रविकर के चार दोहेरविकर
हुई लाल-पीली प्रिया, करे स्याह सम्भाव|
अंग-अंग नीला करे, हरा हरा हर घाव ||
एक दफ़ा गलती हुई, रफा-दफ़ा कर रीस ।
दफ़ा चार सौ बीस से, मत रविकर को पीस।।
युवा वर्ग से कर रही, दुनिया जब उम्मीद |
बहुतेरे सिरफिरे तब, मिट्टी करें पलीद ||
भट के फिर भटके कदम, दमन करे चहुँओर |
खौफ नहीं अल्लाह का, बन्दे आदमखोर ||
lokendra singh
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Kirtish bhatt
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