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रविवार, दिसंबर 07, 2014

"6 दिसंबर का महत्व..भूल जाना अच्छा है" (चर्चा-1820)

मित्रों।
रविवासरीय चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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6 दिसंबर का महत्व 

6 दिसंबर का महत्व 
हिंदुओं के लिये भी मुस्लिम के लिये भी है। 
पर एक हिंदूस्तानी के लिये 
इस का महत्व 0 है। 
जो भी हुआ है कल 
भूल जाना अच्छा है... 
मन का मंथन। पर kuldeep thakur 
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सवाल केवल बाबरी मस्जिद का नहीं 
बल्कि नफ़रत की खेती का 
मर्यादा पुरषोत्तम राम के अस्तित पर यहाँ कोई सवाल नहीं है, सवाल उनके आस्तित्व पर है भी नहीं... बल्कि देश के बुज़ुर्ग होने के नाते उनके लिए दिलों में मुहब्बत और सम्मान है! सवाल सिर्फ यह है कि आखिर ऐसी क्या वजह रहीं कि हमारे रिश्ते इतने खराब हुए कि हम इस अविश्वसनीय कृत्य को अपने देश में होते हुए देखने पर मजबूर हुए? 
सवाल बाबरी मस्जिद के शहीद होने का नहीं है, बल्कि एक-दूसरे पर एतमाद के टूटने का है... 
प्रेमरस प रShah Nawaz 

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बाबरी मस्जिद हादसे के बाद 
इसलाम के क़रीब आए हिन्दू 

Blog News पर DR. ANWER JAMAL

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सो जा बिटिया रानी! 

॥ दर्शन-प्राशन ॥ पर प्रतुल वशिष्ठ 
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ओ मनमीत 

Sudhinama पर sadhana vaid 
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आदत सी हो गई है i 

Akanksha पर 

akanksha-asha.blog spot.com 
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१४७. नाविक से 

बीच समंदर में किनारे से दूर, 
अपनी नाव में एकाकी, 
क्या तुम्हें डर नहीं लगता ? 
जब लहरों के बीच 
तुम्हारी नाव डगमगाती है, 
तुम गीत कैसे गा लेते हो ?... 
कविताएँ पर Onkar
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मैं देखना चाहता हूँ समुद्र को 
और उन उठती गिरती लहरों को 
जिनके बारे में पढ़ा है 
किताबों में अखबारों में 
जिन्हें देखा है 
सिर्फ तस्वीरों में कल्पना में 
और कुछ सपनों में..... 

जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash 
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नेपोलियन का पत्र डिजायरी के नाम 

(नेपोलियन: जिसने प्यार और युद्ध दोनों में मैदान जीते...असंभव शब्द जिसके कोश में नहीं था...वही प्यार के सम्मुख किस तरह घुटने टेककर गिड़गिड़ाता है)... 
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शरारती बचपन पर sunil kumar 
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तुम्हें कहानी का पात्र बनाऊँ 

या रखूँ तुमसे सहानुभूति 
जाने क्या सोच लिया तुमने 
जाने क्या समझ लिया मैंने 
अब सोच और समझ 
दोनों में जारी है झगड़ा 
रस्सी को अपनी तरफ 
खींचने की कोशिश में... 
vandana gupta
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जीने नहीं देता मुझे गरूर शख्स का 

भूला नहीं हूँ अब तलक सरूर शख्स का | 
ये हिचकियाँ आतीं मुझे यूँ रोज़ रात भर, 
शायद मिजाज़ बदला है ज़रूर शख्स का... 
Harash Mahajan 
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शाख़ तो शाख़ है .... 

आपका ब्लॉग पर इंतज़ार 
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नृशंसता का यथार्थ ! 

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
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आल्हा या वीर छंद 

प्रेम भाव और सत्य अहिंसा, नीति हमारी रही महान 
विश्व बन्धु है हम यह कहते,सदा चले हम ऐसा मान

छेड़ा हमको किन्तु किसी ने, तो उसकी आफ़त में जान
यम सम बनकर टूट पड़ें जो, ऐसे अपने वीर जवान... 
निर्दोष दीक्षित 
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बिताये हुये पल 

ताये थे जो पल, कभी संग तेरे, 
वो बनकर उमड़ते हैं, यादों के बादल ।  
बड़ी सोहती है, वो छाहों की ठंडक, 
रहूँ काश ऐसी, बहारों में हर पल ।। १।।... 
प्रवीण पाण्डेय 
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माँ .....तेरे जाने के बाद 

जब मै जन्मा मेरे लब पर, 
सबसे पहले तेरा नाम आया,
बचपन से जवानी तक, 
हर पल तेरे साथ बिताया.
लेकिन पता नहीं, 
तू कहा चली गयी रुशवा होकर,
कि आज तक तेरा, 
कोई पौगाम ना आया.
ऋषभ शुक्ला 
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जीवन के उस पतझड़ में 

...वही पग-पग पर बने सहारे
गर्व से झूम उठते थे बेचारे
वृद्ध अवस्था अभिशाप नहीं है
फिर क्यों शाप सा आज हुआ है
सुपुत्र वही जो  फर्ज निभाए
माता-पिता को सम्मान दे पाये.. 
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नवगीत ( 2 ) 

यद्यपि मैं ज्ञानी अपूर्व हूँ... 

मेरा बगुला-भगत से नाता , 
हर सियार मेरा लघु भ्राता , 
कथरी ओढ़ के पीता हूँ घी , 
एड़ा बनकर पेड़ा खाता , 
मैं जानूँ कितना मैं धूर्त हूँ ?... 
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आखिर कैमरे पर पकड़े गए केजरीवाल ! 

आधा सच... पर महेन्द्र श्रीवास्तव
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अभिशप्त माया 

व्योम के पार पर अल्पना वर्मा 
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दूरियां 

मोहब्बत में दूरियां 
अहम किरदार निभाती हैं 
पास आने की ख्वाहिश को 
हर पल जगाती हैं 
अपनी चाहत से दूर रहना 
मुश्किल होता है बहुत 
पर नजदीकियों की कीमत 
दूरियां ही बताती हैं... 
उड़ान पर Anusha Mishra 
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12 टिप्‍पणियां:

  1. सुब्रभात...
    सुंदर चर्चा...
    मेरी रचना को मान दिया आप का बहुत बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर चर्चा । आभार 'उलूक' का सूत्र 'लेखक पाठक गिनता है पाठक लेखक की गिनती को गिनता है' को स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी रचना ''नवगीत ( 2 ) यद्यपि मैं ज्ञानी अपूर्व हूँ... '' को शामिल करने का बहुत धन्यवाद , मयंक जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर चर्चा मंच-
    आभार गुरु जी -
    स्वस्थ हूँ-सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खूबसूरत लिंक्स से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  7. मैं हू ना एक सामाजिक संस्था है। ये संस्था समाज के हर तबके के लिए काम करेगी। आज ही इसका एक ब्लाग बनाया गया है।अगर आप सभी का स्नेह मिलेगा तो हम इसके जरिए बहुत कुछ करने में कामयाब होंगे ....

    चर्चामंच नए ब्लागर के लिए बहुत ही सहायक है, मैं आपका स्नेह चाहता हूं।

    जवाब देंहटाएं
  8. साड़ी रचनाएँ एक से बढ़कर एक हैं, मेरी रचना को स्थान देने के लिये हार्दिक आभार.

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन संकलन मेंमेरी रचना को भी शामिल करने केलिए आपको धन्यवाद सर

    जवाब देंहटाएं

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