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बुधवार, अक्तूबर 07, 2015

गोबध पर गांधी की राय; चर्चा मंच 2121




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lokendra singh 




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Gopesh Jaswal 




Madan Mohan Saxena 


गज़ल 

"बेजुबानों में जुबानें आ गयीं" 

सभ्यता बातें बनाने आ गयीं
दाग़ दामन में लगाने आ गयीं

पड़ गयीं जब पेट में दो रोटियाँ 
मस्जिदों में भी अजाने आ गयीं.. 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
Kajal Kumar 
सुशील कुमार जोशी 
kuldeep thakur 
Kajal Kumar 

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