जय माँ हाटेश्वरी...
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बहुत ही हर्षित हूँ...
चर्चामंच पर पुनः उपस्थित हो सका...
पहाड़ी क्षेत्र से हूं...
सर्दियों के दिनों में नैटवर्क आँखमचोली खेलता है...
देश में आज के माहौल पर...
मुझे अमर शहीद रामप्रसाद ‘बिस्मिल जी की...
ये कविता याद आ रही है...
भारत जननि तेरी जय हो विजय हो ।
तू शुद्ध और बुद्ध ज्ञान की आगार,
तेरी विजय सूर्य माता उदय हो ।।
हों ज्ञान सम्पन्न जीवन सुफल होवे,
सन्तान तेरी अखिल प्रेममय हो ।।
आयें पुनः कृष्ण देखें द्शा तेरी,
सरिता सरों में भी बहता प्रणय हो ।।
सावर के संकल्प पूरण करें ईश,
विध्न और बाधा सभी का प्रलय हो ।।
गांधी रहे और तिलक फिर यहां आवें,
अरविंद, लाला महेन्द्र की जय हो ।।
तेरे लिये जेल हो स्वर्ग का द्वार,
बेड़ी की झन-झन बीणा की लय हो ।।
कहता खलल आज हिन्दू-मुसलमान,
सब मिल के गाओं जननि तेरी जय हो ।।
अब देखिये मेरी पसंद के कुछ लिंक...
कुलदीप ठाकुर
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उच्चारण
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"होली लेकर फागुन आया"
फागों और फुहारों की।।
मैं तो खेलूंगी श्याम संग होरी...
डा श्याम गुप्त
भारतीय नारी
हाँ ! वो सच्चे वीर थे
न आयेगी .....
दीवारों के उस पार
क्षितिज को देख
कुछ विचार कर रहा था मन में
तभी अचानक एक चिड़िया आयी
फुदकती गाना गाती...
उत्तम उर्वरा जमीं है
आँखों में सरसों फूला .....
दुनिया का बस एक ही धुन
हर द्वार पर करता प्रेम सगुन
इस फागुन में सब रस्ता भूले
औ' आँखों में बस सरसों फूले .
Amrita Tanmay
परAmrita Tanmay
न आयेगी .....
दीवारों के उस पार
क्षितिज को देख
कुछ विचार कर रहा था मन में
तभी अचानक एक चिड़िया आयी
फुदकती गाना गाती...
उत्तम उर्वरा जमीं है
हमारी लड़ाई सीधे तौर पर
तानाशाही के खिलाफ है
कन्हैया कुमार
क्रांति स्वर पर विजय राज बली माथुर
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ख़ामोशी
अर्पित ‘सुमन’ पर सु-मन
(Suman Kapoor)
फागों और फुहारों की।।
मैं तो खेलूंगी श्याम संग होरी...
डा श्याम गुप्त
भारतीय नारी
हाँ ! वो सच्चे वीर थे
न आयेगी .....
दीवारों के उस पार
क्षितिज को देख
कुछ विचार कर रहा था मन में
तभी अचानक एक चिड़िया आयी
फुदकती गाना गाती...
उत्तम उर्वरा जमीं है
आँखों में सरसों फूला .....
दुनिया का बस एक ही धुन
हर द्वार पर करता प्रेम सगुन
इस फागुन में सब रस्ता भूले
औ' आँखों में बस सरसों फूले .
Amrita Tanmay
परAmrita Tanmay
न आयेगी .....
दीवारों के उस पार
क्षितिज को देख
कुछ विचार कर रहा था मन में
तभी अचानक एक चिड़िया आयी
फुदकती गाना गाती...
उत्तम उर्वरा जमीं है
हमारी लड़ाई सीधे तौर पर
तानाशाही के खिलाफ है
कन्हैया कुमार
क्रांति स्वर पर विजय राज बली माथुर
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ख़ामोशी
अर्पित ‘सुमन’ पर सु-मन
(Suman Kapoor)
गली-गाँव में धूम मची है,
मन में रंग-तरंग सजी है,
होली के हुलियारों की।।
गेहूँ पर छा गयीं बालियाँ,
नूतन रंग में रंगीं डालियाँ,
गूँज सुनाई देती अब भी,
बम-भोले के नारों की।।
गूँज सुनाई देती अब भी,
बम-भोले के नारों की।।
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तीसरे ने कहा – भाभी उठाकर ले गई. बोली कि दो-तीन दिनों में पढ़कर वापस कर दूँगी.
चौथे ने कहा – अरे, पड़ोस की चाची मेरी गैरहाजिरी में उठा ले गईं. पढ़ लें तो दो-तीन दिन में जला देंगे.
अश्लील पुस्तकें कभी नहीं जलाई गईं. वे अब अधिक व्यवस्थित ढंग से पढ़ी जा रही हैं.
दुष्कर्मों पर बहस चल रही
लज्जा का उपहास हो रहा
पीड़ित को निर्लज्ज बताकर
इकतरफा व्यवहार कर रहे
पर Ravishankar Shrivastava
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कपोलों की लाली के किस्से भले कपोल कल्पित हों या फिर कुछ और
लेकिन अधरों की इस लाली में हमारे चुंबन की कशीदाकारी बहुत है
पुल नदी पर ही नहीं संबंधों में भी बनता टूटता रहता है बराबर हर कहीं
बहती रहो सर्वदा तुम्हारी नदी के पानी में हमारे प्यार की रवानी बहुत है
पर Dayanand Pandey
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सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सूचना सम्प्रेषण में हिन्दी भाषा के अनुप्रयोग में आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हमारे द्वारा “तूलिका” नामक परियोजना
का विकास किया गया। “तूलिका” के निर्माण में मूल रूप से सूचना प्रौद्योगिकी के उन उपयोगकर्ताओं का ध्यान रखा गया, जो किसी न किसी तरह से सूचना प्रौद्योगिकी
से तो जुडे ही हुए हैं, परन्तु साथ ही साथ हिन्दी भाषा लिपि के अनुप्रयोग से भी संबंध हैं।
“तूलिका” सभी उपयोगकर्ताओं (जो चाहे हिन्दी लिपि टंकण में निपुण हों
या जिन्होंने हिन्दी टंकण कार्य कभी किया ही नहीं हो)
के हिन्दी भाषा लिपि संबंधी समस्याओं के निराकरण को लक्ष्य कर बनाया गया है।
इस तरह “तूलिका” में हमारे द्वारा निम्नानुसार टूल्स का समावेश किया गया है –
पर Ravishankar Shrivastava
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इस ज़ोर-ज़ुल्म के मौसम में कुछ लोग घरों में दुबके हैं
ये किस मिट्टी के लौंदे हैं जिनके दिल में तूफ़ान नहीं
हम पस्मांदा इंसानों की साझा है जंग हुकूमत से
दरपेश हक़ीक़त है सबके दुश्मन सच से अनजान नहीं
पर Suresh Swapnil
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बारहदरी से थोड़ी दूर पर देवी का प्राचीन मंदिर है, इसके द्वार पर महाकाली मंदिर लिखा हुआ है। इसका नाम मदन्ना मंदिर है। अब्दुलहसन तानाशाह के एक मंत्री के नाम
पर इसका नामकरण किया गया है। यहां महाकाली ग्रेनाईट की बड़ी चट्टानों के बीच विराजित हैं, जिन्हें अब पत्थरों की दीवार से घेर कर मंडप बनाकर उसमें लोहे का द्वार
लगा दिया गया है। इस प्राचीन दुर्ग को वारंगल के हिन्दू राजाओं ने बनवाया था, देवगिरी के यादव तथा वारंगल के काकातीय नरेशों के अधिकार में रहा था। इन राज्यवंशों
के शासन के चिन्ह तथा कई खंडित अभिलेख दुर्ग की दीवारों तथा द्वारों पर अंकित मिलते हैं। अवश्य ही देवी का यह मंदिर हिन्दू राजाओं ने स्थापित किया होगा। जिसे
कालांतर में मुस्लिम शासकों ने किसी अज्ञात भयवश नहीं ढहाया होगा।
परब्लॉ.ललित शर्मा
दर्द की नदिया में गोते लगाते शहीदों के नौनिहाल
बूढ़े पिता की आँख का नूर सरहद पर चढ़ चला..
किसने कब पूछा प्रिया से खेलता हूँ मौत से
जिन्दगी की सौत से ... गर हार जाऊं कभी ...
तुम आंसूओं को थाम लेना पलक की कोर पर
और सिखाना मत कभी नेता बनना मेरे छौनों को गौर कर
जिन्दगी को खिलौना बना माटी का संगीनों से झूलते चले
वतन की माटी में खुद को रोलते चले
जिन्हें तिरंगे की आन प्यारी ,, गोलियों से डरते कब हैं,,
पूछो औलादों को नेता सरहद पर भेजते कब हैं ,,
देश को लूटने वालों की श्रेणी में हैं देशद्रोहियों की तरफदारी में खड़े,,
पर विजयलक्ष्मी
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पस्त होकर वो जान देता है ।
दर्दे मंजर किसान तक चलिए ।।
दौलत ए हिन्द के लुटेरे जो ।
उनके ऊंचे मचान तक चलिए ।।
पर Naveen Mani Tripathi
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“तूलिका” सभी उपयोगकर्ताओं (जो चाहे हिन्दी लिपि टंकण में निपुण हों
के हिन्दी भाषा लिपि संबंधी समस्याओं के निराकरण को लक्ष्य कर बनाया गया है।
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एक दिन मैं बैठा आँगन में
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एक दिन मैं बैठा आँगन में
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विदेशियों ने लूटा इस देश को
तो हम क्यों नहीं हममें क्या कमी है-
यहाँ विषमताओं का जंगल वाद फिरके हैं
विवादों के लिए उत्तम उर्वरा जमीं है...
udaya veer singh
विदेशियों ने लूटा इस देश को
तो हम क्यों नहीं हममें क्या कमी है-
यहाँ विषमताओं का जंगल वाद फिरके हैं
विवादों के लिए उत्तम उर्वरा जमीं है...
udaya veer singh
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एक दिन मैं बैठा आँगन में
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विदेशियों ने लूटा इस देश को
तो हम क्यों नहीं हममें क्या कमी है-
यहाँ विषमताओं का जंगल वाद फिरके हैं
विवादों के लिए उत्तम उर्वरा जमीं है...
udaya veer singh
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धन्यवाद।
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