सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
--
गीत
"सुख वैभव माँ तुमसे आता"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
तुमको सच्चे मन से ध्याता।
दया करो हे दुर्गा माता।।
व्रत-पूजन में दीप-धूप हैं,
नवदुर्गा के नवम् रूप हैं,
मैं देवी का हूँ उद् गाता।
दया करो हे दुर्गा माता।।
--
स्मृतियों की पिटारी
कौन कहता है कि व्यक्ति के पास
कोई सन्दूक नहीं है
कोई मंजूषा नहीं है
कोई पुरानी डिबिया नहीं है...
--
श्री राम वन्दनम्
दशरथ-तनय सीता-प्रणय मद-मोह भव-भय नाशनम्
हे पद्म-नेत्रम् मेघ वर्णम् रोग-शोक विनाशनम्....
--
--
--
तुझे इश्क़ भी जानेजाना सिखा दूँ
आ मैं ग़ज़ल गुनगुनाना सिखा दूँ
अकेले में ही मुस्कुराना सिखा दूँ
है तुझमें कशिश बाँकपन है चमिश है
तुझे इश्क़ भी जानेजाना सिखा दूँ...
अंदाज़े ग़ाफ़िल पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
--
--
--
--
--
--
तिश्नगी
तेरे अहसास में खोकर
तुझे जब भी लिक्खा,
यूँ लगा,लहरों ने साहिल पे
'तिश्नगी' लिक्खा...
Meena Sharma at
--
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शानदार संतुलित चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार बहन राधा तिवारी।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसुरत चर्चा
जवाब देंहटाएंचर्चामंच का बहुत सुंदर संकलन। अच्छी रचनाएँ पढ़ने के लिए मिलीं। मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर आभार!!!
जवाब देंहटाएं