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शुक्रवार, अप्रैल 03, 2015

"रह गई मन की मन मे" { चर्चा - 1937 }

मित्रों।
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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नदी का जीवन सन्देश ! 

hindigen पर रेखा श्रीवास्तव 
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कत्ल की एक शाम हो जाए 

चलो उनसे सलाम हो जाए । 
इस तरह इंतकाम हो जाए ।। 
चाँद से डर था बेवफाई का । 
उसका किस्सा तमाम हो जाये... 
Naveen Mani Tripathi 
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चाँद की मधुर चाँदनी 

सुरमई रात चाँद आसमाँ पे 
धरा पे बिखरती चाँद की मधुर चाँदनी 
पेड़ों के पत्तों से छन कर गुनगुनाती हुई 
गीत मधुर गाती खिलखिलाने लगी 
चाँद की मधुर चाँदनी... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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नाता 

अरमानों को लफ्ज़ दू 
तो दिल रोता है 
पर मुस्कराके नये सपनें फिर बुनता है 
इल्म नहीं मुझे इसके रोने का 
इसलिये हर लफ्जों में जज्बात पिरोता हूँ.... 
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL 
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खारा पानी 

Sudhinama पर sadhana vaid 
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अटूट सम्बन्ध है 

Tere bin पर 
Dr.NISHA MAHARANA 
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रुके रुके से कदम 

देहात पर राजीव कुमार झा 
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492. दुःखहरणी... 

जीवन के तार को साधते-साधते   

मन रूपी अंगुलियाँ छिल गई हैं   
जहाँ से रिसता हुआ रक्त   
बूँद-बूँद धरती में समा रहा है,     
मेरी सारी वेदनाएँ सोख कर धरती  
मुझे पुनर्जीवन का रहस्य बताती है  
हार कर जीतने का मंत्र सुनाती है... 
डॉ. जेन्नी शबनम 
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मेरा खिलौना 

पापा मुझे चाहिए मेरा खिलौना, 
मुझे मेरी वो गेंद ला दो ना। 
मैंने आज ही उछाला था हवा मे, 
देखो बैठ गया है जाकर नभ में।। 
वो देखो मेरी गाय जो कल तक 
हिलती भी ना थी, 
आज बड़ी-बड़ी सींगे लेकर... 
हिन्दी कविता मंच पर ऋषभ शुक्ला 
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कुछ बाते कही तुमने , कुछ रह गई अनकही। 
मन की कही भी , और रह गई मन की मन मे... 

नयी उड़ान + पर Upasna Siag 
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मूर्ख कौन ? 

वह ? 
जो दिन रात एक करके 
खून पसीने से सींचता है खेतों में 
लहलहाती फसलों को 
और बदले में झेलता है आँधी-पानी 
तीखे कटाक्ष खाता है 
समय की तीखी मार 
और हो जाता है शरणागत 
मृत्यु देवी के चरणों में...... 
Yashwant Yash 
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कि शायद आज मेरा दिल टूटा है 

हर मंज़र का मिज़ाज़ कड़वा है
कुछ धुंधलाई सी है ज़िन्दगी
आज न तू नज़र आया मुझे
और न तेरे आँखो में कहीं मैं दिखी... 
Lekhika 'Pari M Shlok' 
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9 टिप्‍पणियां:

  1. समस्त मंच परिवार को नमस्ते...काफी समय बाद मंच पर आने और आप सबों की उत्तम रचनाएं पढ़ने का सौभाग्य मिल सका...आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर चर्चा सूत्र.
    'देहात' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सूत्र एवं सार्थक चर्चा ! सुधीनामा से मेरी रचना को स्थान देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर चर्चा, सुंदर प्रस्तुति,
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. बढ़िया चर्चा ..मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक आभार सादर :)

    जवाब देंहटाएं
  7. चर्चा दिन पर दिन जवान होती जा रही है :)
    आभार 'उलूक' का सूत्र
    'दो अप्रैल का मजाक' तथा
    'आओ मूर्खो मूर्ख दिवस मनायें '
    को आज की चर्चा में स्थान देने केलिये ।

    जवाब देंहटाएं

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