मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जीवन की परिभाषा
कभी जीने की आशा
कभी मन की निराशा
कभी खुशियों की धूप
कभी हकीकत की छाँव
कहीं कुछ खो कर पाने की आशा
शायद यही है जीवन की परिभाषा...
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दोहे श्याम के----
डा श्याम गुप्त
ईश्वर अल्ला कब मिले , हमें झगड़ते यार।
फिर मानव क्यों व्यर्थ ही करता है तकरार।।...
फिर मानव क्यों व्यर्थ ही करता है तकरार।।...
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शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा सूत्र.मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा |मेरी चर्चा शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनवसंवत्सर की सबको हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार
नवसंवत्सर की सबको हार्दिक शुभकामनाएं!