मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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ख़ुदा ख़ैर करना मेरे दुश्मनों की
मिली आज सौग़ात जो नफ़्रतों की
भला क्या ज़ुरूरत हो और आँधियों की
वो फिर मुस्कुराई मुझे देख करके
ख़ुदा ख़ैर करना मेरे दुश्मनों की...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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गज़ल
गुजारे गांव मे जो दिन पुराने याद आते हैं
सुहानी ज़िन्दगी दिलकश जमाने याद आते हैं
वो बचपन याद आता है वो गलियाँ याद आती हैं
लुका छुप्पी के वो सारे ठिकाने याद आते हैं...
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मेरी, तेरी, सबकी मां की जय हो भारत
भारत माता की जय,
तू-तू, मैं-मैं की हदों को पार कर रही है।
यहां तू-तू, मैं-मैं को मुहावरे की तरह ही देखें...
लिखो यहां वहां पर विजय गौड़
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क्यों है --
(ग़ज़ल)
हर किसी ने दिल में बदरंग तस्वीर उतारी क्यों है
आज मुल्क में मोहब्बत पर नफरत भारी क्यों है...
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तिरछी पड़ी यादें
आज भी तिरछी पड़ी हैं तुम्हारी यादें
और मैं रोज सुबकता न होऊं
ऐसा कोई लम्हा गुजरा ही नहीं
क्योंकि इश्क का चन्दन जितना घिसा
उतना ही सुगन्धित होता गया
अब चिकनी सपाट सड़क पर
भाग रहा हूँ निपट अकेला ...
vandana gupta
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सुगना उदास है
यूं तो वजह नहीं है कुछ खास
पर सुगना है बहुत उदास
पत्नी के कान में और गेंहू के पौधों पर
बाली नहीं है होठों पर पपड़ी पड़ी है
लाली नहीं है रूठती तो है पर
जिद करे ऐसी घरवाली नहीं है
पर सुगना का भी तो फर्ज़ है
लेकिन क्या करे, उस पर तो कर्ज है
उसे अपनी चिंता नहीं है पर
जानवर को क्या खिलाएगा
सूख चुंकी है हर तरफ घास
यूं तो वजह नहीं है कुछ खास ...
Neeraj Kumar Neer
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मोदी सरकार की साख तय करेंगे माल्या
विजय माल्या को मोदी सरकार सलाखों के पीछे पहुंचाएगी या नहीं। इससे भी बड़ा सवाल अब ये पूछा जाने लगा है कि मोदी सरकार माल्या को सलाखों के पीछे पहुंचाना भी चाहती है या नहीं। ये सवाल तब खड़ा हो रहा है, जब मोदी सरकार के सिर्फ बाइस महीने में ही माल्या का इतना बुरा हुआ कि उन्हें देश छोड़कर भागना ही बेहतर लगा। माल्या को लगने लगा कि अब किसी भी समय वो सीबीआई दफ्तर के रास्ते जेल की सलाखों के पीछे पहुंच सकता है...
HARSHVARDHAN TRIPATHI
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प्रभुता पाइ काहु मद नाहीं
ऐसे लोगों का अपने पर काबू नहीं रह जाता, इन्हें यह भी भान नहीं रहता कि क्रोध की ज्वाला के सम्पर्क में आ जब इनके सत्ता का मद, उफान खा, विस्फोट करता है तो उससे दूसरे का कम इनका खुद का नुक्सान ज्यादा होता है। ऐसे उदाहरण हमें आए-दिन दिखलाई दे जाते हैं...
कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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मानव जीवन का तकनीकी भविष्य !
आज तकनीक के जमाने ने मानव जीवन को बदलकर रख दिया है।
वर्षो पहले जिन चीज़ो की हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे आज वह सब संभव है। इसी तरह वर्तमान समय में सोचने पर यह अहसास होता है की आने वाले कई वर्षो बाद जीवन कैसा होगा ?
Manoj Kumar
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'' सृजन की नींव '' नामक मुक्तक ,
कवि श्री श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक संग्रह -
'' चाँद झील में '' से लिया गया है -
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मलाल किसका है ...
रुख़ पे रौशन जलाल किसका है
ये मुबारक ख़याल किसका है
आपके हाथ में दबा है जो
वो गुलाबी रुमाल किसका है...
साझा आसमान पर
Suresh Swapnil
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बरस रहा है यूँ प्यार तेरा...
बरस रहा है यूँ प्यार तेरा कि जैसे आँखों में उमड़ा बादल
तरस रही हैं मेरी निगाहें तेरी ही ख़ातिर हुआ मैं पागल...
तरस रही हैं मेरी निगाहें तेरी ही ख़ातिर हुआ मैं पागल...
अन्त में देखिए-
मेरा एक पुराना गीत
"व्याकरण चाहिए"
मोक्ष के लक्ष को मापने के लिए,
जाने कितने जनम और मरण चाहिए ।
प्यार का राग आलापने के लिए,
शुद्ध स्वर, ताल, लय, उपकरण चाहिए...
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