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Saturday, April 18, 2015

"कुछ फर्ज निभाना बाकी है" (चर्चा - 1949)

मित्रों।
कुदरत का सब खेल है, नहीं किसी का दोष।
जीते-जी कैसे करूँ, उच्चारण खामोश।।
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भारी मन से पुनः कुछ लिंक
शनिवार की चर्चा में प्रस्तुत हैं।
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तेरे सदके...! 

अंजुमन पर डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन' 
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एक ग़ज़ल  

हुस्न उनका जल्वागर था... 

 हुस्न उनका जल्वागर था, नूर था 
 मैं कहाँ था ,बस वही थे, तूर था 
 होश में आया न आया ,क्या पता 
 बाद उसके उम्र भर , मख़्मूर था... 
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक 
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आ भी जाओ.....! 

चलो चमक जाएँ अब सब छोड़-छाड़ के  
रख देंगे मुँह अँधेरों का अब तोड़-ताड़ के  
हवा की बदनीयती को रोकना हो अब मक़सद  
बन जाएँगे नए आशियाँ कुछ ज़ोड़-जाड़ के... 
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा 
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खुशियों की साझी धूप...! 

हम दोनों
एक दूसरे की आवाज़ सुनने तो
तरसते हैं...

फिर जाने क्यूँ हम बात नहीं करते... 

अनुशील पर अनुपमा पाठक 
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नई सुबह 

पल पल यूँ ही हमारी गुज़रती ज़िंदगी 
हर पल यहाँ नये पल में ढलती ज़िंदगी 
हर दिन सूरज लाये आशा की नवकिरण 
रोशनी दामन हमारा भरती ज़िंदगी... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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Image result for farmer working in field

बालकुंज पर सुधाकल्प 
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कविता 

मरा हुआ आदमी 

Brijesh Neeraj 

इस तंत्र की सारी मक्कारियाँ 
समझता है आदमी 
आदमी देख और समझ रहा है 
जिस तरह होती है सौदेबाज़ी 
भूख और रोटी की... 
कविता मंच पर kuldeep thakur 
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पैंसठ वर्षों तक रहा, माता जी का साथ।
अब माँ सुरपुर को गयीमैं हो गया अनाथ।।

जगदम्बा के रूप मेंरहती थी हर ठाँव।
माँ के आँचल में मिलीमुझको हमेशा छाँव।।

चरैवेति है ज़िन्दग़ी, रुकना तो हैं मौत।
सड़ जाता जल धाम भी, जब थम जाता स्रोत।।

कुदरत का सब खेल है, नहीं किसी का दोष।
जीते-जी कैसे करूँ, उच्चारण खामोश।।

19 comments:

  1. चायवाले को जगह देने के लिए धन्यवाद रूपचन्द्र जी :)

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब काजल कुमार जी यहां विधयक खबर (पॉजिटिव न्यूज़ )भी एक मान्यता प्राप्त चैनलिया धंधा है।

    चर्चा मंच पर आपका ब्लॉग के मार्फ़त Ksct को लाइम लाइट में लाने के लिए विशेष आभार शास्त्री जी। बतलादें यह केंद्र लाइलाज रोगों का समाधान करके बेहद का आशीर्वाद बटोर रहा है आम औ ख़ास का।

    जय श्रीकृष्णा।

    ReplyDelete
  3. होता है सन्तान का, माता का सम्वाद।
    माता को करते सभी, दुख आने पर याद।।

    माता को श्रद्धान्जलि देती है औलाद ,

    फरियादी के हाथ में रहती बस फ़रियाद।

    सशक्त ईमानदार विरुदावलि माँ के प्रति।

    ReplyDelete
  4. होता है सन्तान का, माता का सम्वाद।
    माता को करते सभी, दुख आने पर याद।।

    माता को श्रद्धान्जलि देती है औलाद ,

    फरियादी के हाथ में रहती बस फ़रियाद।

    सशक्त ईमानदार विरुदावलि माँ के प्रति।

    ReplyDelete
  5. बहुत खूब काजल कुमार जी यहां विधयक खबर (पॉजिटिव न्यूज़ )भी एक मान्यता प्राप्त चैनलिया धंधा है।

    चर्चा मंच पर आपका ब्लॉग के मार्फ़त Ksct को लाइम लाइट में लाने के लिए विशेष आभार शास्त्री जी। बतलादें यह केंद्र लाइलाज रोगों का समाधान करके बेहद का आशीर्वाद बटोर रहा है आम औ ख़ास का।

    जय श्रीकृष्णा।

    ReplyDelete
  6. जय श्रीकृष्णा। जयश्री वाट्स -एप ,बढ़िया बहुत बढ़िया नीतिपरक पोस्ट।

    ReplyDelete
  7. Bahut sunder link shamil kiye hai.

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  8. mata shri ko saadar naman ! charcha main jo vishya liye gaye hain sabhi badhiya hain !

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  9. आपने मातृ शोक की घडी में भी चर्चा प्रस्तुति की..बहुत आभार आपका....सादर

    ReplyDelete
  10. हर शैर कीमती बहतरीन ग़ज़ल कही है:

    एक ग़ज़ल
    हुस्न उनका जल्वागर था...
    हुस्न उनका जल्वागर था, नूर था
    मैं कहाँ था ,बस वही थे, तूर था
    होश में आया न आया ,क्या पता
    बाद उसके उम्र भर , मख़्मूर था...
    आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक

    ReplyDelete
  11. बहुत बढ़िया चर्चा

    ReplyDelete
  12. सुन्दर सूत्र

    ReplyDelete
  13. बहुत सुन्दर लिंक। मेरे लेख को स्थान देने के लिए बहुत आभार। माता जी को श्रद्धांजलि..

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  14. सभी लिंक्स एक से बढ़कर एक।
    मातृ शोक की दुःखद घड़ी में भी चर्चा ' फ़र्ज़ ' निभा रहें हैं आप.………। ये बहुत ही प्रेरणादायक है बात है आदरणीय। हम जैसे लोगों को आपसे सीखना चाहिए निरंतरता किसे कहते हैं। माताजी को श्रद्धांजलि।

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  15. ईश्वर आपको संबल प्रदान करें शास्त्री जी।

    ReplyDelete

  16. मातृ-शोक के इस दुःखद घडी में हमारी प्रार्थनाएँ साथ हैं, ईश्वर आपको और आपके परिजनों सम्बल प्रदान करे।

    ReplyDelete

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