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शनिवार, मार्च 26, 2016

"होली तो अब होली" (चर्चा अंक - 2293)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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‘एक कविता और एक संस्मरण’  

‘चन्दा और सूरज’’
चन्दा में चाहे कितने हीधब्बे काले-काले हों।
सूरज में चाहे कितने हीसुख के भरे उजाले हों।

लेकिन वो चन्दा जैसी शीतलता नही दे पायेगा।
अन्तर के अनुभावों मेंकोमलता नही दे पायेगा... 
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रस बरसाता आया होली का त्यौहार 

खिला खिला सा मौसम है रँगों की बहार 
रस बरसाता आया होली का त्यौहार ... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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इस बार की होली 

बड़ी फीकी रही इस बार की होली, 
न किसी ने रंग डाला, न गुलाल, 
न खिड़की के पीछे छिपकर 
किसी ने कोई गुब्बारा फेंका, 
न कोई भागा दूर से 
पिचकारी की धार छोड़कर, 
न कोई शरारत, न ज़बरदस्ती, 
ऐसी भी क्या होली... 
कविताएँ पर Onkar  
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राष्ट्र की अवधारणा-शिष्य को पत्र 

प्रिय भुवनेश, 
मैं राष्ट्र के प्रति तुम्हारी भावना की कद्र करता हूं लेकिन फिर भी कहूंगा कि यह एक कृत्रिम अवधारणा है। जिस तरह से किसी की धर्म या ईश्वर में आस्था होती है उसी तरह तुम्हारी आस्था राष्ट्र में है। किंतु तुम्हारी राष्ट्र के प्रति यह आस्था उतनी ही अंध है जितनी किसी की ईश्वर या धर्म के प्रति होती है... 
Randhir Singh Suman 
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फगुआ 

(होली के 10 हाइकु) 

1. 
टेसू चन्दन 
मंद-मंद मुस्काते 
फगुआ गाते ! 
2. 
होली त्योहार 
बचपना लौटाए 
शर्त लगाए... 
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम 
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आओ खेलें होली 

गुज़ारिश पर सरिता भाटिया 
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मुक्त-ग़ज़ल -  

जहर ला पिलवा 

एक तूने क्या दिया धोखा मुझे ?  
दोस्त सब लगने लगे खतरा मुझे... 
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मात मेरी शर्मिंदा हूँ 

तेरे आँचल पर लगें दाग कैसे और क्यूं जिंदा हूँ 
शर्मनाक हालात देश में मात मेरी शर्मिंदा हूँ... 
कबीरा खडा़ बाज़ार में पर दिनेश शर्मा 
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श्रृंगार तुम्हारा किया है मैंने....!!! 

श्रृंगार तुम्हारा किया है मैंने, 
होंठो की लाली में, 
तुम्हारे नाम को सजा लिया है मैंने, 
माथे की बिंदिया में, 
तुम्हे अपना मान बना लिया है मैंने... 
'आहुति' पर Sushma Verma 
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अंबेडकर के आरक्षण की यही बड़ी सफलता है 

झूठ , हिंसा और अराजकता अनिवार्य अर्हता  है 
अंबेडकर के आरक्षण की यही बड़ी सफलता है  

ज़िद सनक कुतर्क की आग में झुलस रहा आदमी 
भारतीय संविधान की यह व्यावहारिक विफलता है... 
सरोकारनामा पर Dayanand Pandey 
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लड़ो नेताओं लड़ो !! 

तिश्नगी पर आशीष नैथाऩी 
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कुछ कहमुकरियाँ 

मुझको सबसे प्रिय हमेशा 
इसमे नहीं कोई अंदेशा 
सकी शक्ति को लगे न ठेस 
का सखी साजन ? 
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ना सखी देश 
तन छूये मेरे नरम नरम 
कभी ठंढा और कभी गरम 
गाये हरदम बासंती धुन 
का सखी साजन... 
Neeraj Kumar Neer 
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मेरा छोटा आसमान 

मुझे मच्छर बचपन से ही पसंद थे, क्योंकि मेरे लिये तो ये छोटे से हैलीकॉप्टर थे जो मेरे इर्द गिर्द घूमते रहते थे। हैलीकॉप्टर तो केवल कभी कभी आसमान में दिखते थे, मुझे याद है जब होश सँभाला था और पहली बार हैलीकॉप्टर देखा था तो... 
कल्पतरु पर Vivek 

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