सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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वसंत की दस्तक
वसंत ने दस्तक दी है,
हल्की-सी ठण्ड लिए
धीरे-से हवा चली है.
कांप उठे हैं
नए कोमल पत्ते...
कविताएँ पर Onkar
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आपने
किस तरह सह सकेंगे, जो मुस्कराया आपने।
कच्ची छत पर किसलिए बारिश बुलाया आपने।
बंद पलकों में सजे थे, सुख सभी संसार के।
मीठे स्वप्नों से मुझे फिर क्यूँ जगाया आपने...
PAWAN VIJAY
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फिर...
आपकी देह के इर्द-गिर्द...
मन की उपज
जब आप बीमार रहते हैं तो
बना रहता है हुजूम
तीमारदारों का
और ये..
वो ही रहते हैं
जिनकी बीमारी में...
आपने चिकित्सा व्यवस्था
करवाई थी
पर भगवान न करे...
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जुंबिशें - - -
ग़ज़ल 2
शोर ए किब्रियाई है, और स्वर हरे ! हरे !!
बख़्श दे इन्हें ख़ुदा, ईशवर उन्हें तरे.
वह है सच जो तूर पर, माइले ए कलाम है?
या कि उस पहाड़ पर, जो कि है जटा धरे??...
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मैं अश्वत्थामा बोल रहा हूँ --
शप्त मानवता के विषम व्रण माथे पर लिये
मैं,अश्वत्थामा ,युगान्तरों से भटक रहा हूँ...
लालित्यम् पर प्रतिभा सक्सेना
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा। मेरी रचना शामिल की। शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंसुरुचिपूर्ण चर्चा हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंआभार सर. चर्चामंच पर मेरे ब्लॉग को आपने स्थान दिया. बहुत सुंदर चर्चा.
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