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शनिवार, अप्रैल 11, 2015

"जब पहुँचे मझधार में टूट गयी पतवार" {चर्चा - 1944}

मित्रों।
एक दुखद सूचना यह है कि 
चर्चा मंच की सोमवार की चर्चाकार
अनुषा जैन की नानी जी का
3 अप्रैल को देहावसान हो गया है।
चर्चा मंच परिवार की ओर से
भावभीनी श्रद्धांजलि समर्पित है।
ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति और सदगति दें।
--
अब देखिए शनिवार की चर्चा में 
मेरी पसन्द के कुछ लिंक
--

दोहागीत 

"जब पहुँचे मझधार में टूट गयी पतवार" 

नष्ट हो गयी सभ्यता, भ्रष्ट हुआ परिवार।
फसल हुई चौपट सभी, फैली खर-पतवार।।

मौन हुए साधू सभी, मुखरित हैं अब चोर।
बाढ़ दिखाई दे रही, दौलत की सब ओर।।
सदाचार का हो गया, दिन में सूरज अस्त।
अब अपनी करतूत में, दुराचार है मस्त।।
मक्कारों की बाढ़ में, घिरा हुआ संसार।
फसल हुई चौपट सभी, फैली खर-पतवार... 
--

सुरेश जी, 

आपके लिए... 

आपके लिए... आपकी कविताओं के लिए...!
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आपको पढ़ते हुए...
आपकी कविताओं से गुजरते हुए...
हमने जितने फूल चुने
सब मुस्कुराते हैं...

अनुशील पर अनुपमा पाठक 
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आईना सत्य कहता है 

लघुकथा 
sapne(सपने)परshashi purwar 
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लघुकथा 

मुफ्त की सेवाएँ 
मेरा फोटो
सुधा भार्गव 
तूलिकासदन पर सुधाकल्प 
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नज़रे बदली हैं , या बदला है नजरिया
हवाओं मे आजकल, कुछ तल्खियां सी है

दूरियां बढ रही है, या रुक गये है कदम
राहों में आजकल, कुछ पाबंदिया सी है... 

palash "पलाश"

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प्यार ही प्यार 

प्यार रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सारा ये संसार है... 
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सपनों के व्यक्ति 

तुम सच नहीं हो सकते तुम सच कैसे हो सकते हो मैं स्वप्न देख रही थी तुम चुपके से मेरे स्वप्न से निकल कर मेरे संसार में आ गए आए ही नहीं तुम मेरे संसार में छा गए। क्यों, यह ना तुमने बतलाया ना मैंने पूछा... 
घुघूतीबासूती पर ghughuti basuti 
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रंग बिरंगा पुष्पित संसार 

झील के उस पार

दूर गगन को

चूम रही अरुण की
सुनहरी रश्मियाँ 
आँचल उसका... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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उस मोड़ पर 

मील के पत्थर गवाह हैं 
उस यात्रा के 
तय किया था हमने कभी
जो साथ-साथ
उस यात्रा की निशानियाँ
मौजूद हैं
आज भी उस राह पर... 
शीराज़ा पर हिमकर श्याम 
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बोन चाईना के बर्तनों का बहिष्कार करें....  

गाय-बैल की हड्डियों से बने सामान को त्यागें..! 

इसके लिए सिर्फ आपको यह काम करना है कि आप बोन चाइना की मांग करना बंद कर दें।

क्योकि अगर बाजार मे इनकी मांग नही होगी तो उत्पादन कम जायेगा और बिना मांग के उत्पादन अपने आप ही खत्म हो जायेगा।
मित्रों त्योहारो की इस मौसम मे शपथ ले की चांदी वर्क से सजी मिठाईया, चमड़े का जुता-चप्पल, पर्श-बैल्ट, लैदर जाकेट इत्यादि ऐसा कोई सामान नही खरीदेंगे जिससे गौहत्या को बढ़ावा मिलता हो।
मित्रों इस बार त्योहारो बोन चाईना के कप-प्लेट, ड़िनर सैट जैसी ना वस्तुओ ना तो किसी को उपहार मे दे और ना हि ऐसी वस्तु उपहार मे ले।... 
काव्य मंजूषापरस्वप्न मञ्जूषा 
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समय... 

स्पंदन  SPANDAN
कुछ कहते हैं शब्दों के पाँव होते हैं 
वे चल कर पहुँच सकते हैं कहीं भी 
दिल तकदिमाग तक,जंग के मैदान तक. 
कुछ ने कहा शब्दों के दांत होते हैं 
काटते हैंदे सकते हैं घावपहुंचा सकते हैं पीड़ा... 
स्पंदन पर shikha varshney 
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शह और मात ! 

कहें तो ज़ेरे-क़दम कायनात कर डालें 
कहें तो शब को सह्र, दिन को रात कर डालें 
ग़लत नहीं है हसीनों में नूर की चाहत 
कहें तो चांद से रिश्ते की बात कर डालें... 
साझा आसमान पर Suresh Swapnil 
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अब नींद कहाँ आने वाली थी 
उन्हे बेहद डर लगता था। हर तेज आवाज पर वो चौंक जाते थे। चाहे वो आवाज़ दरवाजा जोर से पिटने की हो या फिर लिफाफे में हवा भर कर उसे फोड़ने की या फिर किसी बम या पटाखे की। वो इन सभी आवाज़ों से खौफ़ खाते थे। जब तक इस तरह की कोई भी आवाज उनके कानों में पड़ती रहती उनकी आँखों में नींद की परत कभी नहीं उतर पाती। अपने कानो को वो जोरो से भीच लिया करते। मगर फिर भी आवाज़ों से उनका पाला कभी नहीं छूट पाता था... 
एक शहर है 
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भरोसा लौटने की राह पर भारतीय शेयर बाजार 
भारतीय शेयर बाजार दुनिया के दूसरे बाजारों के मुकाबले बेहतर ही रहा है। जब भारतीय शेयर बाजार एक ही स्तर पर लगातार करीब तीन सालों तक बने रहे, तब भी सेंसेक्स और निफ्टी दुनिया के दूसरे बाजार सूचकांकों से बेहतर करते रहे। लेकिन, यूपीए दो में भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों का भरोसा बहुत बन नहीं सका। फिर वो विदेशी निवेशक हों या देसी निवेशक या फिर कहें रिटेल इनवेस्टर। विदेशी निवेशकों यानी एफआईआई को लुभाने के लिए यूपीए की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में हरसंभव कोशिश की लेकिन, मामला बन नहीं सका। मल्टीब्रांड रिटल में एफडीआई को मंजूरी देने के सरकार के फैसले के बाद भी धरातल पर इसका असर नहीं दिखा...
बतंगड़-हर्षवर्धन त्रिपाठी
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दिल के जज़्बात 
रात दिन जिसकी जुस्तज़ू है मुझे 
जो मेरे साथ साथ रहता है
जो मेरे साथ साथ चलता है
ढल के मासूम सा अल्फ़ाज़ों में
मखमली वर्क पे मचलता है
जो तख़य्युल में है खुश्बू बनकर
जिसका होना सुकून देता है... 

-कमला सिंह जीनत 

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16 टिप्‍पणियां:

  1. अनुष्का जी की नानी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि !
    मेरा गीत शामिल करने के ल्लिये धन्यवाद .
    सभी लिंक अच्छे हैं.आभार.

    जवाब देंहटाएं
  2. [[माननीय शास्त्री जी ,यह टिप्पणी मात्र सूचना के लिए है ,,पढने के बाद इसे हटा दिजीयेगा]]--इस पेज पर नीचे लिखा है '''इस चर्चा की कढ़ी (लिंक)''यहाँ 'कढ़ी' नहीं ''कड़ी '' शब्द होगा...कृपया इसे सही कर लें. [आशा है आप इसे अन्यथा न लेंगे.]

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर शनिवारीय चर्चा । आभार 'उलूक' का सुंदर सूत्रों की कड़ी में दिख रही हैं कहीं उसकी भी एक लड़ी :)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनुषा जी की नानी जी के देहावसान पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।

      हटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर सूत्र संकलन, अच्छी चर्चा. मेरी रचना को स्थान देने के लिये धन्यवाद.
    अनुषा जी की नानी जी को भावभीनी श्रद्धांजलि!              

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय सुन्दर चर्चा | मेरी कहानी को स्थान देने के लिए आभार | जय हो - मंगलमय हो

    जवाब देंहटाएं

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