नहीं शाम में देर है, फिर भी करे बवाल ।
काल-रात्रि सिर पर खड़ी, करती खड़े सवाल।
करती खड़े सवाल, होय हरबार सवेरा।
लगा रहा रे जीव, युगों से जग का फेरा ।
इन्तजार दे छोड़, लगो अब इंतजाम में ।
होगा काम-तमाम, देर अब नहीं शाम में ।।
|
Neeraj Kumar Neer
|
shikha kaushik
|
alok chantia
|
प्रवीण पाण्डेय
|
|
vandana gupta
--
हसरतो का कटा फटा जामा पहनें
आँखों में तल्ख जाम छुपाये हुए
ज़िन्दगी की लम्बी रेस में दौड़ते हुए
ये नन्हे घोड़े ...
जिनके दूध के दांत नहीं टूटे
अफ़सोस... मेरे मुल्क के बच्चे हैं !!
Lekhika 'Pari M Shlok'
|
संगीता स्वरुप ( गीत )
|
टेसू चिन्तित हो रहा, सरसों हुई उदास।
सरदी में कैसे उगे, जीवन में उल्लास।।...
|
सुंदर सूत्र सुंदर संयोजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सूत्र ... आभार काव्यसुधा को शामिल करने ....
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स-सह चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
उम्दा लिंक्स
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों से सजी चर्चा।
जवाब देंहटाएंबसन्त की तरह रंग-बिरंगी सार्थक चर्चा।
जवाब देंहटाएं--
आपका आभार आदरणीय रविकर जी।