सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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जुस्तजू
जुस्तजू इश्क़ की ऐसी लगी
फ़रियाद हवाओं संग बह चली
मुशायरा, मशवरा ऐसा अंदाज ए वयां बन आयी
हर जज्बातों मेँ शायरी बन आयी...
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL
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मेरठ कालेज,
मेरठ के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष
सत्यपाल मलिक जी से संबन्धित संस्मरण ------
विजय राजबली माथुर
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उम्र कैसे निकल जाती है....
श्वेता सिन्हा
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राम ने कहा था
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“हे पति अनुगामिनी सीता, हे परम आदर्श सहधर्मिणी ! संसार के हर अर्थ में सर्वोच्च पति परायणा पत्नी सिद्ध होने के बाद भी क्या बताओगी कि अशोक वाटिका से मुक्त होने के बाद अपने निष्कलुष चरित्र पर लोगों के घिनौने आक्षेप तुमने क्यों सहे...
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इस जैसी सरकार..।।
इस जैसी सरकार अरे रे रे रे ना बाबा
कौन करेगा ऐतबार अरे रे रे रे ना बाबा...
kamlesh chander verma
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घिर घिर आओ कारे बदरवा
छाओ घटा घनघोर लागे अगन जिया में
बयार के बिरहिनी धरा को मूर्छा छायी
ताकत रस्ता पूछे नहरिया...
सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंआपका आभार राधा बहन जी।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
वाह ! बहुत ही सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी प्रस्तुति को आज के मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार राधा जी ! सस्नेह वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही ज्ञानवर्धन और सरस प्रस्तुती!!!!
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