मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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भारतीय धर्म, दर्शन राष्ट्र -संस्कृति के विरुद्ध
नवीन आवाजें व उनका यथातथ्य निराकरण ---
एक क्रमिक आलेख---
पोस्ट एक --
डा श्याम गुप्त
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"हे नारी तू सागर है..."
महिला दिवस पर एक खास रचना...
"हे नारी तू सागर है..."
हे नारी तू सागर है
जहां नदियाँ मिलतीं आकर हैं
पुरुष समझता आधा - पौना
कहे घरेलू गागर है...
जिसने भाँप लिया रत्नों को
तेरे आँचल के साए में,
सही अर्थ में समझो उसका
देवी - देवताओं का घर है...
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महिलाएं चाहती हैं
चाहती हैँ ईँट भट्टोँ मेँ काम करने वाली महिलाएं कि उनका भी अपना घर हो चाहती हैँ खेतोँ पर भूखे रहकर अनाज ऊगाने वाली महिलाएं कि उनका भी भरा रहे पेट चाहती हैँ मजबूर महिलाएं कि उनकी फटी साड़ी मेँ न लगे थिगड़ा सज संवर कर घूम सकेँ बाजार हाट चाहती हैँ यातनाओँ से गुजर रही महिलाएं उलझनों और प्रताड़ना की खोल दे कोई गठान ताकि उड़ सकें कामनाओँ के आसमान मेँ बिना किसी भय के...
Jyoti Khare
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एक गीत -
सुख नहीं उधार लो
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मार्च का महीना
परीक्षाओं का महीना
नन्ही कोपल पर कोपल कोकास
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मन की उड़ान
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नीमः
सकुचाते फूलों का वह वीतराग झरना
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सहजि सहजि गुन रमैं :
राजेश जोशी
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छूटा साथ गगन से मेरा
मै नीर भरी दुख की बदली
आंसू बन नैनों से छलकी ,
सीने में जज़्बात दबाये
पीर हृदय में शोर मचाये...
Rekha Joshi
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हसीं
उनकी एक हसीं से रंगों के गुलाल खिल गये
अधरों पर मानों गीत मधुर सज गये
चेहरे से नक़ाब जो सरक गया
तमस को चीर आफ़ताब खिल गये...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
शुक्रिया सर |आपका और आपके सहयोगियों का दिन शुभ हो
जवाब देंहटाएंआदरणीय मयंक जी,बेहद शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकहते है जब उद्देश्य और नीयत अच्छी हो तो वो काम अच्छा ही होता है।
ब्लॉग जगत में आप का योगदान अतुल्य है।
हमारी रचनाओं को लोगों तक पहुंचाकर आप का कवियों से कवियों को जोड़ने का कार्य बेहद सराहनीय है।
अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह शानदार संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर