मित्रों।
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
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ओ मैयाअम्बे जगदम्बे रानी,
हम सब उतारें तेरी आरती
मालीगांव पर
Surendra Singh bhamboo
--आठवें दिन मां दुर्गाजी की
आठवीं शक्ति महागौरी की आराधना
Madan Mohan Saxena
--...सर्वं देवीमयं जगत् !!
माँ की सुन्दर प्रतिमा...
करुणामयी आँखें...
विराट स्वरुप...
सप्तसती पाठ...
पूजा अर्चना...
आरती दीप धूप...
जिस
भक्ति भाव से
प्राणप्रतिष्ठा...
उसी भाव से विसर्जन...
आगमन और प्रस्थान की परंपरा
दिव्य अकाट्य अचूक... !!...
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बातें बनाने तक की बात है
चल ही जाती हैं
नहीं चलती है तो
फौज लगा कर
चला दी जाती हैं
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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कविता
बड़ी बात छोटी बात -
राकेश रोहित
उसने कहा हमेशा
बड़ी बातें कहो
छोटी बातें लोग नकार देंगे
जैसे
कहो आकाश से नदियों की होती है बारिश
कि यह जो तुम्हारी आँखों का अंधेरा है
दरअसल वह एक घना जंगल है कि
एक दिन हाथी चुरा ले जाते हैं
फूलों की खुशबू
कि संसार की सबसे खूबसूरत लड़की
तुमसे प्यार करती है।...
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बड़ी बात छोटी बात -
राकेश रोहित
उसने कहा हमेशा
बड़ी बातें कहो
छोटी बातें लोग नकार देंगे
जैसे
कहो आकाश से नदियों की होती है बारिश
कि यह जो तुम्हारी आँखों का अंधेरा है
दरअसल वह एक घना जंगल है कि
एक दिन हाथी चुरा ले जाते हैं
फूलों की खुशबू
कि संसार की सबसे खूबसूरत लड़की
तुमसे प्यार करती है।...
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सौ आँखें और एक सपना
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आत्मकथा
मन के चूल्हे पर जब अतीत और वर्तमान उफनता है तो भविष्य के सकारात्मक छींटे डालते हुए सोचती हूँ लिखूँगी आत्मकथा' … नन्हें कदमों से आज तक की कथा ! पर जब जब लिखना चाहा तो सोचा, पूरी कथा एक नाव सी है पानी की अहमियत किनारे की अहमियत पतवार,रस्सी,मल्लाह भँवर, बहते हुए पत्ते किनारे के रेतकण कुछ पक्षी कुछ कीचड़ कमल … सूर्योदय, सूर्यास्त बढ़ने और लौटने की प्रक्रिया … यही सारांश है हर आत्मकथा की !
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मंगलवास
माँ !
जलाया है मैंने
आस्था की डोरी से
अखंड दीप
तुम्हारे चरणों में...
बावरा मन पर सु-मन
(Suman Kapoor)
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राम नहीं मिलते...
आज हम अपने बच्चों को
उच्च शिक्षा देकर बड़ा आदमी बनाने का
ख्वाब देखते हैं
ख्वाब पूरा भी हो जाता है...
पर हम भूल जाते हैं
उच्च शिक्षा के साथ बच्चों के सामने
चरित्र निर्माण के लिये
राम का चरित्र होना चाहिये...
मन का मंथन पर kuldeep thakur
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(with English connotation)
अष्टावक्र कहते हैं :Ashtavakra says :
शुद्ध स्वरुप, न सम्बन्ध किसी से,
त्याग चाहते करना क्या तुम|अहंकार देह का तज कर,
अपने स्वरुप से तादात्म्य करो तुम||
शुद्ध स्वरुप, न सम्बन्ध किसी से,
त्याग चाहते करना क्या तुम|अहंकार देह का तज कर,
अपने स्वरुप से तादात्म्य करो तुम||
आध्यात्मिक यात्रा
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पशुओं में शैतानी कम है
कौन यहाँ पर ज्ञानी कम है
पर आँखों में पानी कम है
बस बातों में प्यार लुटाते
तुमसे अधिक सयानी कम है...
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कार्टून:-
गर फिरदौस बर-रूऐ जमीं अस्त..
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दोहे
"आभासी संसार"
माली ही खुद लूटते, अब तो बाग-बहार।
आपाधापी का हुआ, आभासी संसार।।
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सत्य बताने के लिए, "रूप" हुआ लाचार।
नौसिखियों के सामने, सर्जक हैं बेकार...
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