मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
दोहे
"होली का आनन्द’’
उच्चारण सुधरा नहीं, बना नहीं परिवेश।
अँग्रेजी के जाल में, जकड़ा सारा देश।१।
भूल गये है मनचले, हिन्दुस्तानी भेष।
भौँडे कपड़े धार के, किया कलंकित देश...
--
बस यही माँ की इक निशानी थी ...
ट्रंक लोहे का सुरमे-दानी थी
बस यही माँ की इक निशानी थी
अब जो चुप सी टंगी है खूँटी पे
ख़ास अब्बू की शेरवानी थी...
--
--
आवाजों को नजरअंदाज न करें
हमारे शरीर में नाक से लेकर घुटनों तक समय-समय पर कुछ आवाजें आती हैं। ये आवाजें शरीर का हाल बयां करती हैं। इन्हें नजरअंदाज न करें। इस बारे में प्रस्तुत है मासिक पत्रिका आरोग्य सम्पदा से संकलित उपयोगी जानकारी।
1. खर्राटों की आवाज
2. घुटने और टखने की आवाज...
--
--
--
--
--
बैलगाड़ी से
"सोशल मिडिया की गाडी"
तक का सफर
पहले बैलगाड़ी से चलते थे लोग ! चार घंटे में चार किलोमीटर ! अब इक्कीसवीं सदी चल रही है, सोशल साईटें चार मिनट में पूरे लोक की सैर करा देतीं हैं आपको ! ओवैसी और उमर खालिद जैसे लोग देश में खुले आम खौफनाक खेल खेलते हैं और पलभर में मंद्बुद्धियों के हीरो बन जाते हैं ! फिर कन्हैय्या जैसे छुटभैय्ये गला फाड़ कर देश के टुकड़े करने की बात करते है और राहुल , केजरी शतुघ्न सिन्हा जैसे मसीहाओं के साथ मिलकर कुंद्बुद्धियों का एक बड़ा गिरोह बना लेते हैं ! फिर न्यायाधीश महोय , जो अपने ज्ञान की हथौड़ी, सवा सौ करोड़ जनता के सर पर दे मारते हैं की लो चलो स्वीकार करो...
--
चन्द माहिया :
क़िस्त 30
1:
तुम से जो जुड़ना है
इस का मतलब तो
अपने से बिछुड़ना है
:2:
आने को तो आ जाऊँ
रोक रहा कोई
मैं कैसे ठुकराऊँ ...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
--
--
--
संघ का बेशर्म राष्ट्रवाद
कर्ज न चुका पाने की स्तिथि में 2014 में 5642 किसानों ने आत्महत्या कर ली थी. वहीँ, 2015 में केवल मराठवाडा में 1100 किसानो ने आत्महत्या की है. मुख्य सवाल कर्ज वसूली का है. संघी राष्ट्रवाद के तहत कर्ज वसूली में किसान आत्महत्या कर लें, कोई दिक्कत नहीं है. वहीँ विजय माल्या ने किंगफ़िशर कंपनी के नाम पर (पैसा करोड़ रुपए में) एसबीआई-1600, पीएनबी-800, आईडीबीआई-800, बैंक ऑफ इंडिया- 650, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया-430, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया-410, यूको बैंक- 320, कॉर्पोरेशन बैंक-310, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर-150, इंडियन ओवरसीज बैंक-140, फेडरल बैंक- 90, पंजाब एंड सिंध बैंक-60, एक्सिस बैंक-50 इतना रुपया कर...
Randhir Singh Suman
--
चीखो चीखो चीखो
आओ चलो गढ़ें एक चीखों का संविधान
कि चीखें अप्रासंगिक तो नहीं
बना डालें चीखों को ज़िदों का पर्याय
ये समय है चीखों की अंतरात्मा को कुरेदने का
एक दुर्दांत समय के साक्षी बनने से बेहतर है
चीखो चीखो चीखो...
vandana gupta
--
--
अभिव्यक्ति के झूले में झूलती रचनायें
“शब्द हथियार होते हैं, और उनका इस्तेमाल अच्छाई या बुराई के लिए किया जा सकता है; चाकू के मत्थे अपराध का आरोप नहीं मढ़ा जा सकता।“ एडुआर्डो गैलियानो का यह वक्तेव्यर डा. अनिल के महतवपूर्ण अनुवाद के साथ पहल-102 में प्रकाशित है। इस ब्लाग को सजाने संवारने और जारी रखने में जिन साथियों की महत्वतपूर्ण भूमिका है, कथाकार दिनेश चंद्र जोशी उनमें से एक है...
--
--
--
--
--
--
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।