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Virendra Kumar Sharma
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गीत "कौन सुनेगा सरगम के सुर"(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मीठे सुर में गाकर कोयल, क्यों तुम समय गँवाती हो?
कौन सुनेगा सरगम के सुर, किसको गीत सुनाती हो?
बाज और बगुलों ने सारे, घेर लिए हैं बाग अभी,
खारे सागर के पानी में, नहीं गलेगी दाल कभी,
पेड़ों की झुरमुट में बैठी, किसकी आस लगाती हो?
कौन सुनेगा सरगम के सुर, किसको गीत सुनाती हो...
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