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शनिवार, जनवरी 10, 2015

"ख़बरची और ख़बर" (चर्चा-1854)

मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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खबरची और खबर 

कर ना कुछ गठजोड़ 

जरूरत है एक 
खबरची की 
जो बना सके 
एक खबर 
मेरे लिये 
और बंटवा दे 
हर उस पन्ने 
पर लिख कर 
जो देश के 
ज्यादातर 
समझदार 
लोगों तक 
पहुँचता हो... 

उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी 
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...जो एक बड़े समूह का भगवान है, वो आकर कैसे कहे मुझे सुरक्षा चाहिए, क्‍योंकि उसके अनुयायियों के साथ साथ उनके परिसर में कुछ शरारती तत्‍व भी आ घुसे हैं। अब स्‍थिति कुछ तरह की बन चुकी है कि भगवान भी आने से डरने लगा है। स्‍वयं की घोषणा करने से भी कन्‍नी काट रहा है क्‍योंकि यह शरारती तत्‍व उसको नहीं छोड़ेंगे। हालांकि, यह तत्‍व उसकी रक्षा का दावा करते हैं। कहते हैं कि भले ही आदमी को खड़े रहने के लिए दो हाथ जमीन चाहिए और लेटने के लिए दो गज, मगर, हम आपका ध्‍वज पूरे विश्‍व में लहराएंगे... 
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सच ! जो सामने आया ही नहीं 

कास्पर हाउजर व्यक्ति और समाज के पारस्परिक संबंधों को स्पष्ट करने के लिए राजनीति शास्त्र और समाजशास्त्र विषयक पुस्तकों में कई उदाहरण दिए जाते रहे हैं कि किस तरह समाज से बाहर पलने वाले व्यक्तियों में मानवोचित गुणों का विकास नहीं हो पाता है.,,, 
देहात पर राजीव कुमार झा 
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टेलीग्राम मैसेंजर -  

क्लाउड आधारित मुफ्त मैसेजिंग एप 

प्रचार पर HARSHVARDHAN 
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व्यवस्था ने आत्महत्याएं करवा दीं 

शरारती बचपन पर sunil kumar 
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एक गीत : 

जै माँ गंगे ! जै माँ गंगे ! 

फिसल गए तो हर हर गंगे ,जै माँ गंगे ! जै माँ गंगे !
वो विकास की बातें करते करते जा कर बैठे दिल्ली
कब टूटेगा "छीका" भगवन ! नीचे बैठी सोचे बिल्ली
शहर अभी बसने से पहले ,इधर लगे बसने भिखमंगे
जै माँ गंगे ! जै माँ गंगे ! ........
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक -
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स्मार्ट फोन सुरक्षित रखने की 

पांच टिप्स 

Hindi Pc Duniya पर 
Darshan jangra 
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SIBM का सफ़र था सुहाना 

छाँव पर विशाल कश्यप 
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कुछ लोग -9 

कुछ लोग समझते हैं 
सिर्फ खुद को सही दूसरे को गलत 
उनके तर्क उनकी बातें 
उनकी सोच उनके विचार 
उनके व्यवहार व्यक्त होते रहते हैं 
कभी उनकी कलम से कभी उनके मुख से 
और उनके मन के कपाट बंद रहते हैं 
नयी प्रगति नयी उम्मीदों के लिए .... 
Yashwant Yash 
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एक प्रयोग 

( कथांश - 29.पर) 

{मेरे विशेष आग्रह पर ,सर्वप्रिय ब्लागर, श्री सलिल वर्मा जैसे कुशल एवं अनुभूति-प्रवण गद्यकार ने अपनी व्यस्तता के बावजूद भी ,अतिथि लेखक के रूप में इस कथांश को प्रस्तुत किया है . यह हमारा एक प्रयोग है -इस आशा के साथ कि एक ही कथानक पर दो व्यक्तियों का लेखन, मूल वस्तु के निरूपण में कुछ नई ग्राह्यता लाकर नवीन बोधों का संचार करे . इस पर सहृदय- जनों की प्रतिक्रिया हमें आगे विचार करने को प्रेरित करेगी - सुधीजन अपने बेलाग विचारों से हमें उपकृत करें ! -प्रतिभा.}....
लालित्यम् पर प्रतिभा सक्सेना 
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वह जब से शहर-ए -ख़राबात को रवाना हुआ 

बराहे रास्त मुलाक़ात को ज़माना हुआ... 
आवारगी पर lori ali 
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चलें दूर गगन के द्वारे 

चल री सखी पर्वतों के उस पार 
बादलों के रथ पर हो के सवार , 
चलें दूर गगन के द्वारे 
अनछुआ अनुपम सौंदर्य बिखरा है जहाँ 
विविधता लिये मन को भाते 
रंगीन नज़ारे बज रहे जहाँ 
सुर ताल के बादलों की 
छटा से छिटकती रोशनी 
गुनगुना रही मधुर तराने .... 
Ocean of Bliss पर 
Rekha Joshi 
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अनुकरणीय कार्य ! 

मेरा सरोकार पर रेखा श्रीवास्तव 
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लालच से जुड़ै न रिस्तेदारी 

लरिका अक्याल मिसरा जी का, 

उई बड़े जतन से पालेन।
खान-पान, सिच्छा-दिच्छा मा, 
कमी न कउनौ राखेन।


होनहार लरिका उनका जब, 

लिख-पढ़ि कै तइयार भवा। 
फिर कउनौ सरकारी दफदर मा,
बड़का ओहदेदार भवा।... 
कड़वा भी गप्प पर निर्दोष दीक्षित 
गधों से घोडे बनने की परंपरा चालू आहे-----. 
कुछ आपत्तिजनक कह दिया हो--- 
क्षमाप्रार्थी हूं. 

मन के-मनके
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हम अपनी हस्ती को बदल लेते हैं
मत चढ़ाओ नकाबों का बोझ चहरे पर
इत्र डालो जिस्म पे कि महके तू
और तेरी खुशबु से आलम सारा
तसल्लियों की गोली खाकर
बिस्तर को नींद की हसीना न दो
सोने का वक़्त नहीं जल्दी उठो
हमारी खुदगर्जी को खबर होने से पहले
आओ अंधेरो में उजाला ढूँढना है... 
कवर फ़ोटो
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"ग़ज़ल की परिभाषा" 

ग़ज़ल क्या है?
देखिए मेरी भी एक ग़ज़लनुमा पेशकश

जब गाँव का मुसाफिरआया नये शहर में
गुदड़ी में लाल-ओ-गौहरलाया नये शहर में

इज्जत का था दुपट्टाआदर की थी चदरिया,
जिल्लत का दाग़ उसनेपाया नये शहर में

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर चर्चा.
    'देहात' से मेरे पोस्ट को शमिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर कडियों से सजी चर्चा। जाते हैं कडी कडी।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर चर्चा । आभार 'उलूक' का सूत्र 'खबरची और खबर कर ना कुछ गठजोड़' को जगह देने के लिये । कुछ दिन ब्लागिंग से दूर रहँग़ा । यात्रा पर । लौट कर देखते हैं अगले सप्ताह की चर्चायें ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सदाबहार चर्चा मंच..जब पढ़ो तब मन को सुकून मिलता है।

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  5. बहुत बढ़िया लिंक्स-सह-चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर चर्चा
    स्मार्ट फोन सुरक्षित रखने की पांच टिप्स ... ,,, मेरी पोस्ट को शमिल करने के लिए बहुत बहुत आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर लिंक्स ,मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुरंगी लिंक्स पढ़ कर आनंद आया - मुझे भी सम्मिलित किया - आभार !

    जवाब देंहटाएं

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