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बुधवार, मार्च 02, 2016

दुनिया तो बदनाम, बेच दे लंगड़ा घोड़ा ; चर्चा मंच 2269


घोड़ा तो फिर से बिका, गया बेच के सोय।
लुटा माल-असबाब कुल, सौदागर ले रोय।

सौदागर ले रोय, उसे रविकर समझाते |

निद्रा मृत्यु समान, नींद में पैर हिलाते |


मान अन्यथा लाश, सजा दे चिता निगोड़ा |
दुनिया तो बदनाम, बेच दे लंगड़ा घोड़ा ||

"लिंक-लिक्खाड़"

महेश कुशवंश 


pramod joshi 


GYanesh Kumar 


रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 


उड़ता था उन्मुक्त कभी जो नीले-नीले अम्बर में।
कैद हो गया आज सिकन्दर सोने के सुन्दर घर में।।


सुधीर 


Priti Surana 


डॉ. जेन्नी शबनम 


Anita 


UMA SHANKER MISHRA 


PBCHATURVEDI प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 


SUMIT PRATAP SINGH 


प्रतिभा सक्सेना 


Asha Saxena 


संध्या आर्य 


Kirtish bhatt 


vandana gupta 


Virendra Kumar Sharma 

Kajal Kumar 

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