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शनिवार, अप्रैल 25, 2015

"आदमी को हवस ही खाने लगी" (चर्चा अंक-1956)

मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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नदी 

नदी geet
पर्वतों की डगर नापती रही नदी
सारे अभिशाप सहती रही नदी
कल कल का राग
लहरों का स्वर
गीत मछुआरों के
गाती रही नदी... 

बिन मांगे मोती मिले 

मांगे मिले न भीख 

क्यों बैठे तुम निठठ्ले
नहीं है कोई  काम धाम
कर्म की महिमा को समझो
कर्म सुख की खान
मूढ़ बैठा चौखट प्रभु के
मांगे है दिन रात... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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सिर्फ तुम 

Love पर Rewa tibrewal 
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दो पलों की रुक्सती क्यूँ ज़ार-ज़ार कर चली 

... दो पलों की रुक्सती क्यूं ज़ार-ज़ार कर चली, 
दिल से मेरे दिल्लगी क्यूँ बार-बार कर चली । 
ये ज़ुल्फ़ फिर अदा से अपनी शानों पर बिखेर कर, 
चुरा के नज़रें मुझको शर्म सार यार कर चली... 
Harash Mahajan 
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"आदमी को हवस ही खाने लगी" 


जिन्दगी और मौत पर भीहवस है छाने लगी।
आदमी कोआदमी की हवस ही खाने लगी... 
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जब से गज़लों ने कहा है ‘आइना’ 
गर्व से तनकर खड़ा है आइना 
जाइए इसकी नज़ाकत पर न आप  
पत्थरों से भी लड़ा है आइना... 

गज़ल संध्या पर कल्पना रामानी 
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दोहों का दोहन :) 

ऐसी वाणी बोलिए, सबका आपा खोये ! 
राहुल भांजे ऊंट-पटांग, बाकी जनता सोये!! 
पंछी करे न चाकरी, अजगर करे न काम ! 
राहुल बाबा छुट्टी गए करने को आराम... 
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा 
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ग़ज़ल 

( जिंदगी जिंदगी) 

तुझे पा लिया है जग पा लिया है 
अब दिल में समाने लगी जिंदगी है 

कभी गर्दिशों की कहानी लगी थी 
मगर आज भाने लगी जिंदगी है... 
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इस तरह से ख़त्म होता हूँ मै 

मै आहत हूँ कि अमेजान नदी के एक किनारे, टेम्स नदी के दूसरे किनारे और गंगा से वोल्गा तक मनुष्यता नष्ट हो रही है नष्ट हो चुकी है सिन्धु घाटी की सभ्यता बेबीलोन की सभ्यता और ख़त्म हो गए बिम्ब भाषा नष्ट हो रही है. आकाशगंगाओं के बीच नष्ट हो गए ग्रह, खतरा सूरज और चाँद पर भी बढ़ता जा रहा है,,. 
ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik 
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दिनकर की यादों को 

बिहार सरकार ने जमींदोज किया। 

(पुण्य तिथि पर राष्ट्रकवि का नमन।) 

चौथाखंभा पर ARUN SATHI 
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दोहे 

"जितना चाहूँ भूलना उतनी आती याद" 

तारतम्य टूटा हुआ, उलझ गये हैं तार।
जाने कब मिले पायेगा, शब्दों को आकार।।
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कदम-कदम पर घेरते, मुझको झंझावात।
समझ अकेला कर रहे, घात और प्रतिघात।।
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पलभर में ही हो गया, जीवन का निर्वाण।
माँ ने मेरी गोद मॆं, छोड़े अपने प्राण... 

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