मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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"होली आयी है"
मन में आशायें लेकर के,
आया हैं मधुमास,
चलो होली खेलेंगे।
मूक-इशारों को लेकर के,
आया है विश्वास,
चलो होली खेलेंगे।।
मन-उपवन में सुन्दर-सुन्दर, सुमन खिलें हैं,
रंग बसन्ती पहने, धरती-गगन मिले हैं,
बाग-बहारों को लेकर के,
छाया है उल्लास,
चलो होली खेलेंगे...
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वे तो नकली दांत थे !
"क्या हुआ मुनिया,
कुछ कहना चाहती हो बिटिया ?"
" पापा मुझे वो खाना है ! "
" क्या खाना है ? "
" वो जोशी अंकल के घर पर कटोरी में रखा है ना ,
वह मुझे खाना है...
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मोची
शिक्षक के बारे में चली आईं उपमा ज्ञान की स्तुति रहीं पुराना कोई विशेषण कोई प्राचीन महात्म्य अनुभव-निकट नहीं ठहरता अब जो मैं शिक्षक हूँ शिक्षा जगत में मोची हूँ मेरा वही ईमान उतना ही मान है जब मैं शिक्षक के बहाने खुद को मोची कहता हूँ तो आपसे चाहता हूँ जूतों के शोरूम के बारे में, सरकार के बारे में नहीं मोची के बारे में सोचें...
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चन्द माहिया: होली पे....
:1:
भर दो इस झोली में
प्यार भरे सपने
आ कर इस होली में
:2:
मारो ना पिचकारी
कोरी है तन की
अब तक मेरी सारी
:3:...
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महात्मा गांधी और गौ हत्यारा
दो विपरीत ध्रुव हैं
ठीक वैसे ही शहीद भगत सिंह
और कन्हैया कुमार
दो अलग छोर देश प्रेम
और देश द्रोह के हैं
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कोहरा हुआ सा है
आसमां पर शाम का पहरा हुआ सा है ।
वक्त जाने किसलिये ठहरा हुआ सा है ।
रुक गई है जिन्दगी उस मोड पर आकर
खुद से ही अनजान , यह चेहरा हुआ सा है...
गिरिजा कुलश्रेष्ठ
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मार खानी है बहुत
इसलिए भी दिलसितां की याद आनी है बहुत
जूतियों की मेरे चेहरे पर निशानी है बहुत
और थोड़ी पीऊँगा गोया के फुल कोटा हुआ
वैसे भी पहुँचा जूँ घर पे मार खानी है बहुत...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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,बुरा न मानो होली है
ओवैशी की चाल पर आजम है हैरान ।
वोट खीच न ले कही मेरा ये शैतान ।।
जोगीड़ा शा र र र र र र र र र
जोगीड़ा शा र र र र र र र र र
आरक्षण की नीति पर बीजेपी खामोश ।
साँप छछुंदर गति भई जनता में है रोष ।।
जोगीड़ा शा र र र र र र र र र...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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चलो नया एक रंग लगाएँ
लाल गुलाबी नीले पीले,
रंगों से तो खेल चुके हैं,
इस होली नव पुष्प खिलाएँ,
चलो नया एक रंग लगाएँ ।
मानवता की छाप हो जिसमे,
स्नेह सरस से सना हो जो,
ऐसी होली खूब मनाएँ,
चलो नया एक रंग लगाएँ...
ई. प्रदीप कुमार साहनी
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'' कब आओगे ? '' नामक मुक्तक ,
कवि स्व. श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक संग्रह -
'' चाँद झील में '' से लिया गया है -
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भारत के ये 11 अजब गज़ब गाँव
1. एक गाँव जहां दूध दही मुफ्त मिलता है👇 यहां के लोग कभी दूध या उससे बनने वाली चीज़ो को बेचते नही हैं बल्कि उन लोगों को मुफ्त में दे देते हैं जिनके पास गएँ ये भैंसे नहीं हैं धोकड़ा गुजरात के कक्ष में बसा ऐसा ही अनोखा गाँव है आज जब इंसानियत खो सी गयी है लोग किसी को पानी तक नही पूछते श्वेत क्रांति के लिए प्रसिद्ध ये गाँव दूध दही ऐसे ही बाँट देता है, यहां पर रहने वाले एक पुजारी बताते हैं की उन्हें महीने में करीब 7,500 रुपए का दूध गाँव से मुफ्त में मिलता है...
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