मित्रों।
शनिवार के चर्चा के अंक में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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मछलियाँ और स्त्रियां...
मछलियाँ और स्त्रियां
कितना साम्य है
दोनों ही में !
मछलियाँ पानी में रहती है
और
पानी भरे रहती है आँखों में...
--कितना साम्य है
दोनों ही में !
मछलियाँ पानी में रहती है
और
पानी भरे रहती है आँखों में...
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प्रतिकार विहीनों को .....
अधिकार नहीं मिलते ,प्रतिकार विहीनों को
जीना भी क्या जीना है अधिकार विहीनों को -
कहाँ गिरेंगे क्या मालूम शोलों पर या सागर मेँ
ले जाती हवा उड़ा करके पत्ते शाखविहीनों को-..
जीना भी क्या जीना है अधिकार विहीनों को -
कहाँ गिरेंगे क्या मालूम शोलों पर या सागर मेँ
ले जाती हवा उड़ा करके पत्ते शाखविहीनों को-..
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एक दिन - राकेश रोहित
सीधा चलता मनुष्य
एक दिन जान जाता है कि
धरती गोल है कि
अंधेरे ने ढक रखा है रोशनी को कि
अनावृत है सभ्यता की देह
कि जो घर लौटे
वे रास्ता भूल गये थे!...
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एक दिन - राकेश रोहित
सीधा चलता मनुष्य
एक दिन जान जाता है कि
धरती गोल है कि
अंधेरे ने ढक रखा है रोशनी को कि
अनावृत है सभ्यता की देह
कि जो घर लौटे
वे रास्ता भूल गये थे!...
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कहे ये जिंदगी पैहम -
न कोशिश ये कभी करना .
दुखाऊँ दिल किसी का मैं -न कोशिश ये कभी करना ,
बहाऊँ आंसूं उसके मैं -न कोशिश ये कभी करना....
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एक ग़ाफ़िल से मिल के आए हैं
आप जब भी हमें बुलाए हैं
कुछ न कुछ बेतुकी सुनाए हैं
यूँ समझिए के आपका है लिहाज़
वर्ना हम भी पढ़े पढ़ाए हैं...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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सियासी हलकों में पूजने लगा है .
दिया अदब का अब बुझने लगा है
...तुम्हारी गोलबंदी अब न चलेगी जानते हो तुम
अपने हालात को अच्छी तरह पहचानते हो तुम ......!
तुम्हारी हर हकीकत से जो पर्दा उठने लगा है ..!!
मिसफिट पर Girish Billore
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विश्वास....
जब तक विश्वास था मुझे तुम पर
अटूट प्रेम था मुझे तुम से...
जिंदगी और रंग-मंच
एक नहीं अलग हैं
जिंदगी हकीकत है...
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दाल रोटी खाओ
और प्रभु के गुण गाओ ...
राम मिलाई जोड़ी। ये कहावत सिर्फ पति पत्नी पर ही नहीं , खाने पर भी लागु होती है। जैसे दाल- रोटी , दाल- चावल , राज़मा- चावल। लेकिन इसका भी एक वैज्ञानिक कारण होता है। हमारी शारीरिक संरचना और स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए ९ आवश्यक अमीनो एसिड्स ( essential amino acids) की आवश्यकता होती है...
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हिन्दुस्तान में हिन्दुओं के
सभी छोटे-बड़े त्योहारों को
केंद्र एवं राज्य स्तर पर
सरकारी स्थानों में
मनाया जाना आवश्यक किया जाए !
पीताम्बर दत्त शर्मा ( लेखक-विश्लेषक)
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ग़ज़ल
"अपनी मेहनत से मुकद्दर को बनाना चाहिए"
लालची कुत्तों से दामन को बचाना चाहिए।
अज़नबी घोड़ों पे बाज़ी ना लगाना चाहिए।।
आज फिर खुदगर्ज़ करने, चापलूसी आ गये,
चापलूसों पर भरोसा ना जमाना चाहिए।
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