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शुक्रवार, जनवरी 30, 2015

"कन्या भ्रूण हत्या"(चर्चा-1874)

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है।
कन्या भ्रूण हत्या, लड़कों को प्राथमिकता देने तथा कन्या जन्म से जुड़े निम्न मूल्य के कारण जान बूझकर की गई कन्या शिशु की हत्या होती है। ये प्रथाएं उन क्षेत्रों में होती हैं जहां सांस्कृतिक मूल्य लड़के को कन्या की तुलना में अधिक महत्व देते हैं।लेकिन यह स्त्री-विरोधी नज़रिया किसी भी रूप में गरीब परिवारों तक ही सीमित नहीं है। भेदभाव के पीछे सांस्कृतिक मान्यताओं एवं सामाजिक नियमों का अधिक हाथ होता है। यदि यह प्रथा बन्द करना है तो इन नियमों को ही चुनौती देनी होगी। इस कुरीति को समाप्त करने तथा हमें अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना ही होगा। हमारे देश की यह एक अजीब विडंबना है कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद समाज में कन्या-भ्रूण हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। (आइये एक संकल्प लेते हैं ,कन्या भ्रूण -हत्या एक जघन्य अपराध है ,हम सभी को मिलकर साँझा प्रयत्नों एवं जन जाग्रती द्वारा इस कु -कृत्य को जड़ से उखाड़ने के समस्त प्रयत्न करेंगें !यही समय की मांग है !!)
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शलिनी कौशिक 
उच्चतम न्यायालय की खंडपीठ का कन्याभ्रूण हत्या को लेकर सुनवाई का समय निश्चित करना और लिंग अनुपात में आ रही कमी को लेकर चिंता जताना सराहनीय पहल है .आज कन्या भ्रूण हत्या जोरों पर है और लिंग-जाँच पर कानूनी रूप से प्रतिबन्ध लगाया जाना और इसे अवैध व् गैरकानूनी घोषित किया जाना भी इसे नहीं रोक पाया है
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विजय लक्ष्मी 
पुरानी गुजरी हुयी कुछ यादे सिमटी है मुझमे ,
या कह दूं चस्पा है कुछ इस तरह 
उतारे से भी नहीं उतरेंगी ..
मेरे दरवाजे से तेरे शहर तक जो रास्ता है न 
कितनी बार चली जाती हूँ उसी मोड़ तक 
तुमसे मिलने की चाहत लिए लौट आई थी
प्रवीण चोपड़ा 
जी हां, सुंदर और आकर्षक बनने के लिए करवाई जाने वाली प्लास्टिक सर्जरी का देश में ..विशेषकर बड़े शहरों में कितना क्रेज़ है..इस का अनुमान लगाने के लिए हमें किसी अखबार के पन्नों को उलटना-पलटना होगा।
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प्रियंका जैन 
"सपनों का अपना रंग होता है.. तेज़ धूप और बारिश में बिखर जाते हैं..कोमल तंतु.. जाड़े में..हाँ..हाँ.. नर्म..मुलायम जाड़े में तो किनारे खिल उठते हैं..!!
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उदय वीर सिंह 
मेरे कर मिट्टी का घट है
पर अमृत से संतृप्त सुघर
घट कनक तुम्हारे हाथों मेँ
विष विद्वेष से छलके भरकर -
राजीव कुमार झा 
तिब्बत आज भी रहस्यमय और अलौकिक विद्याओं का केंद्र माना जाता है.भारतीय योगी भी अपनी साधना के लिए हिमालय के दुर्गम और सामान्य मनुष्य की पहुंच के बाहर वाले क्षेत्रों को ही चुनते हैं.
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अर्चना तिवारी 
“हेलो ऋतु ! मैं पार्क में तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ, तुम आ रही हो ना ?”
“आ रही हूँ ! माय फुट ! मैं तो तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखना चाहती !”
“इतनी नाराज़गी ! “देखो, हम लिव इन रिलेशनशिप तो रख ही सकते हैं, और अब तो इसका चलन भी है।”
पूजा उपध्याय 
सुनो, मुझे एक बार प्यार से तोस्का बुलाओगे? जाने कैसे तो तुमसे बात करते हुए बात निकल गयी...कि मुझे भी अपने किरदारों के नाम रखने में सबसे ज्यादा दिक्कत होती
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
1.
कोई सूरत न दिखे अपनी रिहाई की अब,
क़ैद करके हमें पलकें वो उठाती ही नहीं।
2.
क्या रंग था रुत्बा था हम भी बादशाह थे,
होश आया तो जाना के मय की अहमियत है क्या।
अनीता जी 
मोह के कारण दुनिया में सारे दुःख हैं. मोह तभी टूटता है जब स्वयं का ज्ञान होता है. परमात्मा की कृपा से ही यह सम्भव होता है, उसकी कृपा का कोई विकल्प नहीं. लेकिन कोई यदि इस बात का भरोसा न करे तो उसे धीरे-धीरे ही समझाना होगा. अध्यात्म का मार्ग धैर्य का मार्ग है. सभी के भीतर वही एक ही सत्ता है,
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 (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
दोहा, मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में १३-१३ मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में ११-११ मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में जगण (।ऽ।) नहीं होना चाहिए। सम चरणों के अन्त में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है अर्थात अन्त में लघु होता है।
उदाहरण-
मन में जब तक आपके, होगा शब्द-अभाव।
दोहे में तब तक नहीं, होंगे पुलकित भाव।१।
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गति-यति, सुर-लय-ताल सब, हैं दोहे के अंग।
कविता रचने के लिए, इनको रखना संग।२।
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वीरेन्द्र कुमार शर्मा
In 'I am ' so and so ,I am is 'Krishna' ,the Supreme reality and 'so and so' is Arjuna ,the confused embodied one .Focus on more and more on this 'pure I am
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एक कथा है कि विष्णु जी के अवतार नर और नारायण (लिंक) ने बदरीनाथ धाम में शिव जी का शिवलिंग स्थापित कर, उनकी उपासना की थी। लम्बी और कठिन तपस्या के बाद शिव जी प्रकट हुए , और उन्हें कहा कि आप तो स्वयं ही पूज्य हैं, आप यह कठिन तप क्यों कर रहे हैं। फिर भी जब आपने हमारा ध्यान करते हुए तप किया है , तो आप जो भी हमसे चाहें वह मांगें।
रेखा जोशी 
प्यार में अब सनम हर ख़ुशी मिल गई
ज़िंदगी की कसम ज़िंदगी मिल गई
तुम मिले छा गई अब बहारें यहाँ
हसरतों को बलम ज़िंदगी मिल गई
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आशा सक्सेना 
बंजर भूमि
वनस्पति के बिना 
दुखी है प्रजा !

स्वप्न में आये 
हरियाये पल्लव 
मन हर्षाये !
मोहन श्रीवास्तव 
जहां भी देखूँ तुम ही तुम हो,
आती जाती इन श्वाशों में । 
तुम हर पल याद आती हमें ,
तुम अपने सुनहरे वादों में ॥
विंध्याचल तिवारी 
विधि ~जब किसी को सर्प काट ले, तब फौरन काफी तंदुरुस्त पांच बलवान आदमियों को वहां ले आओ ! सर्प काटे हुए व्यक्ति को बैठा दो ! एक एक आदमी एक एक पैर दबा लें , एक एक आदमी दोनो हाथ पकड़ ले ताकि वह व्यक्ति , जिसे सर्प ने काटा हैं ,बिलकुल हिल डूल न सके !
प्रतिभा वर्मा 
आज किनारे पर बैठकर
समंदर की लहरो को देखा
तो ख्याल आया 
कहीं न कहीं ये समंदर
तुम्हे छू रहा होगा
कुछ अलग ही एहसास था
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14 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  2. "कन्या भ्रूण हत्या, लड़कों को प्राथमिकता देने तथा कन्या जन्म से जुड़े निम्न मूल्य के कारण जान बूझकर की गई कन्या शिशु की हत्या होती है। ये प्रथाएं उन क्षेत्रों में होती हैं जहां सांस्कृतिक मूल्य लड़के को कन्या की तुलना में अधिक महत्व देते हैं।लेकिन यह स्त्री-विरोधी नज़रिया किसी भी रूप में गरीब परिवारों तक ही सीमित नहीं है। भेदभाव के पीछे सांस्कृतिक मान्यताओं एवं सामाजिक नियमों का अधिक हाथ होता है। यदि यह प्रथा बन्द करना है तो इन नियमों को ही चुनौती देनी होगी। इस कुरीति को समाप्त करने तथा हमें अपने दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना ही होगा। हमारे देश की यह एक अजीब विडंबना है कि सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद समाज में कन्या-भ्रूण हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। (आइये एक संकल्प लेते हैं ,कन्या भ्रूण -हत्या एक जघन्य अपराध है ,हम सभी को मिलकर साँझा प्रयत्नों एवं जन जाग्रती द्वारा इस कु -कृत्य को जड़ से उखाड़ने के समस्त प्रयत्न करेंगें !यही समय की मांग है !!)"
    सार्थक सन्देश के साथ सुन्दर चर्चा।
    सभी लिंकों का चयन बहुत सावधानी से किया गया है।
    --
    आपका आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात राजेन्द्र जी, बेटी बचाओ अभियान में सभी को सहयोग देना होगा. आज की चर्चा में मुझे शामिल करने के लिए आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर चर्चा सूत्र.
    'देहात' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. आज की चर्चा में मुझे शामिल करने के लिए आभार ! बहुत बढ़िया चर्चा !!!

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर चचर्चा....
    आभार आप का।

    जवाब देंहटाएं
  8. श्रेष्ठजनों,
    मुङो सूचित किया गया था कि मेरे ब्लॉग अ-शब्द से मेरा ताजा पोस्ट ‘गोरेपन की देवी को एक सांवली लडकी का खत’ को इस चर्चा में शामिल किया जाएगा. पता नहीं फिर क्या हुआ?

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    उत्तर
    1. आपकी पोस्ट की कल दिनाँक 29/01/2014 में चर्चा की गई है । कृपया http://charchamanch.blogspot.in/2015/01/1873.html देखें ।

      हटाएं
  9. धन्यवाद... लिंक बहुत बढ़िया लगे।

    जवाब देंहटाएं
  10. धन्यवाद राजेंद्र कुमार जी..!!

    सादर आभार..!!

    जवाब देंहटाएं

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