जय माँ हाटेश्वरी...
आज शरद पूर्णिमा है...
इस पावन दिन पर मैं कुलदीप ठाकुर उपस्थित हूँ
चर्चा मंच के एक और अंक के साथ...
तो पेश है आज कि चर्चा इस सुंदर कविता के साथ...
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बादामी रात में
नितांत अकेली
मैं
चांद देखा करती हूं
तुम्हारी
जरूरत कहां रह जाती है,
चांद जो होता है
मेरे पास
'तुम-सा'
पर मेरे साथ
मुझे देखता
मुझे सुनता
मेरा चांद
तुम्हारी
जरूरत कहां रह जाती है।
ढूंढा करती हूं मैं
सितारों को
लेकिन
मद्धिम रूप में उनकी
बिसात कहां रह जाती है,
कुछ-कुछ वैसे ही
जैसे
चांद हो जब
साथ मेरे
तो तुम्हारी
जरूरत कहां रह जाती है।
-स्मृति आदित्य
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" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')मर्यादा को सदा ही, मिलता है वनवास।माला कैसे अब बने, मनके हुए उदास।।लोकतन्त्र के नाम पर, पाया जंगलराज।आजादी तो मिल गयी, आया नहीं सुराज।।
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poonamतुम्हें पता है न कि,हूँ, मैं पारदर्शी तुम्हारे लिए ,
मुझे भी है पता ...............
क्यूँ घुल जाती हूँ ,तुम्हारे सामने और,सोख लेते हो तुम ,मेरी जलन , परेशानी , पीड़ा ,अपने नर्महोठो के,सुरभित स्पर्श से ..............................बुहार देते हो ,मिथ्याबोध , भ्रम , नुक्स ,अपनी झिलमिलाती पालको की हल्की सी सरसराहट से ..............मुझे
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Anitaदुखद समाचार मिला कि दादाजी नहीं रहे. कितना जरूरी होता है परिवार में एक बुजुर्ग का साया. शनिवार को गोल्फ फील्ड में एक चौकीदार ने उन्हें टोका तो उन्होंनेनिर्णय लिया कि अब से शाम को वहाँ टहलने नहीं जायेंगे. पर वे बहुत उदास थे इस घटना से. कल लगभग दो माह बाद वे तिनसुकिया गए, यात्रा अच्छी रही. आजकल नूना Elekmoll की Seidman and son पढ़ रही है. वह इस समय लैब में होगा. उससे इतना प्यार करने के बावजूद नूना कभी कभी उसके प्रति विनम्र नहीं रह पाती पर वह इतना भराहुआ है स्नेह से कि उसकी बात घुल जाती है और बाकी रहता है प्यार बस प्यार !
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Pallavi saxenaयूं तो एक पागल व्यक्ति लोगों के लिए मनोरंजन का साधन मात्र ही होता है। लोग आते हैं उस पागल व्यक्ति के व्यवहार को देखते है। उस पर हँसते और उसका परिहास बनकरअपने-अपने रास्ते निकल जाते है। इस असंवेदनशील समाज से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है। कभी-कभी सोचती हूँ तो लगता है कैसा होता होगा पागल होना। क्या महसूसकरता होगा कोई पागल। भले ही कोई पागल हो किन्तु उसका दिमाग तो फिर भी काम करता ही है। क्या सोचता होगा वह इंसान जिसे दुनिया की नज़रों में पागल घोषित कर दियागया हो।
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Virendra Kumar Sharmaवरदान दिया ऋषि गौतम ने -इसी रास्ते से यहां राम आएंगे तुझे छूएँगे मेरे तप का सारा लाभ तुझे मिलेगा और तेरा उद्धार हो जाएगा। जब सारी दुनिया आपसे अलग हो जाएतब भी राम आपसे अलग नहीं हो सकता। ईश्वर जीव से कभी अलग हो ही नहीं सकता हम ही अलग हो जाते हैं।अपना स्वभाव भूलकर जीते रहते हैं।
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VMWTeam Bharatज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुचाये, खासकर अपने बच्चो को बताए क्योकि ये बात उन्हें कोई नहीं बताएगा...📜😇 दो पक्ष-कृष्ण पक्ष , शुक्ल पक्ष !
📜😇 तीन ऋण -देव ऋण , पितृ ऋण ,
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Onkarबिरादरी से अलग-थलग,इन्हें देखकर लगता हैकि इन्हें सिर्फ़ दुम दबाकरनिकल जाना आता है,
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Dr.NISHA MAHARANAसजा-संवरा देहदिल में भावनाओं का ज्वार नहींन - हीं दिमाग में रवानी हैतुझे मालूम नहीं --मगर ---ऐ --कठपुतली यही तुम्हारी निशानी है।
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pramod joshiव्यवस्था ने कई मोड़ लिए। इसमें दो राय नहीं कि हमारे पास दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान है। पर संविधान से ज्यादा महत्वपूर्ण है वह राजनीतिक संस्कृति जो व्यवस्थाका निर्वाह करती है। ऐसी व्यवस्था में शासन के सभी अंगों के बीच समन्वय और संतुलन होता है। हमारे यहाँ इनके बीच अकसर टकराव पैदा हो जाता है।हाल में संविधान में संशोधन करके बनाए गए न्यायिक नियुक्ति आयोग या एनजेएसी कानून को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली के...
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कार्टून:
सबकी बल्ले-बल्ले होने ही वाली है
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शिक्षक - जीवन शाला के
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi3JvUXiDLoZEuMynn8hx2IacKwN4UonuOW3MRUEaebyfnv7-i_G6RYNxbrdstR6Wa3Uf4L9ugnk80SfwQ3o-wi-vdj-vYvqHXfa9O6LF3uT-rPlOQBVn8H9NMsvR1yq7vqWUM0Cyj6_2tV/s320/Mother+%2526+child.jpg)
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निश्छल आँसू प्रेम के, अंतस के उच्छवास !
अनुपम यह उपहार है, ले लो आकर पास !
दीपशिखा सी जल रही, प्रियतम मैं दिन रात !
पंथ दिखाने को तुम्हें, पिघलाती निज गात !
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धन्यवाद...
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