नमस्कार मित्रों, नए साल के अपनी पहली चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ।
परिवार, समाज और देश से प्यार करना निश्चित रूप से बहुत अच्छी बात है, लेकिन इससे भी ज्य़ादा जरूरी यह है कि व्यक्ति पहले खुद से प्यार करना सीखे। यह सुनकर कुछ लोग भ्रमित हो जाते हैं कि यह तो स्वार्थी बनाने वाली बात हो गई, पर वास्तव में ऐसा नहीं है। खुद से प्रेम करके कोई इंसान स्वार्थी नहीं बनता। जब वह स्वयं स्वस्थ और प्रसन्न नहीं होगा तो दूसरों की मदद कैसे कर पाएगा? कई बार जीवन में ऐसी कठिन स्थितियां आती हैं, जब चारों ओर अंधेरा दिखाई देता है। ऐसे में थक-हार कर चुप बैठने से कुछ भी हासिल नहीं होगा।
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प्रवीण चोपड़ा जी की प्रस्तुति
अभी मैं अखबार पढ़ रहा था.. रेडियो सिटी चल रहा था।
तभी रेडियो सिटी की आर जे बोलीं कि जिसे देखो आज ब्लड-प्रेशर हो रहा है, जिसे देखो कहता है..मैं चल नहीं सकता... ऐसे में आप को करना क्या है,
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सुमन जी की प्रस्तुति
ठक-ठक ठक-ठक सुबह-सुबह स्वर्ग के दरवाजे पर दस्तक हुयी ! कौन है ? भीतर से देवदूत की आवाज आयी ! कृपया दरवाजा खोलिए बाहर खड़े व्यक्ति ने कहा ! देवदूत ने जरा सी खिड़की खोली और पूछा कौन हो और क्या चाहते हो ??
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अज़ीज़ जौनपुरी जी की प्रस्तुति
सुख दुख का है ताना बाना
जीवन तो है आना जाना
जोलहा जी इक साड़ी बनाना
रंग पिया ओहमा भर जाना
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वन्दना सिंह जी की प्रस्तुति
आओ नए साल
तुम्हारे लिए मैंने
बहुत काम रखें हैं
बुना है जिसे उंगलियों पर
मैंने अपनी यादों में
तुम्हे वह वक्त मिटाना है
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रचना त्रिपाठी
हमारे गाँव में किसी भी यज्ञ-प्रयोजन के सकुशल सम्पन्न हो जाने के बाद घर के सामने वाले बाग में स्थापित काली माँ के मंदिर में ‘कड़ाही चढ़ाने’ की परम्परा है।
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नवीन मणि त्रिपाठी जी की प्रस्तुति
तुम सावन की नव कोपल हो।
मैं पतझड़ का तना खड़ा हूँ ।।
तुम यौवन की सरस कथा हो,
मे जीवन की अंत व्यथा हूँ ।
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वाणी जी प्रस्तुति
गोद मे उठाये एक मासूम
पल्लू से सटे दो नन्हे
कालिख से पुते चेहरे
उलझे बाल जटाओं जैसे
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सुशील कुमार जोशी जी प्रस्तुति
कान आँख नाक
जिह्वा तव्चा को
इंद्रियां कहा जाता है
इन पाँचों के अलावा
ज्ञानी एक और
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की प्रस्तुति
जल्दी ही मिल जायेगी, मौसम की सौगात।
नये साल के साथ में, सुधरेंगे हालात।१।
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दिन अब कुछ बढ़ने लगा, कुछ चहकी है धूप।
सर्दी का ढलने लगा, शीतल-शीतल रूप।२।
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रश्मि शर्मा जी की प्रस्तुति
कई बार
जब तुम्हारे कहे
खुरदुरे शब्दों से
कटने लगती है
प्रेम की देह
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रीना मौर्या
गुलाबी सी रंगत लिए
जब वो आई आँखों में
ख़ुशी का सागर उमड़ने लगा .....
ममता को और भी
करीब से जाना .....
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वन्दना गुप्ता जी की प्रस्तुति
आओ सिर जोडें और रो लें
आओ दो आंसू बहा लें
दुःख प्रकट कर दें
कैंडल मार्च निकाल लें
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संघशील सागर जी की प्रस्तुति
मेरी गुज़ारिश पर भी मुझसे मुलाक़ात नहीं करती ।
ख़ूब किया याद अब याद भी नहीं करती ।।
उसने कहा था कि अपनी तस्वीर भेज दो ।
अब कैसे भेजूँ जब वो बात ही नहीं करती ।।
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भरत जी की प्रस्तुति
हिंदी के मुहावरे ,बड़े ही बावरे हैं
खाने पीने की चीजों से भरे हैं
कहीं पर फल है तो कहीं आटा दालें हैं
कहीं पर मिठाई है,
कहीं पर मसाले हैं फलों की ही बात लेलो ,
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अरुण चन्द्र रॉय जी की प्रस्तुति
नए साल में ब्लॉग की शुरुआत कार्टून से। बस कोशिश है। देखते हैं दोस्तों को कैसी लगती है।
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काजल कुमार जी की प्रस्तुति
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अमृता तन्मय जी की प्रस्तुति
आ! मेरे मुँडेर पर भी तू आ न कौआ
उसे टेर पर टेर दे कर बुला न कौआ
मेरा मनचाहा पाहुन आये या न आये
झूठ- सच जोड़ मुझे फुसला न कौआ
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धन्यबाद,
"आपका दिन मंगलमय हो"
सभी मित्रों को सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में उपयोगी लिंकों का समावेश है।
आपका आभार आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी।
चर्चा में कविता को शामिल किये जाने का आभार !
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात !
चर्चा मंच "खुद से कैसी बेरुखी" (चर्चा-1853) में मेरा मुक्तक शामिल किये जाने पर हार्दिक आभार !
जवाब देंहटाएंमेरी सोच मेरी मंजिल
बहुत उपयोगी लिंक्स है, बहुत बहुत आभार राजेन्द्र जी
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने के लिए !
सुंदर शुक्रवारीय चर्चा अंक । सुंदर सूत्र सुंदर संयोजन । आभार 'उलूक' के सूत्र 'इंद्रियों को ठोक पीट कर ठीक क्यों नहीं करवाता है' को स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंसच कहा थक-हार कर बैठने के बजाय चलते चलो इस मंच की तरह . हार्दिक आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा । सुंदर सूत्र आभार 'हिंदी के मुहावरे' को स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंM K Pandey Nilco
"VMW Team"
बहुत बढ़िया लिंक्स-सह चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स,..धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसभी को नए वर्ष की बधाई। बहुत बढ़िया लिंक्स....मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ।
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