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शनिवार, मार्च 17, 2018

"छोटी लाइन से बड़ी लाइन तक" (चर्चा अंक-2912)

मित्रों! 
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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आशादीप 

सूखे पत्तों सी हरी घास पर,
आशाओं के बिखर गए पर,
किसे पता सूखे पत्तों से,
सौन्दर्यदीप ज्वलित होता है... 
Mamta Tripathi 
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गुमसुम 

purushottam kumar sinha  
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एक पगली याद बहुत ही आती है 

जब यारों की महफ़िल में 
अचानक छिड़े चर्चा मोहब्बत बाली, 
या फिर नुक्कड़ बस्ती दूर गली में 
कोई दिखती है भोली भाली, 
करूँ जतन पर, दिल पर मेरे 
छुरियाँ सी चल जाती हैं  
सच कहता हूँ, 
एक पगली मुझको याद बहुत ही आती है... 
Anupam Chaubey  
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बदला 


लेना चाहती हूँ बदला तुमसे
हर उस तिरस्कार का,
हर उस अवहेलना का, 
हर उस उपेक्षा का
जो मैंने तुमसे अभी तक पाई है... 
Sudhinama पर sadhana vaid  
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हर दिन जन्मदिन मनाते है 

हर दिन जन्मदिन मनाते है ।
हर साल उम्र बढ़ती घटती है ।
रोज दिन कम होते है ।
फिर भी जन्मदिन मनाते है... 
नन्ही कोपल पर कोपल कोकास 
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दो कथाएँ 

1-  
 चिन्दी अरे ओ चिन्दी.... इधर तो आ...... जोर जोर से आवाज लगा रहे थे....अस्पताल के वार्ड में उसको.....और चिन्दी है कि ये उड़ी और वो उड़ी फिर रही थी हर मरीज के बिस्तर के पास... 
अर्चना चावजी Archana Chaoji  
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करना अगर है कुछ तुझे तो इन्क़िलाब कर 

छोड़े जो छाप, उम्र को ऐसी किताब कर 
कीमत बहुत है वक़्त की जेहन में तू बिठा 
बेकार बात में न समय को ख़राब कर ... 
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर 'मधु' 
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6 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर विविधतापूर्ण प्रस्तुति। आपसे सम्मान पाकर उत्साहित हूं।

    जवाब देंहटाएं
  2. हमेशा की तरह उत्कृष्ठ मुझे इस चर्चा में स्थान देने के लिए सदर वंदन नववर्ष की हार्दिक शुभकामना

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर सार्थक सूत्र आज की चर्चा में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं

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