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गज़ल"बेजुबानों में जुबानें आ गयीं"
सभ्यता बातें बनाने आ गयीं
दाग़ दामन में लगाने आ गयीं
पड़ गयीं जब पेट में दो रोटियाँ
मस्जिदों में भी अजाने आ गयीं..
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Krishna Kumar Yadav
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चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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