मित्रों।
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शनिवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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"विवध दोहावली-नूतन वर्ष"
आया नूतन वर्ष तो, ठहर गयी रफ्तार।
नभ पर बादल छा रहे, शीतलता की मार।१।
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झूम रहा है हर्ष से, अब सम्पूर्ण समाज।
आशाएँ मन में बढ़ीं, नये साल से आज।२।...
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नए स्वप्न ले नयन में
कुण्डलियाँ : डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
1
नए स्वप्न ले नयन में ,अधरों पर मुस्कान ,
समय-सखा फिर आ गया ,पहन नवल परिधान ।
पहन नवल परिधान , बजी है शहनाई -सी ,
तुहिन आवरण ओढ़ , धरा है शरमाई- सी ।
किरण-करों से कौन , भला घूँघट पट खोले ,
धरा नतमुखी मौन , मुदित है नए स्वप्न ले ।।...
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नववर्ष पर शुभकामनाएं
नव वर्ष का शुभ प्रभात,
नव स्वर्णिम आभा से भर दे ।
नव दृष्टिकोण नव लक्ष्य सहित ,
पंछी को ऊंचा अम्बर दे...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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मेरे इश्क की दुल्हन
श्रृंगार विहीन होने पर ही
सुन्दर लगा करती है
फिर नज़र के टीके के लिए
रात की स्याही कौन लगाये
बस चाँद का फूल ही काफी है
उसके केशों में सजने को ...
vandana gupta
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खोखले
आज दरिया में पत्थर तैरते देखा
क्या पत्थर भी
वायदों की तरह खोखले हो गए हैं?...
कविता-एक कोशिश पर नीलांश
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नूतन साल
(नव वर्ष पर 7 हाइकु)
1.
वक़्त सरका
लम्हा भर को रुका
यादें दे गया !
2.
फूल खिलेंगे
तिथियों के बाग़ में
खुशबू देंगे !
3...
डॉ. जेन्नी शबनम
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....जो लड़की आज सरेआम सड़क किनारे अपने प्रेमी के साथ किस कर रही थी। उसको 14 फरवरी के दिन होने वाले हिंदू संगठनों के हमले याद नहीं होंगे। अगले महीने 14 फरवरी का दिन आने वाला है। अब पूरे देश में सरकार भी हिंदूत्व प्रेमियों की है। इस स्थिति में देश के पार्कों में दीवानों के मेले लगेंगे या हिंदू संगठनों का रौब कायम होगा। अंजाम देखने के लिए इंतजार तो करना होगा। हालांकि, आज नूतन वर्ष की बधाई के सामने आया, दोस्त का जवाब आने वाले कल की ख़बर दे रहा है।
--सांवरे की मनुहार
वसुधा मिली थी भोर से जब, ओढ़ चुनरी लाल सी।
पनघट चली राधा लजीली, हंसिनी की चाल सी।।
पनघट चली राधा लजीली, हंसिनी की चाल सी।।
इत वो ठिठोली कर रही थी, गोपियों के साथ में ।
नटखट कन्हैया उत छुपे थे, कंकड़ी ले हाथ में ।१।...
नटखट कन्हैया उत छुपे थे, कंकड़ी ले हाथ में ।१।...
मधुर गुंजन पर
ऋता शेखर मधु
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नवगीत (14)
व्यर्थ रहूँ उससे आकर्षित ॥
व्यर्थ रहूँ उससे आकर्षित ॥
जिसको पाना सूर्य पे जाना ।
भर बारिश में पतंग उड़ाना ।
जिसने मुझको स्वयं रखा है –
पाने से पहले आवर्जित...
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ये: भगवा लबादे...
शहर के इरादे ग़लत तो नहीं हैं ?
कहीं इश्क़ज़ादे ग़लत तो नहीं हैं ?
बयाज़े-नज़र में बयां कुछ नहीं है
ये: सफ़हात सादे ग़लत तो नहीं हैं...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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----- ॥ उत्तर-काण्ड २६ ॥ -----
* बृहस्पतिवार, ०१ जनवरी, २०१५ *
*मत्स्यावतार तुम्ह धारे ।
श्रुति रच्छत संखासुर मारे ॥ *
*माह पुरुख तुम सब कुल मूला ।
तुहरेहि सँग जगत फल फूला ॥...
NEET-NEET पर
Neetu Singhal
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मैं कबीर की इज्जत करता हूँ
मुझे कोई आइना दिखाता है
तो मैं आइने में
अपनी शक्ल देखने के बाद
मुँह धोने नहीं जाता!
दौड़ा कर मारना चाहता हूँ
मुझे लगता है
आइना दिखाने वाला पी के है...
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लोग इतना क़रीब रहकर भी
दूरियां कैसे बना लेते हैं
बात करना तो बड़ी बात हुई,
देखकर आँख चुरा लेते हैं।
फ़ासिला तीन और पाँच का मिटे कैसे,
चार दीवार खड़ी बीच से हटे कैसे,
मेरी नाकामयाब कोशिश पे,
लोग हँसते हैं, मज़ा लेते हैं...
देखकर आँख चुरा लेते हैं।
फ़ासिला तीन और पाँच का मिटे कैसे,
चार दीवार खड़ी बीच से हटे कैसे,
मेरी नाकामयाब कोशिश पे,
लोग हँसते हैं, मज़ा लेते हैं...
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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नये साल के बहाने…
.....कई तरह की भावनाओं, मंथन, अनसुलझे सवालों के साथ शुरु हुआ था साल का पहला दिन। प्यार, दोस्ती, परिवार… ये सब कभी दूर तो कभी मेरे साथ नजर आते हैं। एक बार फिर अफसोस कर लिया अपनी भूलों पर, उदास कर लिया दिल कमियों पर, गर्व कर लिया उस पर जो पास है या जो पाया। आँसुओं से धो दिया खूबसूरत गलतफ़हमियों को और मुस्कुरा ली वर्तमान पर। यूँ तो कोई अन्तर नहीं इस दिन में और बाकि दिनों में पर नये साल के बहाने से ही क्या पता दिल संभल जाए और दिमाग ठिकाने आ जाए।
लेखिका
.....कई तरह की भावनाओं, मंथन, अनसुलझे सवालों के साथ शुरु हुआ था साल का पहला दिन। प्यार, दोस्ती, परिवार… ये सब कभी दूर तो कभी मेरे साथ नजर आते हैं। एक बार फिर अफसोस कर लिया अपनी भूलों पर, उदास कर लिया दिल कमियों पर, गर्व कर लिया उस पर जो पास है या जो पाया। आँसुओं से धो दिया खूबसूरत गलतफ़हमियों को और मुस्कुरा ली वर्तमान पर। यूँ तो कोई अन्तर नहीं इस दिन में और बाकि दिनों में पर नये साल के बहाने से ही क्या पता दिल संभल जाए और दिमाग ठिकाने आ जाए।
लेखिका
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नए साल का पहला दिन तुम्हें मुबारक.....
सभी ब्लॉगर साथियों को
नववर्ष की बधाई और शुभकामनाएं...
'साल की आखिरी शाम मुबारक हो' ....
ढलते सूरज को देखना...
कितना खूबसूरत लगेगा,
मेरी आंखें भी टिकी रहेंगी उस नारंगी गोले पर।
साल की अंतिम शाम ढलने से ठीक पहले कहा था उसने,
मगर बादलों ने न पूरी होने दी कही बात, न मेरा वादा।
नए वर्ष का पहला दिन.....
सूरज अाज भी छुपा रहा..
जाते साल की तरह...
रूप-अरूप
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कुछ यूं आये साल नया
कुछ ख्वाब अधूरे हों पूरे,
कुछ नयी उम्मीदें पलें दामन में
कुछ बिगडी बाते बन जायें,
कुछ नये रिश्ते महके आंगन में...
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चिटिक अगोरव.....
अँगरेजी के नवा साल बर, अतिक मया जी
कोन डहर ले आइस , अइसन परंपरा जी...
अरुण कुमार निगम
mitanigoth
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स सर पढ़ने के लिए |
बढ़िया चर्चा. नव वर्ष की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स-सह-चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्र सुंदर शनिवारीय अंक । आभारी है 'उलूक' सूत्र 'नया साल कुछ नये सवाल पुराने साल रखे
जवाब देंहटाएंअपने पास पुराने सवाल' को जगह देने के लिये ।
अच्छे लिंक्स हैं
जवाब देंहटाएंछोटी सी अपील !
हम लोग भी अच्छा काम कर रहे हैं,
कृपया ब्लाग पर हमारा भी उत्साहवर्धन कीजिए
http://maihoonnaws.blogspot.in/
प्लीज
सभी साथियों को नववर्ष की बधाई और शुभकामनाएं। बहु त अच्छी चर्चा लगाई है। मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसुंदर च्रर्चा सुंदर कडियाँ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना ''नवगीत (14) व्यर्थ रहूँ उससे आकर्षित ॥'' को शामिल करने का ।
जवाब देंहटाएं