मित्रों।
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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उग्र और असंवेदनशील होता मानवीय व्यवहार
महज़ 5 मिनिट की कहासुनी और एक दुपहिया वाहन के कार से टकरा जाने पर शुरू हुए झगड़े में एक युवक को पीट-पीटकर मार डालना । आखिर कैसी उग्रता है ये ? न युवाओं के मन में संवेदनशीलता है और न ही समाज और सरकारी अमले का भय...
परिसंवाद पर डॉ. मोनिका शर्मा
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मौन कविता
शब्द बिखरे
निवेदित है आस
मौन कविता
दिए की बाती
तिल तिल जलती
बुझती जाती...
Anupama Tripathi
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साबूदाना-
शाकाहारी है या मांसाहारी ?
साबूदाना किसी पेड़ पर नहीं उगत। यह कासावा या टैपियोका नामक कंद से बनाया जाता है। कासावा वैसे तो दक्षिण अमेरिकी पौधा है, लेकिन अब भारत में यह तमिलनाडु,केरल, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में भी बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। केरल में इस पौधे को ‘कप्पा’ कहा जाता है। इस पौधे की जड़ को काट कर साबूदाना बनाया जाता है जो शकरकंदी की तरह होती है। इस कंद में भरपूर मात्रा में स्टार्च होता है। यह सच है कि साबूदाना टैपियोका कसावा के गूदे से बनाया जाता है, परंतु इसकी निर्माण विधि इतनी अपवित्र है कि इसे किसी भी सूरत में शाकाहार एवं स्वास्थ्यप्रद नहीं कहा जा सकता...
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
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धनिया बेचते है...
स्कूल तो कभी गये ही नही है ये,,
हिसाब-किताब,मोल-भाव
सब दुनिया से ही सीखते है .. ...
ये बच्चे पास की मन्डी मे धनिया बेचते है...
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'दुर्लभ किस्म' है - नारी - भाई ?
उस मज़ार पर भीड़ लगी थी
नाच रही बालाएं - सज - धज
आरकेष्ट्रा - संगीत बज रहा
'दाद'- दुलार - देखने का मन
खिंचा गया मैं !!
दिया मुबारक -और बधाई
वाह री बेटी !!!...
BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN
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2015-01-26 अमरीका.ओबामा और च्य्युइंगगम
झूठा सच - Jhootha Sach
आज तोताराम आया और ढाबे के वेटर की तरह शुरू हो गया-
आलू और बैंगन का सलाद, ओनियन सीड विनग्रेट के साथ व्हाउट हाउस का आर्गुला।
मसूर की दाल का सूप ताजे चीज के साथ, भुने हुए आलू की पकौड़ी टमाटर की चटनी के साथ।
छोला और भिंडी या ग्रीन करी प्रॉन कैरमेल सैल्सफाइ (विलायती कचालू) के साथ कोलार्ड ग्रीन्स (साग) और नारियल-पुराना बासमती, वेजिटेरियन कबाब, कढ़ी पकौड़ा, फिश करी, छोले, दही गुझिया, मटन रोगन जोश, चिकन कोरमा, दाल रायसीना, हक्का वेज, तंदूरी रोटी-नॉन, मालपुआ, रबड़ी...
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दोहागीत
"प्यार-प्रीत की राह"
दोहे से ही रच दिया, मैंने दोहागीत।
मर्म समझ लो प्यार का, ओ मेरे मनमीत।।
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कंकड़-काँटों से भरी, प्यार-प्रीत की राह।
बन जाती आसान ये, मन में हो जब चाह।।
लेकर प्रीत कुदाल को, सभी हटाना शूल।
धैर्य और बलिदान से, खिलने लगते फूल।।
सरगम के सुर जब मिलें, बजे तभी संगीत।
मर्म समझ लो प्यार का, ओ मेरे मनमीत
शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से धन्यवाद !
अच्छे लिंक्स...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा सूत्र.
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा आज की |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
मनमोहक शुक्रवारीय अंक । आभारी है 'उलूक' सूत्र 'पुराने एक मकान की टूटी दीवारों के अच्छे दिन आने के लिये उसकी कब्र को दुबारा से खोदा जा रहा था' को स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
bahtareen links umda charcha ...abhar Shastri ji mere haiku lene hetu !!
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी अच्छे लिंक्स और सुन्दर चर्चा आज की..मन भावन और ज्ञानदाई ...बधाई ..मेरी रचना 'दुर्लभ किस्म' है - नारी - भाई ? को भी आप ने स्थान दिया ख़ुशी हुयी
जवाब देंहटाएंभ्रमर ५
सर आभार मुझे इस चर्चा में शामिल करने के लिये---अब इतना तो तय है कि आगे से साबूदाना नहीं खाऊंगा और न ही बोन चाइना के प्याले में चाय पीउंगा।----इतने नये लिंक्स से परिचय कराने के लिये शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद यहाँ शामिल करने के लिए,माफ़ कीजियेगा समय पर न देख पाने के लिए..यहाँ आकर कई बेहतरीन जानकारियां और लिंक्स के जरिये कई अच्छी पोस्ट पढने मिली.
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