मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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होली है भई होली है हम मस्तों की टोली है,
सबको रंग भरी शुभकामनाएँ
और आज हम सात रचनाकारों
राकेश खंडेलवाल जी, सौरभ पाण्डेय जी,
गिरीश पंकज जी, द्विजेन्द्र द्विज जी, नकुल गौतम,
अनीता तहज़ीब जी और रजनी नैयर मल्होत्रा जी के साथ
होली का यह त्योहार मनाते हैं।
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सुबीर संवाद सेवा पर पंकज सुबीर
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फाग कहीं यो बीत न जाए!
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मैं बिरहन हूँ प्रेम की प्यासी
न रँग, न कोई रास है!
बदन संदली सूल सम लागे
कैसा ये एहसास है!...
न रँग, न कोई रास है!
बदन संदली सूल सम लागे
कैसा ये एहसास है!...
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तुझे खोजें कहाँ
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जाने क्या बात हुई
उदासी ने ली अंगड़ाई
सबब क्या था उसके आने का
वह राज़ क्या था
मन की बेचैनी का
खोज न पाई ...
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होली पर
उत्तराखंड में गाए जाने वाले गीत
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हम होली वाले देवें आशीष
गावें बजावें देवें आशीष ...........1
बामण जीवे लाखों बरस
बामणि जीवें लाखों बरस...........2
जिनके गोंदों में लड़का खिलौण्या
ह्व़े जयां उनका नाती खिलौण्या ...........3
जौंला द्याया होळी का दान
ऊँ थै द्याला श्री भगवान ...........4
एक लाख पुत्र सवा लाख नाती
जी रयाँ पुत्र अमर रयाँ नाती ...........5
हम होली वाले देवें आशीष
गावें बजावें देवें आशीष...
गावें बजावें देवें आशीष ...........1
बामण जीवे लाखों बरस
बामणि जीवें लाखों बरस...........2
जिनके गोंदों में लड़का खिलौण्या
ह्व़े जयां उनका नाती खिलौण्या ...........3
जौंला द्याया होळी का दान
ऊँ थै द्याला श्री भगवान ...........4
एक लाख पुत्र सवा लाख नाती
जी रयाँ पुत्र अमर रयाँ नाती ...........5
हम होली वाले देवें आशीष
गावें बजावें देवें आशीष...
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मनोज पवार-
मालवा का रंगीन चितेरा कलाकार
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ज़िन्दगीनामा पर Sandip Naik
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होली की कथा
एक थे भक्त प्रह्लाद
पिता जिनका हिरण्यकशिपु असुर।
थी उनकी बुआ होलिका
थी ममतामयी माता कयाधु ,
दैत्य कुल में जन्मे
चिरंजीवी प्रह्लाद साधु।
ईश्वर भक्ति से हो जाय विचलित प्रह्लाद
पिता ने किये नाना प्रकार के उपाय...
एक थे भक्त प्रह्लाद
पिता जिनका हिरण्यकशिपु असुर।
थी उनकी बुआ होलिका
थी ममतामयी माता कयाधु ,
दैत्य कुल में जन्मे
चिरंजीवी प्रह्लाद साधु।
ईश्वर भक्ति से हो जाय विचलित प्रह्लाद
पिता ने किये नाना प्रकार के उपाय...
कविता मंच पर
Ravindra Singh Yadav
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होली का रंग है
मिली इसमे भंग है...
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जोगीरा सारा रा रा..
मोदी मुँहझौंसा
1
चिन्नी मंहगा, तेल मंहगा,
औ मंहगा मिर्चाय!
ई मंहगी में ब्रेसियर नै लैलक,
बंदरी "साथी" पर गेल गोसाय!
जोगीरा सारा रा, जोगीरा सारा रा...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
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जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार !
जवाब देंहटाएंसभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएं
होली की मंगल कामनाएं....बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चामंच की प्रस्तुति। होली के बाद होली को याद करना सुखद अनुभव। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं। मेरी रचना होली की कथा को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति. मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी. होली व नव वर्ष की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहोली तो हो गई लेकिन कितनी सारी रंग बिरंगी रचनाएँ छोड़ गई। बहुत ही सुंदर विविधरंगी संकलन। शुभकामनाओं के साथ, सादर ।
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