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रविवार, जनवरी 25, 2015

"मुखर होती एक मूक वेदना" (चर्चा-1869)

मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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"माँ सरस्वती" 

भूली-बिसरी यादें पर राजेंद्र कुमार 
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माँ शारदे 

विद्या की अधिष्ठात्री का 
आज करूँ आह्वान 
बैठो सबकी बुद्धि में 
करो निर्मल मन प्राण 
कलमकार की कलम 
सदा चलती रहे निर्बाध 
शब्द-शब्द में झलके 
तुम्हारी महिमा अपार... 
एक प्रयास पर vandana gupta 
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शुभ वसंत ! 

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
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हे वागीश्वरी 

1.
वरदायिनी
माँ शारदे, वर दे
बुद्धि, ज्ञान दे

2... 
शीराज़ा पर हिमकर श्याम 
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मेरे मन मंदिर की मूरत 

अक्षर-अक्षर जोड़ तुझे ढाला है मैंने 
भावतूलिका से हर नक्श सँवारा मैंने 
मनहर रंगों से तेरा श्रृंगार किया है 
अपने मन मंदिर में तुझे बिठाया मैंने !... 
Sudhinama पर sadhana vaid 
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कुरुक्षेत्र में ओबामा कृष्ण अवतरित.... 

कि बचवा का चाहि, परमाणु बम! 

| hastakshep | हस्तक्षेप 

संघ परिवार की यह सरस्वती वंदना 
दरअसल ओबामा वंदना है 
क्योंकि अमेरिका को 
मोदी से लव हो गया है।
Amalendu Upadhyaya 
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चन्द माहिया : 

क़िस्त 14 

1: 
कहने को याराना 
वक़्त ज़रूरत पर 
हो जाते हैं बेगाना 
2:... 
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक 
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"893-लो फिर से आ गया बसंत " 

विरह की वेदना 
हुई ज्वलंत 
मन को भटकाने 
लो फिर से 
आ गया बसंत... 
कवि किशोर कुमार खोरेन्द्र
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बसंत दोहावली 

माघ शुक्ल की पंचमी ,
शुरू हुआ मधुमास 
सत्य,स्नेह,साहस सहित,
ह्रदय भरे उल्लास... 
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया 
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फैंटेसी 

झील के दूसरे छोर पर दिखी वो, 
शायद निहार रही थी जलधारा पर, 
मैंने देखा, टिकी मेरी नजर और....  
आह ! वो नहाने लगी 
मेरे काल कल्पित झरने में... 
मेरी मन्दाकिनी... 
Mukesh Kumar Sinha
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ए दोस्त ........ 

मेरे वक्तव्य को 
अन्यथा न लेना दोस्त 
मेरी फितरत है 
जिसके लिए जैसा भाव है 
उसे उसका सौंप दूँ 
बिना लाग -लपेट के कह देना 
मेरी आदत है... 
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वसंत में बौराया है मन 

वसंत में बौराया है मन
फगुनाहट की आहट है
पीले सरसों के गंध सुगंध से
उल्लासित कर जाता है मन...
यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा 
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*** तुम कहाँ आओगे...! *** 

अपराजिता पर अमिय प्रसून मल्लिक 
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माँ बागेश्वरी 

कुसुमाकर आकर मुस्काये

वीणावादिनी आईं

नवल राग की मधुर रागिनी

झंकृत करते मन के तार
नम्र बनाएँ मधुर भाषिणी
विद्या से भर दें संसार... 
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु 
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प्यार में पड़कर किसी का होना अच्छा लगता है 

प्यार में पड़कर किसी का होना अच्छा लगता है
पाना सब कुछ और फिर से खोना अच्छा लगता है । 
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    प्रेम में अद्भुत कशिश होती है, प्रेम क्या होता है, प्रेम को क्या कभी किसी ने देखा है, प्रेम को केवल और केवल महसूस किया जा सकता है.. ये शब्द थे राज की डायरी में, जब वह आज की डायरी लिखने बैठा तो अनायास ही दिन में हुई बहस को संक्षेप में लिखने की इच्छा को रोक न सका। राज और विनय दोनों का ही सोचना था कि प्रेम केवल जिस्मानी हो सकता है, प्रेम कभी दिल से बिना किसी आकर्षण के नहीं हो सकता है।... 
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कुछ ऐसा ये तो रोग है !

भ्रम टूटे बस ऐसा प्रयत्न है 
विरह वियोग संयोग है ; 
मृग मारिचका सा क्षण है ;..  
Sujit Kumar Lucky
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मुसाफिर राह में हो शाम गहरी 

(मुक्तक और रुबाइयाँ-3) 

(1) 
मुसाफिर   राह   में   हो   
शाम   गहरी   होती   जाती 
सुलगता  है  तेरी  यादों  का बन  
आहिस्ता-आहिस्ता धुआं  दिल   से  उठे,  
चेहरे  तक   आये  नूर हो  जाये 
बड़ी मुश्किल से आता है  
ये फन आहिस्ता-आहिस्ता 
(2)... 
धरती की गोद पर 
Sanjay Kumar Garg 
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कार्टून :-  

महायज्ञ का पंक्‍चर्ड टायर 

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"आरती उतार लो आ गया बसन्त है" 


आरती उतार लो,
आ गया बसन्त है!
ज़िन्दग़ी सँवार लो
आ गया बसन्त है!

खेत लहलहा उठे,
खिल उठी वसुन्धरा,
चित्रकार ने नया,
आज रंग है भरा,
पीत वस्त्र धार लो,
आ गया बसन्त है!
ज़िन्दग़ी सँवार लो
आ गया बसन्त है!... 

22 टिप्‍पणियां:

  1. जितना पढ़ पाया बहुत सुंदर लिंको का संग्रह ... अद्भुत श्रमसाध्य कार्य .... आभार काव्यसुधा को स्थान देने हेतू ॥

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  2. बहुत सुंदर चर्चा सूत्र.
    'यूँ ही कभी' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

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  3. सुप्रभात लिंक्स का अच्छा संग्रह|

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  4. सुन्दर सार्थक एवं आकर्षक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चा मंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका धन्यवाद एवं आभार ! वसंतपंचमी की सभी मित्रों व सुधी पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं !

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  5. बढ़िया लिंक्स, चैतन्य को शामिल करने का आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. माँ सरस्वती के चरणों में समर्पित सुंदर लिंक्स....मेरी रचना को शामिल किया, आभारी हूँ .

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  7. बसंत पर्व के स्वागत में सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित चर्चा...
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार !!

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