मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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घर में रोस्टेड मूंगफली (खारी गरम) कैसे बनाएं?
how to roast peanuts at home
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राम के नाम पे डराने लगे है...
चौथाखंभा पर ARUN SATHI
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Laxmirangam:
वर्तमान शिक्षा प्रणालीभाषा देखें : घ...
सरकारों को चाहिए कि BE, MBBS, CA, ICWA, Ph.D व भाषा विशारद जैसे क्षेत्रों में छात्रों को भेड़ बकरियों सा आभास मत दीजिए, उनमें गुणवत्ता लाइए. कम से कम शिक्षण के क्षेत्र में भ्रष्टाचार पूरी तरह से बंद करवाइए. जितनी नौकरियाँ उपलब्ध करा पाते हैं, उसी अनुपात में शिक्षा को भी नियंत्रित कीजिए. बेरोजगार पैदा मत करते जाईए. अच्छी गुणवत्ता के साथ हमारे विज्ञों को बाहर परदेश जाने दीजिए .. मत रोकिए, ब्रेन ड्रेन के नाम पर. मत पीटिए सर कि आई आई टी से पढ़कर बच्चे देश की सेवा करने की बजाए अमेरिका जैसे देशों में सेवा देते हैं. क्या करेंगे बच्चे, यदि देश में उचित नौकरी उपलब्ध न हो तो ? ...
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वो बेक़सूर हो गया
दिल की कली मुरझा गई, चेहरा बेनूर हो गया
मेरे ख़्वाबों का शीशमहल जब चकनाचूर हो गया...
Dilbag Virk
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होता है आज भी दर्द...!!
होता है आज भी दर्द ,उसी ठिकाने पर।
आया था दिल जिस दिन ,तेरे निशाने पर।।
टीश उठती है आह निकलती है ,
होंठों से, नहीं होने देते ज़ाहिर ,दर्दे दिल ज़माने पर...
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हैप्पी जर्नी
जब भी कोई जाता है
सुदूर यात्रा पर
गाड़ी रेलगाड़ी
या हवाई जहाज से
दही खिलाकर बोलते
हैप्पी जर्नी...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर 'मधु'
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अबकी बार बेदिल सरकार |
मंत्रियों के विभाग और मंत्रियों की प्राथमिकता —
अभिसार शर्मा CBSE
बच्चे रो रहे हैं...
उनकी मेहनत और प्लानिंग बर्बाद हो गई,
मगर ये नाकारा सरकार
हमें लोगों को बांटने वाली
सियासत के रास्ते पर चलाना चाहती है...
अबकी बार बेदिल सरकार...
क्या मोदी सरकार के दिल में बच्चों की फ़िक्र है....
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devi maiya ki jay
व्हाट्सएप फेसबुक ने कितनी छोटी ही और मैं इसके कितना भला हो पर बुरा भी। मेरी कामवाली बाई दो छुट्टी गइलेकर गई मैं यह भी नहीं पुछा कि क्यों छुट्टी रही है क्योंकि जब जब त्यौहार आता है काम वालों के त्यौहार प्रमुख हो जाते हैं त्यौहार क्या आते लोगों के जैसे मुसीबत जाती है काम बढ़ जाता है और...
Shashi Goyal पर shashi goyal
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मैं एकाकी कहाँ
ये तनहाइयाँ अब कहाँ डराती हैं मुझे !
क्योंकि अब
मैं एकाकी कहाँ !
जब भी मेरा मन उदास होता है
अपने कमरे की
प्लास्टर उखड़ी दीवारों पर बनी
मेरे संगी साथियों की
अनगिनत काल्पनिक आकृतियाँ
मुझे हाथ पकड़ अपने साथ खींच ले जाती हैं,
मेरे साथ ढेर सारी मीठी-मीठी बातें करती हैं,
और उनके संग बोल बतिया कर
मेरी सारी उदासी तिरोहित हो जाती है !
फिर मैं एकाकी कहाँ...
क्योंकि अब
मैं एकाकी कहाँ !
जब भी मेरा मन उदास होता है
अपने कमरे की
प्लास्टर उखड़ी दीवारों पर बनी
मेरे संगी साथियों की
अनगिनत काल्पनिक आकृतियाँ
मुझे हाथ पकड़ अपने साथ खींच ले जाती हैं,
मेरे साथ ढेर सारी मीठी-मीठी बातें करती हैं,
और उनके संग बोल बतिया कर
मेरी सारी उदासी तिरोहित हो जाती है !
फिर मैं एकाकी कहाँ...
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है सृष्टि का नियम यही
मुस्कुराता यौवन
सदा बहार हरा भरा
सुंदर तन जीवन आनंद
बेपरवाह झूमता गाता
मदमस्ती में मतवाला...
सदा बहार हरा भरा
सुंदर तन जीवन आनंद
बेपरवाह झूमता गाता
मदमस्ती में मतवाला...
Rekha Joshi
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंsundar prastuti,
जवाब देंहटाएंmeri rachna "bechare neta jee" ko sthan dene hetu abhar.
https://meremankee.blogspot.in/2018/03/indian-leaders.html
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा, मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत ही बेहतरीन सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !
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