गीत "धूप में घर सब बनाना जानते हैं"(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
वेदना के "रूप" को पहचानते हैं।
धूप में घर सब बनाना जानते हैं।।
भावनाओं पर कड़ा पहरा रहा,
दुःख से नाता बड़ा गहरा रहा,
मीत इनको ज़िन्दग़ी का मानते हैं।
धूप में घर सब बनाना जानते हैं...
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