ओले गोले सा बरस, चौपट करते खेत |
गलते थोड़ी देर में, मिटते फसल समेत |
मिटते फसल समेत, फिदाइन इनकी फितरत।
पहुँचाना नुक्सान, हमेशा रखते हसरत ।
बड़े अधम ये लोग, जहर दुनिया में घोले ।
होता रविकर खेत, पड़े बेमौसम ओले ॥।
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रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
देश-प्रेम के लिए न्योछावर,
हँस-हँस अपने प्राण करेंगे। हम भारत के भाग्य विधाता, नया राष्ट्र निर्माण करेंगे।। गौतम, गाँधी, इन्दिरा जी की, हम ही तो तस्वीर हैं, हम भारत के वीर हैं, नया राष्ट्र निर्माण करेंगे। हम भारत के भाग्य विधाता, नया राष्ट्र निर्माण करेंगे।। |
सार्थक लिंकों के साथ बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंआदरणीय रविकर जी आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
सार्थक चर्चा
जवाब देंहटाएंनववर्ष की बधाई।
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआभार!
बहुत सुंदर चर्चा । आभारी हूँ रविकर जी 'उलूक' के सूत्र 'है तो अच्छा है नहीं है तो बहुत अच्छा है" को जगह देने के लिये ।बंदरों के उत्पात से नेट नहीं चल पा रहा है कई दिनों से अन्य ब्लागों पर ना जाने का खेद है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा।
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