Jakhira.com
|
lokendra singh
|
pramod joshi
|
Gopesh Jaswal
|
Madan Mohan Saxena
|
गज़ल"बेजुबानों में जुबानें आ गयीं"
सभ्यता बातें बनाने आ गयीं
दाग़ दामन में लगाने आ गयीं
पड़ गयीं जब पेट में दो रोटियाँ
मस्जिदों में भी अजाने आ गयीं..
|
Krishna Kumar Yadav
|
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
|
Kajal Kumar
|
सुशील कुमार जोशी
|
kuldeep thakur
|
Kajal Kumar
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।