जय मां हाटेशवरी...
आज की रवीवारीय चर्चा में...
मैं कुलदीप ठाकुर
आप का स्वागत व अभिनंद करता हूं...
मुझे आज मुनव्वर राना जी की...
मां और मात्र भूमि पर लिखी कुछ शायरी याद आ रही है...
सर फिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जाँ कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं
मुझे बस इस लिए अच्छी बहार लगती है
कि ये भी माँ की तरह ख़ुशगवार लगती है
अब भी चलती है जब आँधी कभी ग़म की ‘राना’
माँ की ममता मुझे बाहों में छुपा लेती है
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
ऐ अँधेरे! देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखें खोल दीं घर में उजाला हो गया
ख़ुद को इस भीड़ में तन्हा नहीं होने देंगे
माँ तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे
अभी ज़िन्दा है माँ मेरी मुझे कु्छ भी नहीं होगा
मैं जब घर से निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है
घेर लेने को मुझे जब भी बलाएँ आ गईं
ढाल बन कर सामने माँ की दुआएँ आ गईं
‘मुनव्वर’! माँ के आगे यूँ कभी खुल कर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती
पैदा यहीं हुआ हूँ यहीं पर मरूँगा मैं
वो और लोग थे जो कराची चले गये
मैं मरूँगा तो यहीं दफ़्न किया जाऊँगा
मेरी मिट्टी भी कराची नहीं जाने वाली
अब चलते हैं...चर्चा की ओर...
-------
![](https://scontent.fdel1-1.fna.fbcdn.net/hphotos-xat1/v/t1.0-9/1385913_208208252695376_1922818913_n.jpg?oh=d540623e1c4a11af1ffb326f7a439aab&oe=57942B35)
यही विनय है आपसे, मेरी हे करतार।
देना फिर से जगत में, माता को अवतार।।
--माता जैसा है नहीं, दूजा जग में कोय।
जिस घर में माता रहे, वहाँ विधाता होय।।
जीवित माता-पिता हैं, धरती पर भगवान।
उनको देना चाहिए, पग-पग पर सम्मान।।
उच्चारण
पर रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
गिर न जाए आकाश, से लौट के
पत्थर
अपने मक़सद का,
निशाना लगाते हो
हाथों हाथ बेचा करो,
ईमान-धरम तुम
सड़कों पे नुमाइश,
तमाशा लगाते हो
फूलो से रंज तुम्हें, ख़ुशबू से परहेज़
--
![s1600/%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25BE](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhnEMAVB6S61YFyq848kyd7mX3a6tgp5PusAClnqgN7oRPG73S0jqgXIT7L1wCutpROdBTpSlxY5G4DGmlDksTFh_AfMoTsmeA1oYkLhBJCUYZdFVMhzksB56WJPLaO4PveoCTmmty9Zw0/s1600/%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25BE.jpg)
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal
--
यूँ ही नहीं सर टेकना गर देवता भी हो
ठोको बजा कर देख लो सत्कार से पहले
तैयार हूँ
मैं हारने को जंग दुनिया की
तुम जीत निष्चित तो करो इस हार से पहले
स्वप्न मेरे ...
परDigamber Naswa
--------
--
![s200/IMG_20160324_111742](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEilsQ0SHT0NvzAEK3fxiVPYf6VJU-gKhHCiudNZ6L6I85TFOtt__qqlX1P6j-plTsZHxoHvPTq-3Way0Ka9Kt_cm1Aa0dZYujFimhXNX9JbX0mhUJ6C8q0KOF5g9bqwgTiqUweazIpjUrIr/s320/IMG_20160324_111742.jpg)
ख़त ध्यान से पढ़ने की जरूरत ही नहीं थी
हर शब्द के मनचाहे से, अनुवाद हो गए !
क्यों दर पे तेरे आके ही सर झुक गया मेरा
काफिर न जाने क्यों यहाँ सज़्ज़ाद हो गए !
मेरे गीत !
परSatish Saxena
------
आईटी कानून यानी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम
(Information Technology Act) की धारा 66 ए के तहत कम्प्यूटर और संचार उपकरणों से ऐसे संदेश भेजने की मनाही है, जिससे परेशानी, असुविधा, खतरा, विघ्न, अपमान,
चोट, आपराधिक उकसावा, शत्रुता या दुर्भावना होती हो। अगर आपने ऐसा कोई पोस्ट नहीं की है लेकिन कमेंट या शेयर किया है तो भी अाप इस कानून के अन्तर्गत आते हैं।
--
अपनी मंजिल और आपकी तलाश
पर प्रभात
--
एक सम्पूर्ण ब्लॉग
पर Shraddha Dwivedi
आपका ब्लॉग
पर- आनन्द.पाठक
Ocean of Bliss
पर Rekha Joshi
----
आज की चर्चा यहीं तक...
फिर मिलते हैं।
अंत में एक निवेदन...
हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी ब्लाग लिखने वाले की ज़रूरतों पूरा करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, सूचना, हिंदी तकनीक,
चर्चा तथा काव्य आदि के लिये Whatsapp पर चर्चासेतु तैयार है।
कोई भी इस समूह को subscribe कर सकता है। इस के लिये आप अपना नाम व मोबाईल नम्बर जिस पर whatsapp की सुविधा हो, और अपना संक्षिप्त परिचय whatsapp के माध्यम
से 9418485128 नंबर पर भेजने की कृपा करें।
धन्यवाद।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।