मित्रों।
सबसे पहले आप सबको
अब देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बालकविता
"चन्दा मामा-सबका मामा"
करवा-चौथ पर्व जब आता।
चन्दा का महत्व बढ़ जाता।।
महिलाएँ छत पर जाकर के।
इसको तकती हैं जी-भर के।।
यह सुहाग का शुभ दाता है।
इसीलिए पूजा जाता है...
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वाणी अनमोल
मीठी वाणी दुःख हरती
कटु भाषा शूल सी चुभती
यही शूल दारुण दुःख देते
सहज कभी ना होने देते...
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अनमोल उपहार
रात के ११.४५ बजे हैं और मोबाईल पर एक नाम फ़्लैश हो रहा है - रोहित ... कॉलिंग । संध्या अभी तक जाग रही है । भला मेट्रो सिटीज में रात को इतनी जल्दी कौन सोता है । कुछ सोच रही थी संध्या और और कुछ देर पहले व्हाट्स एप पे उंगलियाँ टाइम पास कर रही थी । फेसबुक पर अभी अभी एक स्टेटस डाला था और १० मिनट के अंदर १३ कमेंट्स ४७ लाइक्स आ चुके हैं...
निन्दक नियरे राखिये
कुछ व्यक्तियों का मुख्य ध्येय ही निन्दा करना होता है, वे इसी पावन उद्देश्य हेतु धरती पर अवतरित होते हैं। निन्दा का विषय वैसे तो नियमित बदलता रहता है पर कुछ स्थायी चरित्र ऐसे होते हैं जो इनके विशेष लक्ष्य होते हैं। भले ही निन्दक से मिले बेचारे को वर्षों बीत गए हों पर निन्दा ऐसे करते हैं जैसे कल ही उससे मिले हों...
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यूँ भी इक नादान को धोखा क़रारा मिल गया
डूबते को एक तिनके का सहारा मिल गया
यूँ भी इक नादान को धोखा क़रारा मिल गया
खुब रहा नश्तर जिगर में उफ़् भी कर पाऊँ नहीं
वाह! तोफ़ा सुह्बते जाना में प्यारा मिल गया...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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इन्दिरा प्रियदर्शिनी
माता-पिता की वो लाडली थी
बचपन में नाजों से पली थी
विरासत में राजनीति मिली थी
स्वभाव से वो बड़ी भली थी.
विघ्नों की दौर आन पड़ी थी
दादा-पिता पर कहर पड़ी थी...
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मत दुखी हो रे मन, यही संसार है... !!
विचित्र है दुनिया...
कितनी ही विडम्बनाएं करतीं हैं आघात...
यहाँ सहजता को सहजता से नहीं लिया जाता है...
स्वार्थ, झूठ और पतन की परंपरा
ऐसी आम है कि
सच्चाई इस दौर में ख़बर है...
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" नेताओं में एक "गुण" भी है ,
हमें वो ही इनसे सीखना चाहिए जी "!!
- पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
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