मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में आप सबका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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सब समेटे अंतस में...
सदा जीवन राग रहा खरा...
नीरव निस्तेज विकल समय में भी
गुनगुनाते रहे अविराम
अम्बर और धरा...
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उम्मीद की इक आस
क्षितिज के उस पार
आस लिए सूरज की
देख रहे वो बच्चे
कुछ अर्द्धनग्न
कुछ मैले कुचैले कपड़ों में
लिपटे हुए
टकटकी बांधे
निहार रहे शून्य में
एक आस लिए...
आस लिए सूरज की
देख रहे वो बच्चे
कुछ अर्द्धनग्न
कुछ मैले कुचैले कपड़ों में
लिपटे हुए
टकटकी बांधे
निहार रहे शून्य में
एक आस लिए...
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सुलझाऊँगा तेरी जुल्फें
तेरा यह कहना
''संवारुंगा तेरी तकदीर ...
फुर्सत मिली तो
सुलझाऊगा तेरी जुल्फें
एक दिन
अभी उलझा हूँ मैं
वक्त को जरा सुलझाने में...
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पब्लिक स्कूलों में
क्रंदन करती हिन्दी
साधना मदान
सिसकती आवाज़ और दहाड़ का जैसे कोई मेल नहीं
वैसे ही विविध विषयों की दहाड़ के आगे आज हिन्दी सिसक रही है।
पब्लिक स्कूलों में हिन्दी की दशा दिन प्रतिदिन पतन के कगार पर पँहुच रही है।
विद्यालयों में हिन्दी विषय कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं के लिए जैसे बोझ-सा होने लगा है।
प्रतिशत के लिहाज़ से विद्यालय का परीक्षा परिणाम अच्छा रहे ,इसलिए छात्रों को हिन्दी विषय नहीं दिया जाता।हिन्दी में और विषयों की तरह प्रैक्टिकल भी नहीं है।इन स्कूल प्रबंधकों का मानना है कि प्रैक्टिकल वाले विषयों में ही अच्छे अंक आते हैं।पब्लिक स्कूलों में अच्छे अंक लाने के लिए अंग्रेजी कोर पढ़ाई जाती है।अंग्रेजी कोर के साथ हिन्दी कोर को नहीं रखा जा सकता; क्योंकि दिल्ली विश्व विद्यालय में दो कोर विषय स्वीकार्य नहीं हैं।ऐसी स्थिति में हिन्दी को ही दरकिनार किया जाता है ;क्योंकि अंग्रेजी तो सर्व मान्य भाषा है...
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नेहा लगा के तोसे~~!!!
ख़ोया है चैन मैंने
खोई हैं खुशियाँ सारी
नेहा लगा के तोसे
पल पल हूँ मैं हारी...
खोई हैं खुशियाँ सारी
नेहा लगा के तोसे
पल पल हूँ मैं हारी...
♥कुछ शब्द♥ पर Nibha choudhary
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अद्भुत भारत
मेरा भारत महान है,
एकता देश की शान है।
अखण्डता, अविरलता और संस्कृति,
इस भारत देश की पहचान है...
हिन्दी कविता मंच पर ऋषभ शुक्ला
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मैं कैसा दिखता हूँ
हमेशा की तरह सूर्योदय के समान नियत समय पर तोताराम हाजिर हुआ |बैठने के लिए कहने पर मना कर दिया बोला- मुझे ध्यान से देख और बता मैं कैसा दिखता हूँ ?
हम क्या उत्तर देते, कहा- जैसा सत्तर साल से दिखता आ रहा है, वैसा ही दिखता है |वही पाँच फुट का ऊँचा पूरा क़द, वही छब्बीस इंच का विशाल सीना, वही भगवान कृष्ण और राम जैसा श्याम रंग, वही दयनीय मुस्कराहट जो सन १९४७ के देखते आ रहे हैं |बस, थोड़ा सा अंतर यह आया है कि ऊपर वाले जो दो दांत मुँह बंद करने पर भी दिखाई दे जाया करते थे अब दंतचिकित्सक की कृपा से सामान्य हो गए हैं, सिर के बाल कुछ अधिक उड़ गए हैं |
सुनकर तोताराम झुँझलाया और बोला- मैं बाह्य रूप की नहीं, आतंरिक गुणों की बात कर रहा हूँ | ...
झूठा सच - Jhootha Sach
हमेशा की तरह सूर्योदय के समान नियत समय पर तोताराम हाजिर हुआ |बैठने के लिए कहने पर मना कर दिया बोला- मुझे ध्यान से देख और बता मैं कैसा दिखता हूँ ?
हम क्या उत्तर देते, कहा- जैसा सत्तर साल से दिखता आ रहा है, वैसा ही दिखता है |वही पाँच फुट का ऊँचा पूरा क़द, वही छब्बीस इंच का विशाल सीना, वही भगवान कृष्ण और राम जैसा श्याम रंग, वही दयनीय मुस्कराहट जो सन १९४७ के देखते आ रहे हैं |बस, थोड़ा सा अंतर यह आया है कि ऊपर वाले जो दो दांत मुँह बंद करने पर भी दिखाई दे जाया करते थे अब दंतचिकित्सक की कृपा से सामान्य हो गए हैं, सिर के बाल कुछ अधिक उड़ गए हैं |
सुनकर तोताराम झुँझलाया और बोला- मैं बाह्य रूप की नहीं, आतंरिक गुणों की बात कर रहा हूँ | ...
झूठा सच - Jhootha Sach
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उस से करते भी क्या गिला कोई
Siya Sachdev - A Writer & Musician
अजनबी की तरह मिला कोई
उस से करते भी क्या गिला कोई
इश्क़ का रोग जानलेवा है
इसकी होती नहीं दवा कोई...
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काव्य गोष्ठी में बही
कविताओं की बयार
महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की समाधि
मुसाफ़िर चलता जा ........
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआज कई समस्याओं को छूतीलिंक्स |
जितेंद्र रघुवंशी जी को विनम्र श्रद्धाँजलि । सुंदर मंगलवारीय चर्चा । आभारी है 'उलूक' सूत्र 'शेर के लिये तो एक शेर से ही काम चल जाता है' को स्थान देने पर ।
जवाब देंहटाएंsundar charcha aur links ...........
जवाब देंहटाएंmeri rachna "अद्भुत भारत" ko sthan dene ke liye bahoot-bahoot abhar.
बढ़िया चिंतनशील चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार!
सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर लिँक
जवाब देंहटाएंमेरी खीँची कुछ तस्विरे यहाँ हैँ।.................................
मेरे ब्लॉग को स्थान देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया ...साभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा ..सभी लिंक्स बढ़िया
जवाब देंहटाएं