्नी शबनम 
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हम क्या हैं? 

कविता 

उनका प्रेम समंदर जैसा 
अपना एक बूंद भर पानी 
उनकी बातें अमृत जैसी 
अपनी हद से हद गुड़धानी...
Smart Indian 
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त्याग और समर्पण ही सच्चा प्रेम है 

एक स्त्री का जब जन्म होता है तभी से उसके लालन-पालन और संस्कारों में स्त्रीयोचित गुण डाले जाने लगते हैं| जैसे-जैसे वह बड़ी होती है उसके अन्दर वे गुण विकसित होने लगते हैं| प्रेम, धैर्य, समर्पण, त्याग ये सभी भावनाएँ... 
निर्झर पर Brijesh Neeraj 
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स्वस्थ रहना है तो सरल है उपाय 

मात्र कुछ नियम का पालन करने से 
रह सकते है बिलकुल स्वस्थ। 
1 सुबह उठकर 3 गिलास गर्म पानी 
चाय की तरह चुस्की लेते हुए पियें। 
2 ... 
नवनीत सिंघल 
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'तुम्हारा तुमको अर्पण' 

...मैंने इस बार तुम्हारे 
सब बेशकीमती हथियार तो 
स्वाद तो किरकिरा होगा ही… 
मत गुंधवाना आटा अब फिर मुझसे... 
vandana gupta 
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"दोहे-मन है कितना खिन्न" 

दोहे सूर-कबीर के, रही दीमकें चाट।
भजन और सत्संग से, मन हो रहा उचाट।।
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झीनी-झीनी चदरिया, लायें कहाँ से आज।
मँहगे कम्बल ओढ़ता, अब तो सकल समाज।।

8 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन और सार्थक लिंकों के साथ बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुति, आपका आभार आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति । 'उलूक' के सूत्र 'कभी कर भी लेना चाहिये वो सब कुछ जो नहीं करना होता है
    अपने खुद के कानूनो में' को स्थान देने के लिये आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  3. विविधवर्णी सूत्रों से रचित संतुलित चर्चा के लिए आभार ,मेरी रचना सम्मिलित की - कृतज्ञ हूँ 1

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर लिंक संयोजन .....आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया लिंक्स-सह-चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

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  6. SAAR GARBHIT VISHYON PAR LIKHE LEKHON KO HAMARE LIYE PADHNE HETU EK JAGAH EKATRIT AAPNE KIYA USKE LIYE DHANYWAD ! OR AABHAAR BHI !

    जवाब देंहटाएं
  7. लिंक्स भी पसंद आये। ।और शुक्रिया ....

    जवाब देंहटाएं

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