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रविवार, अक्टूबर 25, 2015

"तलाश शून्य की" (चर्चा अंक-2140)

मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देकिए मेरी पसन्द के कुछ अद्यतन लिंक।
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संविधान ही इनकी मुसीबत है 

राजनाथ ने अपने बड़बोले मंत्रियों को नसीहतदी है. केंद्र सरकार के मंत्री जनरल वीके सिंह और किरण रिजीजू को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हिदायत देते हुए कहा है कि गो हत्या, हरियाणा में दलितों की हत्या जैसे गंभीर मुद्दों पर सोच समझ कर बयान दे. राजनाथ सिंह भी संघ के प्रचारक रहे है और अब शायद भूल रहे है कि संघ की मूल विचारधारा यही है जिसका जाप मंत्री या भाजापा के नेतागण कर लिया करते है. छुपी हुई बाते या छुपा हुआ एजेंडा कब तक छुपाए रखोगे, चाहे बाबरी मस्जिद को तोड़ने का मामला हो या गुजरात का नरसंघार छुपे हुए एजेंडे को लागू किया गया था और यह नेतागण खुशिया मना रहे थे ... 
Randhir Singh Suman 
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कम नही किसी जादूगर से कलमकार 

एकरस होते जब दिल और दिमाग 
उतर आते जज़्बात कागज़ पर 
कम नही किसी जादूगर से 
कलमकार... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi  
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"आनन्द" 

वह आनन्द क्या है,
जिसे मैं खोज रहा हूँ?
दौड़ जीतना  तो नहीं,
बल्कि असफलता का परिचय पाना है,
क्योकि इसी के द्वारा  मैंने दौड़ना सीखा है... 
भूली-बिसरी यादें पर राजेंद्र कुमार 
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20 रूपये लीटर में बिक 

आज देश के 80% रेलवे स्टेशन पर खारा पानी मिलता है। और बोतल बँद पानी धड्ले से 20 रूपये लीटर में बिक रहा है। मेरा मानना है की करोड़ो रूपये की लागत से बने रेलवे स्टेशन पर क्या 3-4 लाख रूपये और लगाकर 30-40 RO water फ़िल्टर नहीं लगाये जा सकते। आप कह सकते है की इनका maintenence महंगा हो जायेगा तो मेरा तर्क है की क्या इन RO के पास में दान पात्र रखा जा सकता है। मुझे पूरा विशवास है की मेरे भारत वर्ष की दानवीर जनता 1-2 रूपये करके daily इतना पैसा तो डाल ही देगी की जितने से इन RO का daily maintenence हो सके। इससे न केवल जनता को मज़बूरी में पानी 20 रूपये लीटर खरीदना पड़ेगा बल्कि साथ ही प्लास्टिक बोतलों ... 
ADHYATMIK पर 
Madan Gopal Garga LM VJM 
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सख़्त ख़ाल हो, तो... 

कोई बेहतर ख़्याल हो तो लाओ 
ज़िंदगी का सवाल हो तो लाओ 
शाह है मुल्क बेचने की धुन में 
कोई क़ाबिल दलाल हो तो लाओ... 
Suresh Swapnil 
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तय है 

बकरियों का रेवड़ 
जा रहा है कसाई - बाड़े की तरफ 
काली - सफ़ेद भूरी - चितकबरी 
सींग वाली बिना सींग की 
बाँझ - गाभन - दुधारू बूढी - जवान 
सुन्दर मेमने बकरे भी हैं 
दाढ़ी वाले बिना दाढ़ी के ... 
प्रवेश कुमार सिंह 
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व्यंग्य- आधुनिक गुरु के तर्क  
पिछले दिनों सरकार ने शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए सख्त आदेश जारी किए | कारण , गिरते परीक्षा परिणाम , बदहाल शाली व्यवस्थाएं ,,लापरवाह शिक्षकों को सुधारना था | अत: दखल देने का अधिकार जनता , सरकारी अधिकारी व जनप्रतिनिधि  के हाथ में सौप दिया... 
sochtaa hoon......! 
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बदलाव 

daalon ke bhaav के लिए चित्र परिणाम 
पहले कहा जाता था
दाल दलिया से
 काम चल जाता है
सस्ते में गुजारा हो जाता है
सब्जी भाजी मिले न मिले
दाल रोटी से
 पेट भर जाता है
बच्चों को माँ कहती थी
अरहर दाल यदि खाओगे
 प्रोटीन प्रचुर पाओगे
साथ ही गुनगुनाती थी
दाल रोटी खाओ
 प्रभु के गुण गाओ... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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सनातन धर्म की वैज्ञानिकता ... 

डॉ. श्याम गुप्त ..... 

मानव जब वृक्षों व कंदराओं से बाहर आया और रहन-सहन के सामूहिक रूप की स्थापना हुई तो सामाजिकता के नियमन व समन्वय हेतु कुछ नियमों का प्रचलन हुआ| वही नियम सार्वभौम होकर धर्म, समाज, संस्कृति व सभ्यता बने| इस प्रकार एक सनातन व्यवस्था मानव की प्रथम उत्पत्ति की भूमि, ब्रह्मा के प्रदेश सुमेरु पर्वतीय क्षेत्र में स्थापित हुई जो ब्रह्मा की मानस पुत्री सरस्वती के उद्गम क्षेत्र मानसरोवर एवं प्रवाह क्षेत्र स्वर्ग आदि में प्रतिष्ठित हुई... 
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मुक्तक "कभी भी लाचार हमको मत समझना" 

दरियादिली को, बुज़दिली तुम मत समझना,
दिल की लगी को, दिल्लगी तुम मत समझना।
वक्त आने पर बहा देंगे लहू की धार को,
कभी भी लाचार हमको मत समझना...

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