सुधि पाठकों!
बुधवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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टेलीविजन को पछाड़ता इंटरनेट
Mukul Srivastava at
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प्रिय को पत्र
साथिया.... स्याह रात की सर्द चाँदनी में
अनमने से बैठे थे हम,
कुहासे के द्वार पर तुम्हारी दस्तक हुई।
उद्देश्यहीन जीवन में सपने कुलाँचें भरने लगे।
झिलमिल सितारों के बीच तुम्हारा आना
उजालों के साथ मधुरता भी घोल गया...
Ye Mohabbatein at
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हमारे ज़ख़्म उरियां...
तबाही के ये: मंज़र देख लीजे
कहां धड़ है कहां सर देख लीजे
बुतों के साथ क्या क्या ढह गया है
ज़रा गर्दन घुमा कर देख लीजे ...
साझा आसमानपरSuresh Swapnil
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार राधा बहन जी।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ..
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