मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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बालकविता
"देश कहाये विश्वगुरू तब"
जो करता है अच्छे काम।
उसका ही होता है नाम।।
मर्यादा जो सदा निभाता।
उसको राम पुकारा जाता..
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उन्हीं की ज़ुबानी
गृह-प्रवेश का एक सुन्दर व आकर्षक निमंत्रण-पत्र कूरियर के हाथों मुझे मेरे घर पर मिला तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि भेजने वाले सज्जन, गोविन्द जोहारी, को मैं बिलकुल नहीं जानता था. ना इस नाम के किसी व्यक्ति से दूर दूर तक कोई रिश्ता था. कुमायूं में ‘जोहारी’उपनाम धुर उत्तर में जोहार ( हिमालयी क्षेत्र ) के आदिवासी जनजाति के लोग लगाया करते हैं. श्री गोविन्द जोहारी ने अपने पते में नाम के आगे आई.ए.एस. लिखा था, तथा अपने दो मोबाईल नंबर दे रखे थे. गृह-प्रवेश अल्मोड़ा शहर के आउट स्कर्ट में बिनसर मार्ग पर काफी ऊँचाई वाले स्थान पर नए बनाए भवन में होना था. मैं समझ नहीं पाया कि ...
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय
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हिज्र की शब और ऐसा चांद
पूरा दुख और आधा चांद
हिज्र की शब और ऐसा चांद
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चांद...
Pratibha Katiyar
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मैं फिर कविता बन जाऊं...
फिर इक बार..
तुम्हारे काँधे पर सर रख, कर सो जाऊं...
बहुत थक गयी हूँ,
जिन्दगी की जद्दोजहद से,
कि अब और नही...
तुम जो सम्हाल लो..
तो सुकून पाऊं....
फिर इक बार...
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दिल हुआ चोरी सरे बाज़ार है
इश्क़ में तो जीत जाना हार है
है यही सच पर मुझे इनकार है
बारहा खाया हूँ मैं जिससे शिकस्त
वह नज़र के तीर का ही वार है...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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भारत का "माहोल" क्यों,
किसके लिए, कैसे,
और कौन बिगाड़ रहा है ?
"फायदा" किसको,कितना और कैसा होगा ? -
पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक)
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बस , कलम तू उनकी जय जय बोल
जिनके नहीं कोई दीन ईमान
कलम तू उनकी जय जय बोल
जो तू उल्टी चाल चलेगी
तेरी न यहाँ दाल गलेगी
प्रतिरोध की बयार में प्यारी
तेरी ही गर्दन पे तलवार चलेगी
बस , कलम तू उनकी जय जय बोल...
vandana gupta
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दादी
छोड़ अपना गाँव पीपल की छाँव।
दादी ने रखा था शहर में पाँव।
भाई नहीं उनको यहाँ की हवा
चल ही न पाई ये जीवन की नाव...
पतंग
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दर्द जब होता है हर कोई दवाई खाता है
तुझे क्या ऎसा होता है कलम उठाता है
रोशनी साथ मिलकर इंद्र्धनुष बनाता है
अंधेरे में आँसू भी हो तो पानी हो जाता है
सपना देखता है एक तलवार चलाता है
लाल रंग की स्याही देखते ही डर जाता है...
तुझे क्या ऎसा होता है कलम उठाता है
रोशनी साथ मिलकर इंद्र्धनुष बनाता है
अंधेरे में आँसू भी हो तो पानी हो जाता है
सपना देखता है एक तलवार चलाता है
लाल रंग की स्याही देखते ही डर जाता है...
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