बोदा लड़का घूमता, छुटका किन्तु सयान।
गाली खाए नित्य यह, बनता वह विद्वान ।
बनता वह विद्वान, विलायत पढ़ने जाता।
व्याही गोरी मेम, वहीँ पर नाम कमाता |
रविकर अब असहाय, करे सेवा यह बड़का ।
दे देना प्रभु एक, उसे भी बोदा लड़का ||
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ग्यारह दोहे"खुली ढोल की पोल"(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')आमबजट पर उठ रहे, ढेरों आज सवाल। |
पिछले पैंसठ साल में, हुआ न ऐसा हाल।१।
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निर्धनता के नाम का, बजा रहे जो गाल।
धनवानों को बाँटते, वो ही स्वर्णिम थाल।२।
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पैदल चलकर जो कभी, गये नहीं बाजार।
दाल-भात के भाव क्या, जानें नम्बरदार।३...
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Naveen Mani Tripathi
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Gopesh Jaswal
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रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
पतझड़ के पश्चात वृक्ष नव पल्लव को पा जाता।
विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।। --
भीषण सर्दी, गर्मी का सन्देशा लेकर आती ,
गर्मी आकर वर्षाऋतु को आमन्त्रण भिजवाती,
सजा-धजा ऋतुराज प्रेम के अंकुर को उपजाता।
विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।।
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