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रविवार, मार्च 18, 2018

"नवसम्वतसर, मन में चाह जगाता है" (चर्चा अंक-2913)

मित्रों! 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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जीवन की परिभाषा 

कभी जीने की आशा 
कभी मन की निराशा 
कभी खुशियों की धूप 
कभी हकीकत की छाँव 
कहीं कुछ खो कर पाने की आशा 
शायद यही है जीवन की परिभाषा... 
Akanksha पर Asha Saxena  
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दोहे श्याम के---- 

डा श्याम गुप्त 

ईश्वर अल्ला कब मिले , हमें झगड़ते यार।
फिर मानव क्यों व्यर्थ ही करता है तकरार।।...
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6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर चर्चा सूत्र.मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा चर्चा |मेरी चर्चा शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति
    नवसंवत्‍सर की सबको हार्दिक शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर चर्चा
    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार
    नवसंवत्‍सर की सबको हार्दिक शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं

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