मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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'' मैंने चाहा '' नामक मुक्तक ,
कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक संग्रह -
'' चाँद झील में '' से लिया गया है -
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जीवन - अब तक
(विचारों का प्रवाह न काव्यरूप में होता है और न ही गद्यरूप में। वह तो अपनी लय में बहता है, उसे उसकी लय में समझ पाना और लिख पाना कठिन है, फिर भी निर्मम आत्मचिन्तन के शब्दों को आकार देने का प्रयास किया है।)..
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तमाशा जात मज़हब का खड़ा करना बहाना है
सभी नाकामियाँ अपनी उन्हें यूँ ही छुपाना है
ढ़ले सब एक साँचे में, नहीं कोई अलग लगता
मुखौटों में छुपे चेहरे, ज़माने को दिखाना है...
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"भारत और नेपाल सीमा की सैर"
सीमा के हैं मस्त नजारे भारत और नेपाल के।
लेते हैं आनन्द पथिक घोड़े-ताँगे की चाल के।।
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