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रविवार, मार्च 04, 2018

"होली गयी सिधार" (चर्चा अंक-2899)

मित्रों! 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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रंग 

purushottam kumar sinha  
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रंग लगाकर पालथी बैठ गये हर पोर--  

गीता पंडित 

रंग लगाकर पालथी बैठ गये हर पोर 
द्वारे ड्योढ़ी गा उठे करें खिड़कियाँ शोर... 
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अपने जीवन को जीने का मौका दें 

"क्लब 60" यह फिल्म का नाम है, जो कल हमने टीवी पर देखी। जो लोग भी 60 की उम्र पार कर गये हैं उनके लिये अच्छी फिल्म है। इस फिल्म में अधिकतर पुरुष थे और उनकी संवेदनाओं पर ही आधारित थी लेकिन मैंने अपने शहर में महिलाओं के ऐसे ही समूह देखे हैं, जो अकेली हैं लेकिन अपने जीवन को जिंदादिली से जी रही हैं। मेरे घर में कुछ गुलाब के फूलों की झाड़ियां हैं, उसमें जैसे ही फूल खिलखिलाने लगते हैं, उन्हें देखकर मन खुश हो जाता है। मैं बार-बार उन्हें देखती हूँ, 
ऐसे ही जब कोई बुजुर्ग हँसता है तो मन को सुकून मिलता है... 
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आप खूबसूरत हो...।। 

इसमें कोई शक़ नहीं।  
किसी को तुम कमतर कहो,  
कोई हक़ नहीं।।  
मान लेते थे कभी आंखें मूंदकर,  
मगर बिल्कुल अब नहीं... 
kamlesh chander verma  
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8 टिप्‍पणियां:

  1. होली के दीक्षांत समारोह पर प्रस्तुत इस अंक में मेरी रचना को स्थान देने हेतु आभार व्यक्त करता हू। आदरणीय मयंक जी को नमन और अन्य समस्त रचनाकारों को अनंत शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी रचना चर्चा मंच में शामिल करने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर लिंक्स। यात्रानामा शामिल करने हेतु आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. परम आदरणीय शास्त्री जी , आपकी शिकायत सिर माथे पर । बेशक मैं मंच पर बहुत चाहकर भी उपस्थित नहीं हो पाता इसका गुनाहगार तो हूं अतः क्षमा प्रार्थी भी रहूंगा किंतु फिर भी मेरी रचनाओं को अपने सुप्रसिद्ध मंच पर स्थान देने के लिए सदैव आपका शुक्रगुजार रहूंगा । जब जब भी समय प्राप्त होगा मैं अवश्य ही मंच पर अपनी हाजिरी लगाऊँगा । धन्यवाद।
    www.kavitavishv.com

    जवाब देंहटाएं

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