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बुधवार, नवंबर 09, 2016

सबके बदले मौज, किन्तु ये नेता करते; चर्चा मंच 2521

सबके बदले मौज, किन्तु ये नेता करते- 

रविकर 
करते काम गरीब तो, शोषण करे अमीर । 
दोनों की रक्षा करे, क्रमश: सैनिक वीर। 
क्रमश: सैनिक वीर, इन्हें पाले करदाता। 
देख घुमक्कड़-ठाठ, पिये दारू मदमाता। 
बैंकर कसे नकेल, वकीलों से ये डरते। 
सबके बदले मौज, किन्तु ये नेता करते।। 

रविकर के दोहे 

रविकर 

जागो मशालों अब .... 

udaya veer singh 

Untitled 

Asha Joglekar 

अनुराग....... 

डॉ. गुलाम मुर्तज़ा शरीफ़ 

yashoda Agrawal 

ये नक्षत्र... 

डॉ. कौशलेन्द्रम 

रायप्रवीण का सौंदर्य 

और ओरछा की नियति 

(ओरछा गाथा भाग-4) 

मुकेश पाण्डेय चन्दन 

कहीं न कहीं अमरीका का चुनाव भी 

इस सबसे जुड़ा हुआ है  

ट्रम्प पाक की हदबन्दी करके .... 

Virendra Kumar Sharma 

मैं सिर्फ तुमको ही लिखती रहूँ....!!! 

Sushma Verma 

और तुम मुस्कुरा देना 

Upasna Siag 

इंदिरा गांधी ने पार्टी में 

कभी किसी दूसरे को उभरने ही नहीं दिया, 

जो पार्टी का नेतृत्व कर सके 

haresh Kumar 

दिल्ली में केजरीवाल की साजिश 

Kirtish bhatt 

दोहे 

"कोल्हू के हैं बैल" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

जनसेवा के नाम पर, मन में पसरा मैल।
निर्धन श्रमिक-किसान तो, कोल्हू के हैं बैल।।
--
छँटे हुए सब नगर के, बन बैठे गुणवान।  
पत्रकारिता में बचे, कम ही अब विद्वान।।

कार्टून :- खट्टे अंगूर 

Kajal Kumar 

4 टिप्‍पणियां:

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