मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
आज फिर सपना देखा
आज फिर सपना देखा मज़हब से आतंक
राजनीति से अपराध
व्यापार से कालाधन
दफ्तरों से भ्रष्टाचार
अंचलों से बेरोजगारी
शहरों से गरीबी
गलियों से गुंडे
सरकार से झूठ
समाप्त हो गए !...
आज फिर सपना देखा मज़हब से आतंक
राजनीति से अपराध
व्यापार से कालाधन
दफ्तरों से भ्रष्टाचार
अंचलों से बेरोजगारी
शहरों से गरीबी
गलियों से गुंडे
सरकार से झूठ
समाप्त हो गए !...
--
अपने गम को भुलाएँ,
नए साल में आप हम मुस्कुराएँ,
नए साल में बेबसी का
रहे अब न नामों निशाँ
दूर हों सब बलाएँ, नए साल में...
नए साल में आप हम मुस्कुराएँ,
नए साल में बेबसी का
रहे अब न नामों निशाँ
दूर हों सब बलाएँ, नए साल में...
--
शिक्षा --------
देश के आवाम के सामने बड़ा प्रश्न
शरारती बचपन पर sunil kumar
--जग जग जाग जाग जन जाना।
पग पग पाहन पीयूष पान पाते।
नित नेम नियम नम हो निभाते।।
जग जगत सुत मान नवल पाते।
बिसतंतु बन मानस हंस लुभाते।।
पग पग जरत रहत करम साना।
जग जग जाग जाग जन जाना।।1।...
स्व रचना पर
Girijashankar Tiwari
--
.....300 रू. के बिल पर समय अंकित था 10.26 और 1605 रू. के बिल पर 10.24, दोनों बिलों के अटेंडरों के नाम भी अलग थे, दोनों बिलों पर भरने वाली मशीन का आई.डी. भी होता है, वह भी अलग अलग था, इस विश्लेषण तक नाईट्रोजन भर चुकी थी, हमने गाड़ी रिवर्स करी, पार्किंग करके बेटेलाल को साथ लिया और मैनेजर के केबिन की और चल दिये, तो पता चला कि मैनेजर अभी तक आये नहीं हैं, वहाँ खड़े एक व्यक्ति ने कहा कि मैं सुपरवाईजर हूँ बताईये क्या समस्या है, उसे हमारी बात में तर्क लगा, उसने दोनों बिल ले लिये और पीछे हमारी गाड़ी का नंबर लिखा, हमने अपना मोबाईल नंबर भी लिखवाया और कहा कि मैनेजर से हमारी बात करवाईयेगा, उसने चुपचाप हमें 300 रू. नगद वापस कर दिये।...
--
--
--
--
--
--
कुछ पल अपने
दिन तो बीता आपाधापी,
यथारूप हर चिंता व्यापी,
कार्य कुपोषित, व्यस्त अवस्था,
अधिकारों से त्रस्त व्यवस्था,
होड़, दौड़ का ओढ़ चढ़ाये,
अवसादों का कोढ़ छिपाये,
कौन मौन अन्तर्मन साधे,
मन के तथ्यों से घबराते,
लगे सभी जब जीवन जपने,
कुछ पल अपने।१।...
यथारूप हर चिंता व्यापी,
कार्य कुपोषित, व्यस्त अवस्था,
अधिकारों से त्रस्त व्यवस्था,
होड़, दौड़ का ओढ़ चढ़ाये,
अवसादों का कोढ़ छिपाये,
कौन मौन अन्तर्मन साधे,
मन के तथ्यों से घबराते,
लगे सभी जब जीवन जपने,
कुछ पल अपने।१।...
प्रवीण पाण्डेय
--
--
सुंदर मुंदरिये, तेरा कौन बेचारा
...हैप्पी लोहड़ी और मकर संक्राति सभी को !!दूल्हा भट्टी की भी जय बोले और नयी पीढ़ी को इनकी कहानी भी सुना दे लोहड़ी की सभी गानों को दुल्ला भट्टी से ही जुड़ा ,लोहड़ी के गानों का केंद्र बिंदु दुल्ला भट्टी को ही बनाया जाता हैं। दुल्ला भट्टी मुग़ल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था। उसे पंजाब के नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था! उस समय संदल बार के जगह पर लड़कियों को गुलामी के लिए बल पूर्वक अमीर लोगों को बेच जाता था जिसे दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत लड़कियों को न की मुक्त ही करवाया बल्कि उनकी शादी की हिन्दू लडको से करवाई और उनके शादी के सभी व्यवस्था भी करवाई। दुल्ला भट्टी एक विद्रोही था और जिसकी वंशवली भट्टी राजपूत थे। उसके पूर्वज पिंडी भट्टियों के शासक थे जो की संदल बार में था अब संदल बार पकिस्तान में स्थित हैं ,नेक काम जग में नाम
ranjana bhatia
--
हिम्मत है फौलाद
[कुण्डलिया ]
बच्चा वो नादान है, लेकिन मन में चाह
झंडा लेकर हाथ में, निकला अपनी राह...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
--
--
अभी हार मत मानो !
असफलता से मिलेगी ;
राह सफलता की ,
है जरूरत नर नहीं ;
किंचित विकलता की ,
खुद में छिपी जो शक्ति है ,
उसको तो पहचानो !
अभी हार मत मानो !...
ASSOCIATION पर shikha kaushik
--
----- ॥ ज्ञान -गंगा ॥ -----
आत्महत्या यद्यपि एक अपराधिक कृत्य है
तथापि वह दंडनीय नहीं है ॥
यह एक समस्या है
कार्य कारन व् निवारण ही इसका समाधान है...
NEET-NEET पर
Neetu Singhal
--
संत -नेता उवाच !
वर्त्तमान समय में हर देश इस बात पर जोर दे रहां है
कि किस प्रकार देश की जनसंख्या वृद्धि को
नियंत्रित किया जाय l
जनसंख्या वृद्धि दर कम होगी तो
देश की विकास योजनायें सफल होगी...
अनुभूति पर कालीपद "प्रसाद"
--
--
एक लघु कथा
" तुम ’*राम’* को मानते हो ?-एक सिरफिरे ने पूछा -"नहीं"- मैने कहा उसने मुझे गोली मार दी क्योकि मै उसकी सोच का हमसफ़ीर नहीं था और उसे स्वर्ग चाहिए था "तुम ’*रहीम’ *को मानते हो ?"...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
--
सत्यमेव जयते...??
जिस देश में आतंकवादियों को प्रशय दिया जाता हो, राजनीतिक पार्टियों में टिकट दिया जाता हो . वोटों की लालच में उनका तुष्टिकरण किया जाता हो , उस देश में पत्रकार सत्य बोलकर या लिखकर क्या करेगा?...
--
मेरा अमरूद उनको
केला नजर आता है
मैं चेहरा दिखाता हूँ
वो बंदर चिल्लाता है
मैं प्यार दिखाता हूँ...
--
श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर
....शास्त्री जी के महान व्यक्तित्व ने हमारे दिलों पर उस समय जो गहरी छाप छोड़ी थी उसके निशान आज भी बरकरार है |
सुखमंगल मंगल हो "चर्चा मंच", यही म्हारी कामना |
जवाब देंहटाएंसुख समृद्धि संस्कृति संस्कृत भाए हो सबकी भावना ||
बढ़िया लिंक्स...मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स..
जवाब देंहटाएंविंडोज 10 के टॉप 8 फीचर्स ......... मेरी पोस्ट को चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार!
very nice presentation of links .thanks
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तृत और रोचक लिंक्स...आभार
जवाब देंहटाएंआ. शास्त्री जी, नमस्कार! सुंदर चर्चा, पठनीय लिंक्स...मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका आभार।
जवाब देंहटाएंgood sir !!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना ''मुक्त-ग़ज़ल मशहूर को जहां से गुमनाम बना डाला'' को चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार! आदरणीय मयंक जी !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा ,मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए देरों धन्यवाद सर
जवाब देंहटाएं